वैभव की जोधपुर के अलावा जालौर सिरोही लोकसभा सीट से भी चुनाव लड़ने की चर्चा थी.
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जयपुर: लोकसभा चुनाव 2019 के प्रत्याशियों की सूची में राजस्थान के सीएम और कांग्रेस नेता अशोक गहलोत के बेटे वैभव का नाम भी शामिल है. उन्हें राजस्थान के जोधपुर सीट से टिकट दिय़ा गया है. वैभव पहली बार लोकसभा चुनाव लड़ने के लिए मैदान में उतरे है. इससे पहले वह राजस्थान कांग्रेस के संगठन में महासचिव के पद पर भी रहे हैं.
आपको बता दें कि, वैभव की जोधपुर के अलावा जालौर सिरोही लोकसभा सीट से भी चुनाव लड़ने की चर्चा थी. लेकिन कांग्रेस आलाकमान ने उसी सीट से उन्हें चुनावी मैदान में उतारा है, जहां से उनके पिता और राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत ने अपने राजनीतिक जीवन की शुरूआत की थी.
टिकट का ऐलान होने के बाद जी मीडिया से बातचीत में वैभव गहलोत ने कहा कि वो अभी तक कांग्रेस के संगठन के लिए काम कर रहे थे. लेकिन अब पार्टी ने चुनाव लड़ने की जिम्मेदारी दी है. वैसे चुनौती बड़ी है, लेकिन उन्हें विश्वास है कि वो चुनौती पर खरा उतरेंगे.
पिता की राजनीतिक विरासत को आगे बढ़ाने के सवाल पर उन्होंने कहा, ''पिता की छवि एक जननायक और गांधीवादी नेता के तौर पर रही है. उनके जीवन का ध्येय आम आदमी, गरीब, दलित, पिछड़ो के जीवन में बदलाव लाना रहा .पिता के इन्हीं गुणों को उन्होंने भी अपने जीवन में उतारा है और इन्हीं सिद्धांतों पर वह जीवन में आगे बढ़ने का लक्ष्य रखते हैं.''
उन्होंने यह भी कहा, ''जिस तरह से राजस्थान सरकार के 100 दिनों का कार्यकाल रहा है. उसके कामकाज को जनता के बीच लेकर जाएंगे.'' बातचीत के दौरान राहुल गांधी की न्याय योजना को उन्होंने एक मास्टर स्ट्रोक बताया. वैसे 2014 में भी उनके चुनाव लड़ने की चर्चा काफी तेज थी. लेकिन पार्टी आलाकमान ने लोकसभा चुनाव के दौरान उन्हें टिकट नहीं दिया था. वैभव राजस्थान कांग्रेस में महासचिव के पद पर रहकर सांगठनिक कार्य कर रहे थे.
बता दें, लोकसभा चुनाव की घोषणा के बाद से ही राज्य में सबसे ज्यादा चर्चा में रहने वाला संसदीय क्षेत्र जोधपुर रहा. इस सीट से कांग्रेस ने आठ बार चुनाव जीता है, जबकि बीजेपी 4 पार सीट जीतने में कामयाब हुई. 2014 के लोकसभा चुनाव के दौरान यहां से बीजेपी के उम्मीदवार गजेंद्र सिंह शेखावत चुनाव जीतने में कामयाब हुए.
वहीं, वैभव के पिता और कांग्रेस के दिग्गज नेताओं में शुमार किए जाने वाले अशोक गहलोत ने जोधपुर से अपनी संसदीय पारी की शुरुआत की थी. उन्होंने 1980, 1984, 1991, 1996 और 1998 के लोकसभा चुनाव के दौरान यहां से जीत हासिल की थी.