‘अमेरिकी कंपनियों को भारत की राह आसान नहीं’
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‘अमेरिकी कंपनियों को भारत की राह आसान नहीं’

भारत-अमेरिका व्यापार में उल्लेखनीय बढ़ोतरी और भारत की आर्थिक नीतियों में सुधार के लिए हाल में उठाए गए कदमों के बावजूद अमेरिकी कंपनियों को वहां व्यापार और शुल्क संबंधी अनेक बाधाओं का सामना करना पड़ता है।

वाशिंगटन : भारत-अमेरिका व्यापार में उल्लेखनीय बढ़ोतरी और भारत की आर्थिक नीतियों में सुधार के लिए हाल में उठाए गए कदमों के बावजूद अमेरिकी कंपनियों को वहां व्यापार और शुल्क संबंधी अनेक बाधाओं का सामना करना पड़ता है। अमेरिकी व्यापार प्रतिनिधि (यूएसटीआर) ने अपनी ताजा रपट में इन दिक्कतों का जिक्र किया है। अमेरिकी अधिकारियों का मानना है कि इन बाधाओं के चालते अमेरिकी कंपनियां भारत के साथ कारोबार की पूरी संभावनाओं का फायदा नहीं उठा पाती हैं।
‘2013 का राष्ट्रीय व्यापार आकलन: विदेश व्यापार की बाधाएं’ शीषर्क इस रपट में कहा गया है कि अमेरिका ने भारतीय बाजार में प्रवेश उदार करने के लिए द्विपक्षीय और बहुपक्षीय स्तरों पर बराबर प्रयास किए हैं। पर भारत सरकार द्वारा आर्थिक नीतियों सुधार के लिए किए जा रहे प्रयासों के बावजूद वहां अमेरिकी कंपनियों को वहां वस्तुओं के निर्यात में शुल्क और गैर शुल्कीय बाधाओं का सामना करना पड़ता है।’ कल यहां जारी रपट के मुताबिक भारत के साथ अमेरिका का वस्तु व्यापार घाटा 2012 में 18.2 अरब डालर था जो 2011 के में 3.5 अरब डालर था।
यूएसटीआर की रपट के मुताबिक भारत फिलहाल अमेरिकी वस्तुओं के लिए 18वां सबसे बड़ा बाजार है। अमेरिका ने 2012 में भारत को 22.3 अरब डालर की वस्तु निर्यात किया जो एक साल पहले 3.9 अरब डालर था। इसी दौरान भारत से उसका वस्तु आयात 12.1 प्रतिशत बढ कर 40.5 अरब डालर हो गया। (एजेंसी)

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