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नई दिल्ली : वैश्विक बाजार में छाई मंदी को देखते हुए चालू वित्त वर्ष के दौरान देश का निर्यात कारोबार 300 अरब डॉलर से कम रह सकता है। वाणिज्य एवं उद्योग मंडल एसोचैम के एक अध्ययन में यह निष्कर्ष सामने आया है।
पिछले वित्त वर्ष के दौरान भारत का निर्यात 304 अरब डॉलर था।
उद्योग संगठन ने सुझाव दिया है कि विश्व बाजार की मौजूदा परिस्थितियों में निर्यात कारोबार से जुड़े श्रम प्रधान क्षेत्रों को अधिक से अधिक प्रोत्साहन दिए जाने की आवश्यकता है।
अध्ययन के अनुसार, यदि हम रत्न एवं आभूषण और हस्तशिल्प जैसे श्रम प्रधान क्षेत्रों में रोजगार सुरक्षित रखना चाहते हैं तो निर्यात क्षेत्र को अधिक से अधिक प्रोत्साहन दिए जाने की आवश्यकता है।
इसके अनुसार विश्व बाजार की मौजूदा परिस्थितियों में भरसक प्रयास करने के बाद भी निर्यात पिछले वर्ष के बराबर 304 अरब डॉलर ही रह सकता है। अध्ययन में कहा गया है कि वर्ष 2013.14 तक देश के निर्यात कारोबार को 500 अरब डॉलर तक पहुंचाने का लक्ष्य हासिल करना काफी मुश्किल काम है।
अप्रैल-जून की पहली तिमाही अवधि में इस साल निर्यात कारोबार पिछले साल की तुलना में 1.7 प्रतिशत घटकर 75.2 अरब डॉलर रह गया जबकि पिछले साल यह 76.5 अरब डॉलर रहा था।
आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार अप्रैल में निर्यात में 3.2 प्रतिशत की मामूली वृद्धि दर्ज की गई, इसके बाद मई और जून में स्थिति और खराब हो गई। मई में निर्यात 4.16 प्रतिशत और जून में 5.45 प्रतिशत घट गया।
एसोचैम अध्यक्ष राजकुमार एन. धूत ने कहा, भारतीय सामानों के निर्यात के मुख्य बाजार यूरोप में स्थिति में सुधार होने के बजाय यह पहले से भी ज्यादा खराब हुई है। यह चिंता का विषय है और हमें निर्यात की गिरावट को रोकने के लिए तुरंत आवश्यक उपाय करने चाहिए।
उद्योग संगठन ने कहा है कि यदि वैश्विक बाजार की स्थिति ऐसी ही बनी रही तो देश का कुल निर्यात कारोबार 297 से 300 अरब डॉलर के बीच रह सकता है। (एजेंसी)