`IOA के निलंबन की वजह दागी ललित भनोट का चुनाव भी`

अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति (आईओसी) ने बुधवार को एक बयान में कहा कि दागी ललित भनोट का चुना जाना भी भारतीय ओलंपिक संघ (आईओए) के निलंबन की वजह है।

ज़ी न्‍यूज ब्‍यूरो
नई दिल्ली/लुसाने (स्विट्जरलैंड) : अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति (आईओसी) ने बुधवार को एक बयान में कहा कि दागी ललित भनोट का चुना जाना भी भारतीय ओलंपिक संघ (आईओए) के निलंबन की वजह है।
इंटरनेशनल ओलंपिक कमेटी के अपने एक बयान में कहा कि ललित भनोट एक घोटाले में आरोपी हैं, ऐसे में आईओए के खिलाफ कार्रवाई की गई है। गौर हो कि आईएओ चुनाव में भनोट निर्विरोध महासचिव चुने गए थे। भनोट सीडब्‍ल्‍यू घोटाले में आरोपी हैं। कमेटी ने आईएओ के चुनाव को भी अवैध करार दिया था।
गौर हो कि भारत को उस समय शर्मनाक स्थिति का सामना करना पड़ा जब आईओसी ने मंगलवार को भारतीय ओलंपिक संघ (आईओए) को सरकारी हस्तक्षेप के कारण निलंबित कर दिया। इस निलंबन के बाद भारत ओलंपिक में हिस्सा नहीं ले पाएगा। निलंबन के औपचारिक फैसले की घोषणा लुसाने में कार्यकारी बोर्ड की बैठक के पहले दिन की समाप्ति के बाद होगी।
इस फैसले की पहले से ही आशंका थी क्योंकि आईओए ने अपने पांच दिसंबर होने वाले चुनाव सरकार की खेल संहिता के मुताबिक कराने का फैसला किया था और इस तरह आईओसी के इस निर्देश को ठुकरा दिया था कि चुनाव ओलंपिक चार्टर के अनुसार हों। अधिकारियों ने नाम जाहिर नहीं करने की शर्त पर यह जानकारी दी है क्योंकि अभी आधिकारिक घोषणा नहीं हुई है।
आईओसी लगातार आईओए से कह रहा था कि वह चुनाव में सरकार की खेल संहिता का पालन नहीं रहे क्योंकि यह ओलंपिक चार्टर का उल्लंघन और उसकी स्वायत्ता के साथ समझौता होगा। आईओए हालांकि यह कहते हुए आगे बढ़ गया कि वह दिल्ली उच्च न्यायालय के आदेश को मानने के लिए बाध्य है। इस निलंबन के बाद आईओए को आईओसी से मिलने वाला कोष रुक जाएगा और उसके अधिकारियों के ओलंपिक बैठकों और प्रतियोगिताओं में शामिल होने पर प्रतिबंध होगा।
भारतीय एथलीटों के ओलंपिक प्रतियोगिताओं में अपने राष्ट्र ध्वज तले हिस्सा लेने पर प्रतिबंध होगा लेकिन वे आईओसी के ध्वज तले इन प्रतियोगिताओं में हिस्सा ले सकते हैं। आईओए के आला अधिकारियों ने कहा कि उन्हें इस फैसले की जानकारी नहीं है क्योंकि अभी तक उन्हें कोई सूचना नहीं भेजी गई है।
उधर, खेल मंत्री जितेंद्र सिंह ने कहा कि यह भारत के खेल समुदाय के लिए ‘दुर्भाग्यपूर्ण फैसला’ है। जितेंद्र ने कहा कि जब हमें पता चला कि समस्या बढ़ रही है तो हमने आईओसी को पत्र लिखा, लेकिन उन्होंने कभी जवाब नहीं दिया। आईओए के पास आईओसी के फैसले को खेल मध्यस्थता अदालत में चुनौती देने का विकल्प है।
आईओसी के इस फैसले के बाद आज होने वाले आईओए चुनावों पर अनिश्चितता के बाद छा गए हैं। अभय सिंह चौटाला को हालांकि पहले ही निर्विरोध आईओए अध्यक्ष चुन लिया गया है। राष्ट्रमंडल खेल घोटाले में आरोपों का सामना कर रहे ललित भनोट को भी निर्विरोध महासचिव चुना गया है।
वहीं, आईओए के कार्यकारी प्रमुख वीके मल्होत्रा ने कहा कि वे पिछले दो साल से सरकार से कह रहे थे कि आईओए पर खेल संहिता लागू नहीं करें लेकिन इसका कोई फायदा नहीं हुआ। उन्होंने कहा कि हमने 23 नवंबर को प्रधानमंत्री को पत्र लिखा था कि ऐसा हो सकता है लेकिन कोई जवाब नहीं आया। इसके लिए सरकार जिम्मेदार है। उन्होंने कहा कि हम चाहते हैं कि सरकार, आईओसी और आईओए एक साथ बैठकर इस मुद्दे का हल निकाले, जिससे कि भारत पर लगा निलंबन हट सके।
इसके साथ ही भारत उन कुछ एक देशों की कतार में शामिल हो गया है जिन्हें खेल की वैश्विक संस्था के निलंबन का सामना करना पड़ा है। आईओसी के इस फैसले के बाद देश के शीर्ष एथलीट नाराज हैं। आईओसी ने पिछले हफ्ते साफ कर दिया था कि अगर आईओए के चुनाव सरकार की खेल संहिता के अंतर्गत हुए तो वह अपने कार्यकारी बोर्ड में भारत को निलंबित करने का प्रस्ताव रखेगा।

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