अगस्त में सब्जियों की महंगाई से थोक मुद्रास्फीति 6.1 फीसदी पर
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अगस्त में सब्जियों की महंगाई से थोक मुद्रास्फीति 6.1 फीसदी पर

थोक मूल्य सूचकांक पर आधारित मुद्रास्फीति अगस्त में प्याज, और अन्य सब्जियों की तेजी से बढ़कर 6.1 प्रतिशत पर पहुंच गयी।

नई दिल्ली : थोक मूल्य सूचकांक पर आधारित मुद्रास्फीति अगस्त में प्याज, और अन्य सब्जियों की तेजी से बढ़कर 6.1 प्रतिशत पर पहुंच गयी। इससे पिछले महीने जुलाई में मुद्रास्फीति 5.79 प्रतिशत और पिछले साल अगस्त में 8.01 प्रतिशत थी।
मुद्रास्फीति के दबाव से रिजर्व बैंक के लिए इस सप्ताह मौद्रिक नीति की समीक्षा के समय नीतिगत ब्याज दरों में कटौती करना मुश्किल हो सकता है। मुद्रास्फीति पिछले तीन महीने से चढ़ रही है।
आलोच्य माह के दौरान सर्वाधित तेजी प्याज की कीमतों में देखी गयी। सालाना आधार पर इसका मूल्य 245 प्रतिशत उंचा रहा। अन्य सब्जियों की कीमत भी पिछले साल इसी माह की तुलना में 77.81 प्रतिशत उंची रही, जिससे आम आदमी की थाली महंगी हो गयी। इस बार अगस्त माह के दौरान चावल, मोटे अनाज, अंडे, मांस और मछली की कीमतों में भी बढ़ोतरी दर्ज की गयी।
अगस्त माह के दौरान आलू और दाल में नरमी रही। आलू का भाव 15 प्रतिशत तथा दालें पिछले साल की तुलना में 14 प्रतिशत मंदी रहीं। माह के दौरान अन्य खाद्य वस्तुएं सालाना आधार पर औसतन 18.8 प्रतिशत महंगी हुयीं।
विनिर्मित खाद्य उत्पादों में चीनी और खाद्य तेलों में क्रमश: 5.2 प्रतिशत और 3.86 प्रतिशत की नरमी दर्ज की गयी। सभी प्रकार की विनिर्मित वस्तुओं का कुल मिलाकर थोकमूल्य सूचकांक अगस्त माह में 1.9 प्रतिशत उंचा रहा।
रिजर्व बैंक के नये गवर्नर रघुराम राजन अपने कार्यकाल की पहली मौद्रिक नीति समीक्षा सितंबर को जारी करने वाले हैं। उनके सामने अर्थव्यवस्था में नरमी दूर करने के प्रयासों में सहायक उपाय लागू करने की चुनौती है, जबकि मुद्रास्फीति दबाव उनके लिए ब्याज दरों को कम करने का फैसला टेढ़ा बना सकता है।
मुद्रास्फीति के दबाव में वृद्धि पर प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद् (पीएमईएसी) के अध्यक्ष सी रंगराजन ने कहा कि यह मुख्य रूप से रपये की विनिमय दर में तेज गिरावट के कारण है। उन्होंने उम्मीद जाहिर की है आने वाले दिनों में मुद्रास्फीति का दबाव कम होगा।
उन्होंने कहा कि अगले कुछ महीनों में खाद्य मुद्रास्फीति गिरना शुरू हो जाएगी, क्योंकि मानसून अच्छा है और इसका अन्य बातों पर भी असर पड़ेगा। हम उम्मीद करते हैं कि चालू वित्तवर्ष के अंत में मुद्रास्फीति 5.5 प्रतिशत के आसपास रहेगी। कासा के अर्थशास्त्री सिद्धार्थ शंकर ने कहा कि जो आंकड़े हैं उसको देखते हुये ब्याज दरों को कम करना रिजर्व बैंक के लिए मुश्किल होगा। (एजेंसी)

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