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नई दिल्ली : दिल्ली हाईकोर्ट ने एयर इंडिया के लिए बड़ी संख्या में विमानों के कथित खरीद आदेश की केंद्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी) से जांच कराने के निर्देश देने के अनुरोध वाली जनहित याचिका पर अपना फैसला बुद्धवार को सुरक्षित रख लिया। इसके तहत 67,000 करोड़ रुपए की लागत से 111 विमान खरीदे जाने का आदेश दिया गया था।
जनहित याचिका पर दलीलों को सुनने के बाद मुख्य कार्यवाहक न्यायाधीश एके सिकरी तथा न्यायाधीश राजीव सहाय इंडला की पीठ ने कहा, फैसला सुरक्षित रख लिया गया है। याचिका 2020 में दायर की गई थी। इसमें विमान खरीद सौदे की जांच सीवीसी से कराने का निर्देश देने का अनुरोध किया गया है।
गैर सरकारी संगठन सेंटर फार पब्लिक इंटरेस्ट लिटिगेशन (सीपीआईएल) की तरफ से मामले में पैरवी कर रहे प्रशांत भूषण ने कहा कि इतने साक्ष्य उपलब्ध हैं जिसके आधार पर उस मामले की आपराधिक जांच का आदेश दिया जा सकता है जिससे सरकारी खजाने को काफी नुकसान हुआ।
कैग की रिपोर्ट का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि सौदा बर्बादी का नुस्खा था। एक तरफ जहां विमानों की खरीद का आदेश दिया गया वहीं दूसरी तरफ सार्वजनिक क्षेत्र की विमानन कंपनी ने विमान पट्टे पर लेने का प्रस्ताव दिया। भूषण ने कहा कि इतना ही नहीं, जो मुनाफे वाले मार्ग थे, वे निजी कंपनियों को दे दिये गए जबकि रिटर्न में कुछ नहीं मिला।
याचिका का विरोध करते हुए अतिरिक्त सोलीसीटर जनरल एएस चांडिओक ने कहा कि मामले में नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) की रिपोर्ट संसद की लोक लेखा समिति के पास है। समिति अपनी रिपोर्ट संसद को सौंपेगी। (एजेंसी)