भारतीय रिजर्व बैंक ने होम लोन देने के नियमों को किया सख्त

रिजर्व बैंक ने बैंकों से कहा है कि वे आवास परियोजनाओं के लिए ऋण निर्माण कार्य में प्रगति के साथ चरणबद्ध तरीके से जारी करें। खरीदारों के हित में यह निर्देश दिया गया है। आवास वित्त के क्षेत्र में नित नयी इजाद वाली ऋण योजनाओं की घोषणा को देखते हुये रिजर्व बैंक ने यह कदम उठाया है।

मुंबई : रिजर्व बैंक ने बैंकों से कहा है कि वे आवास परियोजनाओं के लिए ऋण निर्माण कार्य में प्रगति के साथ चरणबद्ध तरीके से जारी करें। खरीदारों के हित में यह निर्देश दिया गया है। आवास वित्त के क्षेत्र में नित नयी इजाद वाली ऋण योजनाओं की घोषणा को देखते हुये रिजर्व बैंक ने यह कदम उठाया है।
रिजर्व बैंक ने बैंकों से कहा है कि वह आवास ऋण का वितरण निर्माण के विभिन्न चरणों के पूरा होने के साथ करें। रिजर्व बैंक अधिसूचना में कहा गया है मंजूरशुदा आवास ऋण के एकमुश्त वितरण अथवा ग्राहकों की सुविधा के मुद्दों के साथ उंचे जोखिम को देखते हुये बैंकों को यह हिदायत दी जाती है कि व्यक्तियों के मंजूरीप्राप्त आवास ऋण का वितरण आवासीय परियोजना के विभिन्न चरणों के निर्माण के साथ जोड़ी जानी चाहिये ।
रिजर्व बैंक ने कहा है कि नई आवासीय परियाजनाओं, निर्माणाधीन परियोजनाओं और अधूरी परियोजनाओं के मामले में पहले ही ऋण का वितरण नहीं किया जाना चाहिये। रिजर्व बैंक की यह अधिसूचना बैंकों के उस कदम के बाद आई है जहां कुछ बैंकों ने डेवलपर्स, बिल्उर्स के साथ मिलकर नई-नई आवासीय ऋण योजनाओं की शुरुआत की है। इन योजनाओं में बिल्डरों और डेवलपरों को निर्माण कार्यों के साथ जोड़े बिना ही आवास ऋण पहले ही उपलब्ध करा दिया गया।
इस तरह की कई योजनाओं में आवास ऋण पर ब्याज और मासिक किस्तों का भुगतान भी निर्माण अवधि के दौरान बिल्डर द्वारा किया जाता है। रिजर्व बैंक के अनुसार इस तरह के ऋण उत्पादों को आमतौर पर 80:20 और 75:25 योजना के नाम से जाना जाता है।
रिजर्व बैंक ने कहा कि इस तरह के आवास ऋण उत्पाद बैंकों और कर्ज लेने वाले ग्राहक दोनों के लिये अतिरिक्त जोखिम वाले हो सकते हैं। यह जोखिम बिल्डर और ग्राहकों के बीच विवाद के रूप में सामने आ सकता है, बिल्डर की तरफ से ब्याज अथवा मासिक किस्तों के भुगतान में देरी अथवा भुगतान नहीं होने, या फिर परियोजना के तय समय के भीतर पूरा नहीं होने पर जोखिम बढ़ सकता है।
केन्द्रीय बैंक ने कहा है कि ऐसे मामलों में जहां निर्माण के विभिन्न चरणों के साथ भुगतान की शर्त के बिना ही व्यक्तिगत ग्राहकों की तरफ से सीधे डेवलपर्स को मोटी रकम पहले ही जारी कर दी जाती है, ऐसे मामलों में बैंकों के समक्ष जोखिम बड़ा होता है और धन का दुरूपयोग भी हो सकता है।
रिजर्व बैंक ने कहा है कि ग्राहक की सुविधा और उपयुक्तता के ध्यान में रखते हुये बैंक जब कोई भी ऋण उत्पाद पेश करते हैं तो यह सुनिश्चित किया जाना चाहिये कि कर्ज लेने वाले ग्राहक को उसकी देनदारी के जोखिम से पूरी तरह अवगत करा दिया जाये।
केन्द्रीय बैंक ने 21 जून को मूल्य के समक्ष ऋण के नये औसत तय करते हुये बैंकों के लिये ऋण सीमा तय की है। 20 लाख रुपये तक के कर्ज पर 90 प्रतिशत ऋण दिया जायेगा 10 प्रतिशत ग्राहक को देना होगा। 20 लाख से 75 के कर्ज पर 80:20 का औसत होगा। जबकि 75 लाख से अधिक के कर्ज पर यह औसत 75:25 का होगा। (एजेंसी)

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