एयरलाइंस कारोबार में नहीं उतरेगा टाटा समूह: रतन टाटा
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एयरलाइंस कारोबार में नहीं उतरेगा टाटा समूह: रतन टाटा

भारत में कभी नागर विमानन सेवा की शुरुआत करने वाले टाटा समूह के निवर्तमान चेयरमैन ने आज संकेत दिया कि उनका समूह इस क्षेत्र में दोबारा शायद ही कदम रखे क्यों कि इस क्षेत्र में ‘विनाशकारी प्रतिस्पर्धा’ घर कर गयी है। टाटा समूह की ओर से 1990 के दशक के मध्य में भारत में सिंगापुर इंटरनेशनल एयरलाइंस (एसआईए) के साथ मिल कर एयरलाइन शुरू करने के प्रस्ताव को याद करते हुए टाटा ने कहा, ‘‘उस समय की तुलना में आज यह क्षेत्र पूरी तरह अलग है।’’

मुंबई : भारत में कभी नागर विमानन सेवा की शुरुआत करने वाले टाटा समूह के निवर्तमान चेयरमैन ने आज संकेत दिया कि उनका समूह इस क्षेत्र में दोबारा शायद ही कदम रखे क्यों कि इस क्षेत्र में ‘विनाशकारी प्रतिस्पर्धा’ घर कर गयी है। टाटा समूह की ओर से 1990 के दशक के मध्य में भारत में सिंगापुर इंटरनेशनल एयरलाइंस (एसआईए) के साथ मिल कर एयरलाइन शुरू करने के प्रस्ताव को याद करते हुए टाटा ने कहा, ‘‘उस समय की तुलना में आज यह क्षेत्र पूरी तरह अलग है।’’
टाटा ने कहा, ‘‘यह बहुत कुछ दूरसंचार क्षेत्र की तरह बन गया है। इसमें कंपननियों की बाढ आ गयी और इनमें से कुछ आपरेटर वित्तीय संकट में हैं। आज की तारीख में मैं इस क्षेत्र में कदम रखने से हिचकूंगा, क्योंकि इस बात की संभावना रहेगी कि आपको इसमें बहुत हद तक ऐसी प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ेगा जो अस्वस्थ प्रतिस्पर्धा होगी।’’ यह पूछे जाने पर कि क्या वह ‘गला काट’ प्रतिस्पर्धा को लेकर चिंतित हैं, तो टाटा ने इसका न में जवाब दिया पर कहा, ‘‘गलाकाट प्रतिस्पर्धा आपको बाहर रखने के लिए हो तो वह विनाशकारी प्रतिस्पर्धा है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘विदेशों में लोग या कंपनियां दिवालिया हो जाती हैं। यहां वे ऐसा नहीं करते। बदहाल होने के बावजूद वे परिचालन करते रहते हैं। उसके बाद वे आपको खत्म करने के लिए परिचालन कर रहे हैं।’’ प्रेट्र से साक्षात्कार के दौरान टाटा से जब यह पूछा गया कि क्या यह सही है कि किसी ने टाटा-सिंगपुर एयरलाइन के प्रस्ताव को मंजूर करने के लिए उनके 15 करोड़ रुपये की रिश्वत की मांग की थी। इस पर टाटा ने कहा कि यह कहानी सही है, लेकिन उस समय के नागर विमानन मंत्री ने सीधे उनसे यह राशि नहीं मांगी थी।
टाटा ने कहा, ‘‘एक कारोबारी ने मुझसे कहा था कि आप पैसा क्यों नहीं दे देते हैं। मंत्री यही चाहते हैं।’’ कारोबारी को इस पर उन्होंने क्या जवाब दिया था, इस पर टाटा ने कहा, ‘‘मैंने उनसे कहा कि आप नहीं समझते हैं। हम इस तरह का काम नहीं करते हैं। उन्होंने मुझसे यही कहा था कि यदि आप एयरलाइन शुरू करना चाहते हैं तो आपको पैसा देना होगा। आप जानते हैं कि मंत्री यह चाहते हैं..15 करोड़ रुपये।’’ टाटा ने कहा कि 1991 में समूह का चेयरमैन बनने के बाद उन्होंने रणनीतिक योजना बनाई थी। इसके तहत उनकी निगाह विमानन तथा रक्षा जैसे नए क्षेत्रांे पर थी जिनमें निजी क्षेत्र बड़े तरीके से प्रवेश कर सकता है।
उन्होंने कहा, ‘‘तथ्य यह है कि कई वषरें तक हम पर कई तरह के प्रतिबंध लगे थे और प्रौद्योगिकी नहीं मिल पा रही थी यह अपने आप में बड़ी चुनौती थी।’’ लेकिन यह चुनौती चुनौती देश के निजी क्षेत्र के सामने कभी नहीं रखी गयी जो ‘मेरे लिए कुछ निराशा की बात है।’ टाटा ने कहा कि सार्वजनिक क्षेत्र और सरकारी प्रयोगशालाओं के निहित स्वार्थी तत्व इन क्षेत्रों में निजी कंपनियों का प्रवेश नहीं होने देना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि यही वजह है कि आज इन क्षेत्रों को खोल तो दिया गया पर अब भी इनमें निजी क्षेत्र की भागीदारी काफी सीमित है। (एजेंसी)

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