सेबी ने खारिज की रिलायंस समूह की 16 अर्जियां
Advertisement

सेबी ने खारिज की रिलायंस समूह की 16 अर्जियां

शेयर बाजार नियामक सेबी ने शेयर बाजार में गड़बड़ी के विभिन्न मामलों में सम्मतिपूर्ण निर्णय के लिए दाखिल 149 अर्जियां खारिज कर दी हैं। इन अर्जियों में 16 अर्जियां रिलायंस इंडस्ट्रीज लि. सहित रिलायंस इंडस्ट्रीज समूह की इकाइयों की तरफ से पेश की गई थीं।

मुंबई : शेयर बाजार नियामक सेबी ने शेयर बाजार में गड़बड़ी के विभिन्न मामलों में सम्मतिपूर्ण निर्णय के लिए दाखिल 149 अर्जियां खारिज कर दी हैं। इन अर्जियों में 16 अर्जियां रिलायंस इंडस्ट्रीज लि. सहित रिलायंस इंडस्ट्रीज समूह की इकाइयों की तरफ से पेश की गई थीं।
सेबी का मानना है कि संबंधित मामलों को केवल कुछ शुल्क लगा कर नहीं निपटाया जा सकता। रिलायंस इंडस्ट्रीज के बड़े अधिकारियों में एक और चेयरमैन मुकेश अंबानी के करीबी मनोज मोदी की अर्जी भी खारिज कर दी गयी है। जिन फर्मों और व्यक्तियों के आदेवन खारिज किए गए हैं उनमें ब्रोकरेज फर्म इंडिया इन्फोलाइन और एचएसबीसी इनवेस्टडाइरेक्ट सिक्युरिटीज के नाम भी शामिल हैं।
भारतीय प्रतिभूति एवं विनियम बोर्ड (सेबी) की तथाकथित ‘सहम्मतिपूर्ण निर्णय’ या आदेश व्यवस्था के तहत यदि कंपनियां कुछ निश्चित शुल्क भुगतान और बाजार से कमाए गए धन को उगलने को तैयार हों, और नियामक उसे स्वीकृति योग्य पाता हो, तो उसे सम्मतिपूर्ण आदेश के साथ निपटाया जा सकता है।
यह व्यवस्था पुरानी है पर सेबी ने पिछले साल मई में इसके प्रावधानों को कुछ और कड़ा किया था नयी व्यवस्था में भेदिया कारोबार जैसे कुछ मामलों पर सम्मतिपूर्ण आदेश के लिए पेश अर्जी नहीं निपटाई जा सकती। सेबी ने एक स्थिति रिपोर्ट में कहा है कि सम्मति के आदेश की 149 आर्जियां खारिज कर दी गयी हैं क्योंकि वे संशोधित दिशानिर्देशों के अनुरूप नहीं हैं और इन मामलों में कार्यवाही कानून के मुताबिक जारी रहेगी।
रिलायंस समूह की खरिज अर्जियों में 13 रिलायंस पेट्रोलियम लि. से संबंधित मामले से जुड़ी हैं। इस कंपनी का अब रिलायंस इंडस्ट्रीज लि में विलय हो चुका है। इन मामलों में शेयर कारोबार में धोखाधड़ी एवं अनुचित व्यापार व्यवहार रोकथाम के लिए सेबी के नियमों के उल्लंघन के आरोप हैं।
समूह की फर्मों और व्यक्तियों के खिलाफ बाकी तीन आदेन आरआईएल समूह की एक अन्य पूर्ववर्ती कंपनी इंडियन पेट्रोकेमिकल्स कारपोरेशन (आईपीसीएल) के मामले में शेयरों के भेदिया कारोबार रोधी नियमन के कथित उल्लंघन करने से जुड़े हैं। आईपीसीएल सरकारी कंपनी थी जिसे पिछले दशक के पूर्वार्ध में सरकार के विनिवेश कार्यक्रम के तहत रिलायंस समूह ने मुकेश अंबानी की अगुवाई वाले रिलायंस समूह द्वारा अधिग्रहण कर लिया गया था दोनों ही कंपनियां. रिलायंस पेट्रोलियम और आईपीसीएल शेयर बाजार में सूचीबद्ध थीं। आरआईएल द्वारा इनका अधिग्रहण किए जाने के बाद शेयर बाजार में इनकी सूचीबद्धता समाप्त करा दी गई थी। (एजेंसी)

Trending news