DNA with Rahul Sinha: वक्फ कानून हो या विरोध का कोई और मुद्दा..प्रदर्शनकारी मुट्ठी भर हों या हजारों-लाखों में। ज्यादातर प्रदर्शनकारियों को ये पता ही नहीं होता कि वो विरोध क्यों कर रहे हैं। किस बात पर कर रहे हैं। बस विरोध करने के लिए कहा गया है तो करना है। यही सोच है। और ऐसी सोच में कभी-कभी ब्लंडर हो जाता है। फजीहत हो जाती है। जैसा- गाजियाबाद में एक हिंदू संगठन के साथ हुआ।