गरीबी उन्मूलन नीति के दिख रहे परिणाम: मोंटेक

योजना आयोग का मानना है कि सरकार की गरीबी उन्मूलन के लिए अपनाई जा रही रणनीति के अनुकूल परिणाम दिखने लगे हैं।

नई दिल्ली : योजना आयोग का मानना है कि सरकार की गरीबी उन्मूलन के लिए अपनाई जा रही रणनीति के अनुकूल परिणाम दिखने लगे हैं।
योजना आयोग के उपाध्यक्ष मोंटेक सिंह अहलूवालिया ने कहा कि 11वीं योजना के अंतिम वर्ष 2011-12 तक गरीबी में दो प्रतिशत कमी लाने के शुरुआती अनुमान के साथ सरकार की विकास रणनीति मेल खाती दिख रही है।
मोंटेक सिंह ने मंगलवार को यहां चौथे ओईसीडी विश्व फोरम को संबोधित करते हुए कहा, वर्ष 2011-12 के आंकड़े अब उपलब्ध हैं। एक-दो व्यक्ति जो इस कार्य से जुड़े हैं, उनका यह मानना है कि जब अंतिम आंकड़े उपलब्ध होंगे तो गरीबी में कमी दो प्रतिशत तक पहुंच जाएगी।
उन्होंने कहा कि विशेषज्ञों के बीच इस बात को लेकर आम सहमति है कि बेशक गरीबी कम होने की रफ्तार ज्यादा नहीं रही है लेकिन देश में गरीबी कम हुई है।
अहलूवालिया ने कहा कि वर्ष 1993-94 से 2004-05 के बीच गरीबी की दर सालाना 0.76 प्रतिशत कम हुई है, इससे यह आभास मिला कि गरीबी में कमी आ रहा है। शुरुआती संकेतों के अनुसार 11वीं पंचवर्षीय योजना में गरीबी कम होने की दर दोगुनी होकर 1.5 प्रतिशत हो गई। हालांकि, उन्होंने माना कि यह कमी दो प्रतिशत के सालाना लक्ष्य से कम रही है।
योजना आयोग के अनुमान के अनुसार, वर्ष 2004-05 में गरीब आबादी 37.2 प्रतिशत से घटकर वर्ष 2009-10 में 29.8 प्रतिशत रह गई।
इस दौरान ग्रामीण क्षेत्रों में गरीबी के अनुपात में 8 प्रतिशत कमी हुई जबकि शहरी क्षेत्रों में इसमें 4.8 प्रतिशत की कमी आई। ग्रामीण क्षेत्रों में यह 41.8 प्रतिशत से घटकर 33.8 प्रतिशत और शहरी क्षेत्रों में 25.7 से घटकर 20.9 प्रतिशत रह गई।
आयोग के अनुसार आलोच्य अवधि में शहरी क्षेत्रों की तुलना में ग्रामीण क्षेत्रों में गरीबी ज्यादा तेजी से कम हुई। वर्ष 2004-05 में देश में गरीबी रेखा से नीचे रहने वाली जनसंख्या जहां 40.72 करोड़ थी वहीं 2009.10 में यह घटकर 34.47 करोड़ रह गई। (एजेंसी)

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