और नरम पड़ी मुद्रास्फीति, घटकर 7.45 प्रतिशत हुई
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और नरम पड़ी मुद्रास्फीति, घटकर 7.45 प्रतिशत हुई

चावल, गेहूं, दालों और आलू जैसी खाद्य वस्तुओं के दाम बढ़ने के बावजूद अक्तूबर माह में थोक मूल्य सूचकांक पर आधारित मुद्रास्फीति थोड़ा नरम पड़कर 7.45 प्रतिशत पर आ गई।

नई दिल्ली : महंगाई दर घटने के बावजूद आम आदमी को राहत नहीं मिलती नजर आ रही है। चावल, गेहूं, दालों और आलू जैसी खाद्य वस्तुओं के दाम बढ़ने के बावजूद अक्तूबर माह में थोक मूल्य सूचकांक पर आधारित मुद्रास्फीति थोड़ा नरम पड़कर 7.45 प्रतिशत पर आ गई।
सितंबर में थोक मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति की दर 7.81 प्रतिशत और अक्तूबर, 2011 में यह 9.87 प्रतिशत पर थी। विशेषज्ञों का मानना है कि मुद्रास्फीति की दर अब भी ऊंची है और इसके कारण भारतीय रिजर्व बैंक अभी 18 दिसंबर को मौद्रिक नीति की मध्य तिमाही समीक्षा में भी ब्याज दरों में कटौती नहीं करेगा। अंतरराष्ट्रीय संबंधों पर भारतीय अनुसंधान परिषद (इक्रियर) के पूर्व निदेशक राजीव कुमार ने कहा, ‘महंगाई की दर अभी भी 7 प्रतिशत से ऊपर बनी हुई है। इससे रिजर्व बैंक के लिए ब्याज दरों में कटौती करना संभव नहीं दिखता।’ कुमार ने कहा कि अभी भी आपूर्ति पक्ष की समस्याओं को दूर करने की जरूरत है।
उद्योग जगत की राय है कि मूल्यवृद्धि की दर में गिरावट से रिजर्व बैंक को ब्याज दरों में कटौती का रास्ता मिलेगा जिससे औद्योगिक गतिविधियों में तेजी आएगी। उद्योग मंडल फिक्की के अध्यक्ष आर.वी. कनोड़िया ने कहा, ‘महंगाई की दर के आंकड़े नीचे आ रहे हैं। अगस्त के 8 प्रतिशत से से ये सितंबर में 7.81 प्रतिशत पर आ गए और अब अक्तूबर में 7.45 प्रतिशत पर हैं। इससे रिजर्व बैंक को अपनी मौद्रिक नीति वृद्धि को ध्यान में रखकर बनाने में मदद मिलेगी।’
बैंक आफ बड़ौदा की मुख्य अर्थशास्त्री रूपा रेगे नित्सुरे ने कहा कि रिजर्व बैंक उस समय तक इंतजार करेगा, जब तक मुद्रास्फीति में एक प्रतिशत की कमी नहीं आती। इस बार अक्तूबर में खाद्य मुद्रास्फीति हालांकि घटकर 6.62 प्रतिशत रही जो इससे पिछले महीने 7.86 प्रतिशत के स्तर पर थी। थोक मूल्य सूचकांक में खाद्य वस्तुओं की हिस्सेदारी 14.3 प्रतिशत की है। वैसे अक्तूबर माह में गेहूं की कीमतें साल भर पहले की तुलना में 19.78 प्रतिशत ऊंची थी। सितंबर में गेहूं एक साल पहले की तुलना में 18.63 प्रतिशत महंगा था। अक्तूबर के दौरान मोटे अनाज मासिक आधार पर 14.35 फीसद महंगे रहे, जबकि सितंबर में इनके दाम 14.18 प्रतिशत बढ़े थे।
सालाना आधार पर आलू के दाम 49.13 प्रतिशत, दालांे के 20 प्रतिशत और चावल के 11.40 प्रतिशत बढ़े।
हालांकि, समीक्षाधीन महीने में सब्जियों की कीमतों में सालाना आधार पर 7.45 प्रतिशत की गिरावट आई, वहीं प्याज इस दौरान 8.99 प्रतिशत सस्ता हुआ। इसी के साथ बाजरा कीमतों में 6 प्रतिशत और समुद्री मछली में 5 प्रतिशत की गिरावट आई। ईंधन और बिजली वर्ग में महंगाई की दर 11.88 प्रतिशत से घटकर 11.71 प्रतिशत पर आ गई। हालांकि, माह के दौरान डीजल 14.60 प्रतिशत महंगा हुआ।
विनिर्मित वस्तुओं की श्रेणी में रेशमी कपड़े, हाथ से बने कपड़ों, लोहा एवं इस्पात, कागज और कागज उत्पाद, रबड़, प्लास्टिक उत्पादों के दामों में बढ़ोतरी पिछले साल के इसी माह की तुलना में कम रही। (एजेंसी)

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