UP महाविद्यालय प्रोफेसर भर्ती पर हाई कोर्ट का बड़ा फैसला, जानें डिटेल
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UP महाविद्यालय प्रोफेसर भर्ती पर हाई कोर्ट का बड़ा फैसला, जानें डिटेल

UPHESC Assistant Professor Recruitment: इलाहाबाद हाईकोर्ट के जस्टिस ने फैसला सुनाते हुए कहा कि गैर राज्यों के कॉलेजों में असिस्टेंट प्रोफेसर पद पर रहते हुए हासिल किए गए शैक्षणिक अनुभव को उत्तर प्रदेश के कॉलेजों में भी मान्यता दी जाएगी.

UP महाविद्यालय प्रोफेसर भर्ती पर हाई कोर्ट का बड़ा फैसला, जानें डिटेल

नई दिल्ली: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने असिस्टेंट प्रोफेसर के पद पर भर्ती को लेकर बड़ा फैसला सुनाया है. इलाहाबाद हाईकोर्ट के जस्टिस सिद्धार्थ ने फैसला सुनाते हुए कहा कि गैर राज्यों के कॉलेजों में असिस्टेंट प्रोफेसर के पद पर रहते हुए हासिल किए गए शैक्षणिक अनुभव को उत्तर प्रदेश के कॉलेजों में भी मान्यता दी जाएगी. डॉ. अनूप कुमार पांडेय की तरफ से इस मामले में याचिका दायर की गई थी, जिसके संदर्भ में कोर्ट नें अपना फैसला सुनाया है. कोर्ट ने याचिकाकर्ता की ओर से छत्तीसगढ़ के दो सरकारी कॉलेजों से प्राप्त किए गए शैक्षणिक अनुभव को उसकी सेवा में जोड़ने का आदेश दिया है. साथ ही उसे प्रोन्नति व वेतन वृद्धि जैसे आदि लाभ देने का भी निर्देश दिया है.           

याचिकाकर्ता के अधिवक्ता एडवोकेट सीमांत सिंह ने कोर्ट को बताया कि डॉ. अनूप कुमार पांडेय की नियुक्ति अयोध्या के साकेत कॉलेज में असिस्टेंट प्रोफेसर के पद पर की गई थी. इससे पहले वह छत्तीसगढ़ के दो सरकारी कॉलेजों में फिजिक्स विषय के असिस्टेंट प्रोफेसर के पद पर रहते हुए अपनी सेवाएं दे चुके हैं. इसी आधार पर याचिकाकर्ता को करियर एडवांसमेंट स्कीम के तहत प्रमोशन मिलना चाहिए. साथ ही उनके पास सीनियर स्केल पाने का भी अधिकार है, लेकिन उच्च शिक्षा निदेशक ने याचिकाकर्ता को यह सभी लाभ देने से इन्कार कर दिया है. साथ ही उनकी ओर से याचिकाकर्ता के शैक्षणिक अनुभव को भी नहीं जोड़ा जा रहा है.

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याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने यह भी कहा कि 2018 के यूजीसी रेगुलेशन के मुताबिक किसी भी राज्य के कॉलेज में किए गए कार्य को किसी दूसरे राज्य के कॉलेज में अनुभव के तौर पर जोड़ा जाना चाहिए. वहीं उच्च शिक्षा निदेशालय के अधिवक्ता ने कहा कि यूजीसी रेगुलेशन 2010 और राज्य सरकार के शासनादेशों में ऐसी किसी भी शर्त का कोई जिक्र नहीं किया गया है. इसके जवाब में याचिकाकर्ता के अधिवक्ता सीमांत सिंह ने कहा कि 2010 के यूजीसी रेगुलेशन को 2018 के रेगुलेशन ने रिपील कर दिया है. अंत में कोर्ट ने दोनों पक्षों की दलीलों को सुनने के बाद अपना फैसला सुनाया, जिसमें कहा गया कि याचिकाकर्ता की ओर से किसी अन्य कॉलेज से प्राप्त किए गए शैक्षणिक अनुभव को वर्तमान सेवा में जोड़ा जाए और उसे प्रोन्नति व वेतन वृद्धि जैसे अन्य लाभ भी दिए जाएं.

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