तेज बहादुर का नामांकन रद्द होने पर SC ने चुनाव आयोग से पूछा, 'बताइए क्यों रद्द किया नॉमिनेशन'
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तेज बहादुर का नामांकन रद्द होने पर SC ने चुनाव आयोग से पूछा, 'बताइए क्यों रद्द किया नॉमिनेशन'

वाराणसी से पीएम मोदी केखिलाफ तेज बहादुर चुनावी मैदान में उतरे थे. तेज बहादुर पहले तो निर्दलीय बाद में सपा के टिकट पर चुनाव लड़ने उतरे थे. लेकिन चुनाव आयोग ने तेज बहादुर का नामांकन तकनीकी आधार पर रद्द कर दिया था, जिसके बाद तेज बहादुर ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है.

तेज बहादुर का नामांकन रद्द होने पर SC ने चुनाव आयोग से पूछा, 'बताइए क्यों रद्द किया नॉमिनेशन'

नई दिल्ली: वाराणसी लोकसभा सीट से नामांकन रद्द होने के खिलाफ बीएसएफ के बर्खास्त जवान तेज बहादुर यादव की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग से कल तक जवाब देने को कहा है. सुप्रीम कोर्ट कल इस मामले में फिर से सुनवाई करेगा. दरअसल, वाराणसी से पीएम मोदी के खिलाफ तेज बहादुर चुनावी मैदान में उतरे थे. तेज बहादुर पहले तो निर्दलीय बाद में सपा के टिकट पर चुनाव लड़ने उतरे थे. लेकिन चुनाव आयोग ने तेज बहादुर का नामांकन तकनीकी आधार पर रद्द कर दिया था, जिसके बाद तेज बहादुर ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है. तेज बहादुर ने चुनाव आयोग के फैसले को रद्द करने की मांग की है. 

तेज बहादुर यादव ने अपनी याचिका में कहा है कि आयोग का निर्णय भेदभावपूर्ण और अतार्किक है और इसे खारिज किया जाना चाहिए.सपा ने शुरू में मोदी के खिलाफ शालिनी यादव को टिकट दिया था लेकिन बाद में उसने प्रत्याशी बदल कर, बीएसएफ के बर्खास्त जवान तेज बहादुर को वाराणसी संसदीय सीट से उम्मीदवार बनाया था. आपको बता दें कि बीएसएफ के बर्खास्त सिपाही तेज बहादुर यादव का पीएम मोदी के खिलाफ वाराणसी सीट से चुनाव लड़ने का सपना उस समय टूट गया जब चुनाव आयोग ने उनका नामांकन रद्द कर दिया था. 

नामांकन पत्र के नोटिस का जवाब देने के दौरान तेज बहादुर के समर्थकों और पुलिस के बीच जमकर नोकझोंक हुई थी, जिसके बाद पुलिस ने समर्थकों को कचहरी परिसर से बाहर कर दिया. तेज बहादुर यादव ने जवानों को दिए जाने वाले भोजन के बारे में शिकायत करते हुए एक वीडियो ऑनलाइन पोस्ट किया था, जिसके बाद 2017 में उसे बल से से बर्खास्त कर दिया गया था. सपा ने तेज बहादुर को वाराणसी संसदीय सीट से प्रत्याशी बनाया है.निर्वाचन अधिकारी ने यादव का नामांकन पत्र यह कहते हुए खारिज कर दिया था कि उसने वह प्रमाणपत्र जमा नहीं किया जिसमें यह स्पष्ट किया गया हो कि उसने भ्रष्टाचार या विश्वासघात की वजह से बर्खास्त नहीं किया गया था.

इनपुट: महेश गुप्ता

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