उडुपी चिकमगलूर सीट: दो चुनावों में तीसरे नंबर पर रहने वाली JDS कैसे करेगी बीजेपी से मुकाबला
लोकसभा चुनाव 2019 में उडुपी चिकमगलूर सीट पर बीजेपी ने एक बार फिर से मौजूदा सांसद शोभा करंदलाजे पर दांव लगाया है. उनका मुकाबला कांग्रेस-जेडीएस गठबंधन की प्रत्याशी प्रमोद माधवराज से है.
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बेंगलुरु: लोकसभा चुनाव 2019 के रण में जिन राज्यों में बीजेपी के पास अपना मैदान बचाने की चुनौती है, उनमें कर्नाटक भी एक है. कर्नाटक की उडुपी चिकमगलूर सीट पर अभी बीजेपी का कब्जा है. यहां पार्टी ने एक बार फिर से मौजूदा सांसद शोभा करंदलाजे पर दांव लगाया है. उनका मुकाबला कांग्रेस-जेडीएस गठबंधन की प्रत्याशी प्रमोद माधवराज से है. इस सीट से अब तक कांग्रेस लड़ती रही है, लेकिन इस बार गठबंधन के कारण ये जेडीएस के खाते में गई है. पिछले चुनाव में तो जेडीएस उम्मीदवार की जमानत भी जब्त हो गई थी.
मौजूदा चुनाव में बीजेपी और जेडीएस के अलावा शिवसेना ने भी अपना उम्मीदवार यहां पर उतारा है. यहां पर कुल 10 उम्मीदवार चुनाव मैदान में हैं. CPI-ML और BSP ने भी यहां से अपने उम्मीदवार उतारे हैं. विधानसभा चुनावों में जेडीएस और बीएसपी का गठबंधन था, लेकिन अब लोकसभा चुनावों में बीएसपी भी अपने उम्मीदवार उतार रही है.
2008 में बनी थी उडुपी-चिकमगलूर सीट
2008 में इस सीट को चिकमगलूर और उडुपी को मिलाकर बनाया गया था. 2009 में जब पहली बार चुनाव हुए तो इस पर बीजेपी के डीवी सदानंद गौड़ा ने कांग्रेस के के जयप्रकाश हेगड़े को 27 हजार वोट से हराया था. हालांकि जब 2012 में इस सीट पर उपचुनाव हुए तो के जयप्रकाश हेगड़े ने बीजेपी के सुनील कुमार को 45 हजार से वोट हराया था. तब सदानंद गौड़ा के राज्य का मुख्यमंत्री बनने के कारण ये सीट खाली हुई थी. 2014 के चुनाव में शोभा करंदलाजे ने कांग्रेस के जयप्रकाश हेगड़े को 1लाख 81 हजार वोट से हराया था.
असंतोष के बाद भी बीजेपी ने शोभा पर लगाया दांव
उडुपी और चिकमगलूर सीट पर बीजेपी ने एक बार फिर से शोभा करंदलाजे पर अपना दांव लगाया है. कहा जा रहा था कि राज्य स्तर पर उनके खिलाफ असंतोष है. लेकिन बीएस येदियुरप्पा के कहने पर पार्टी हाईकमान ने एक बार फिर से शोभा को अपना उम्मीदवार बनाया है.
जेडीएस का मजबूत गढ़ नहीं है ये सीट
इस लोकसभा सीट में चिकमगलूर, कापू, कारकल, कुंडापुरा, श्रंगेरी, तारिकेरे और उडुपी विधानसभा सीट आती हैं. ये सीट जेडीएस का गढ़ नहीं मानी जाती है. 2009 के चुनाव में तो जेडीएस का उम्मीदवार भी सामने नहीं था. 2012 के उपचुनाव में जेडीएस के उम्मीदवार को 72 हजार वोट मिले थे. 2014 के चुनाव में जेडीएस उम्मीवार को मात्र 14 हजार वोट मिले थे और उनकी जमानत जब्त हो गई थी. ऐसे में इस चुनाव में जेडीएस के लिए टक्कर देना बड़ी चुनौती होगी.