फिक्सिंग: बीसीसीआई मामले में हस्तक्षेप नहीं करेगी सरकार

आईपीएल में स्पाट फिक्सिंग के कारण भले ही बीसीसीआई को लेकर सवाल खड़े किये जा रहे हों लेकिन सरकार ने ‘जब तक बहुत जरूरी नहीं हो’ तब तक हस्तक्षेप करने से इनकार किया है लेकिन साफ किया कि क्रिकेट की इस संस्था को ‘पारदर्शी’ होना चाहिए और भ्रष्टाचार को रोकने के लिये उसकी उद्देश्यपरक प्रणाली होनी चाहिए।

नई दिल्ली : आईपीएल में स्पाट फिक्सिंग के कारण भले ही बीसीसीआई को लेकर सवाल खड़े किये जा रहे हों लेकिन सरकार ने ‘जब तक बहुत जरूरी नहीं हो’ तब तक हस्तक्षेप करने से इनकार किया है लेकिन साफ किया कि क्रिकेट की इस संस्था को ‘पारदर्शी’ होना चाहिए और भ्रष्टाचार को रोकने के लिये उसकी उद्देश्यपरक प्रणाली होनी चाहिए। कानून मंत्री कपिल सिब्बल ने कहा कि सरकार को जितना संभव हो खेलों से दूर रहना चाहिए क्योंकि इससे खेलों को नुकसान होगा। उन्होंने कहा, ‘‘सरकार खेलों को नहीं चला सकती है। सरकार खेल गतिविधियों में शामिल होती है तो इससे खेलों को नुकसान होगा।’’ सिब्बल से पूछा गया था कि क्या सरकार को भारतीय क्रिकेट बोर्ड के कामकाज में हस्तक्षेप करना चाहिए क्योंकि स्पाट फिक्सिंग के आरोपों के बाद उसके काम करने के तरीके को लेकर सवाल उठाये जा रहे हैं। उन्होंने कहा, ‘‘मैं यह नहीं कह रहा हूं कि प्रत्येक स्थिति में लेकिन जहां तक संभव हो सरकार को खुद को दूर रखना चाहिए। लेकिन जब बहुत जरूरी बन जाए तो और कोई रास्ता नहीं बचा हो तो फिर सरकार हस्तक्षेप कर सकती है। ’’

मशहूर वकील सिब्बल ने कहा कि खेल संगठनों को खुद ही समाधान ढूंढने के लिये प्रोत्साहित किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा, ‘‘यदि खेलों में भ्रष्टाचार है तो फिर स्वयं संगठन ही उसका समाधान निकाल सकता है। उसे सारी व्यवस्था को साफ सुथरा बनाने के लिये कड़े कदम उठाने होंगे। ’’ सिब्बल ने कहा, ‘‘मैं समझता हूं कि यह संगठन की प्राथमिक जिम्मेदारी है तथा महासंघ को ऐसी व्यवस्था अपनानी चाहिए जिसमें पारदर्शिता हो, जो उद्देश्यपरक हो ताकि इस तरह के भ्रष्टाचार को पनपने का मौका नहीं मिले। ’’ कानून मंत्री का ध्यान जब इस तरह दिलाया गया कि खेलों में मैच फिक्सिंग और स्पाट फिक्सिंग जैसी गतिविधियां हो सकती हैं, उन्होंने कहा, ‘‘यदि आपराधिक कृत्य शामिल है तो फिर कानून को अपना काम करने देना चाहिए। ’’ बीसीसीआई को सूचना के अधिकार अधिनियम (आरटीआई) के तहत लाने की मांग के बारे में सिब्बल ने कहा कि इस पर खेल मंत्रालय को फैसला करना है।
पूर्व खेल मंत्री अजय माकन ने दिसंबर 2011 में बीसीसीआई को आरटीआई के तहत लाने का पक्ष लिया था। बीसीसीआई ने इस तरह के किसी भी कदम का विरोध किया। उसका कहना है कि वह निजी संस्था है और आरटीआई केवल सरकारी संगठनों या उससे वित्तीय सहायता प्राप्त करने वाले संगठनों पर लागू होता है। माकन के मातहत खेल मंत्रालय का कहना था कि भले ही बीसीसीआई सीधे तौर पर सरकार से वित्तीय सहायता नहीं लेता है लेकिन वह ‘आयकर में छूट, सीमा शुल्क आदि तथा स्टेडियमों के लिये रियायती दरों पर जमीन लेने के रूप में सरकार से पर्याप्त अप्रत्यक्ष मदद लेता है। खेल मंत्रालय ने तब कहा था कि बीसीसीआई राष्ट्रीय टीम का चयन और अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में भारत का प्रतिनिधित्व करके ‘राज्य’ की तरह कामकाज करता है और सार्वजनिक कर्तव्यों का निर्वहन करता है। (एजेंसी)

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