कोलकाता : भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) ने आज सुझाव दिया कि बैंकों अथवा आवास वित्त कंपनियों द्वारा दिए जाने वाले सभी तरह के आवास रिण का नियमन सिर्फ भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा किया जाना चाहिये। स्टेट बैंक के अध्यक्ष प्रतीप चौधरी ने आईसीसी बैंकिंग सम्मेलन के मौके पर यहां कहा ‘‘मुझे आवास रिण का अलग नियामक होने का कोई औचित्य नहीं दिखाई देता। यदि आवास रिण सहित सभी तरह के रिण के लिए रिजर्व बैंक ही एकमात्र नियामक बनता है तो शायद नियामक का उद्देश्य बेहतर तरीके से पूरा हो सकेगा।’’ उन्होंने कहा कि फिलहाल देश में वितरित होने वाले कुल आवास रिण में दो तिहाई रिण का वितरण बैंक करते हैं। एक नियामक होने से सभी के लिये उसके एक जैसे नियम होंगे। इससे बैंकों और आवास वित्त कंपनियों के बीच जो नियामकीय फर्क है उसे समाप्त करने में मदद मिलेगी।
फिलहाल, रिजर्व बैंक वाणिज्य बैंकों द्वारा दिए जाने वाले आवास रिण का नियमन करता है, जबकि एचडीएफसी लिमिटेड, एलआईसी हाउसिंग फाइनेंस कंपनी लिमिटेड जैसी अवास वित्त कंपनियां भी आवास रिण देती हैं, लेकिन इनका नियमन राष्ट्रीय आवास बैंक :एनएचबी: करता है।
रिजर्व बैंक ने इससे पहले स्टेट बैंक की दोहरे ब्याज दर वाली आवासीय योजना पर आपत्ति जताई थी। चौधरी ने कहा ‘‘यदि कोई बैंक आवास रिण के मामले में शुरुआती वषोर्ं में सस्ती ब्याज दर रखता है और बाद के वषोर्ं में उंची ब्याज दर वसूलता है तो इस प्रकार की योजना को ‘लुभाने वाली रिण योजना’ कहा जाता है। इसके बावजूद बैंकों को इसके लिये अलग प्रावधान भी करना पडता है, लेकिन आवास रिण के क्षेत्र में काम करने वाले दूसरी कंपनियों के लिये इस तरह के नियम क्यों नहीं होने चाहिये?’’ इस बीच स्टेट बैंक ने रिजर्व बैंक से न्यूनतम जमा अवधि सात दिन से घटाकर तीन दिन करने का आग्रह किया है। इससे ग्राहकों को और अधिक सुविधा होगी। चौधरी ने कहा ‘‘ये ऐसे मुद्दे नहीं हैं जिनसे मुद्रास्फीति बढ़ेगी अथवा वित्तीय स्थायित्व में अस्थिरता पैदा हो जायेगी बल्कि इससे बैंक ग्राहकों को सुविधा बढ़ेगी।’’ सात दिन की जमा और तीन दिन की जमा में नकदी जोखिम में कोई बड़ा अंतर नहीं है लेकिन सवाल इस बात का है कि बैंकों को इस सुविधा से क्यों वंचित रखा जाना चाहिये? (एजेंसी)
आवास ऋण
`सभी तरह के आवास ऋण का नियमन RBI करे`
भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) ने आज सुझाव दिया कि बैंकों अथवा आवास वित्त कंपनियों द्वारा दिए जाने वाले सभी तरह के आवास रिण का नियमन सिर्फ भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा किया जाना चाहिये।
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