अगर भारत का पाक से युद्ध हुआ तो...

अगर पाकिस्तान इसी तरह से संघर्ष विराम का लगातार उल्लंघन करता रहा तो फिर भारत को इसका कड़ा जवाब देना पड़ेगा और देना भी चाहिए। लेकिन अगर दोनों देशों के बीच युद्ध के हालात पैदा हुए तो भारत को भी यह देखना होगा कि देश के आंतरिक हालात व वैश्विक स्तर पर माहौल कितने माकूल हैं।

रामानुज सिंह
नियंत्रण रेखा के पास जम्मू के पूंछ इलाके में घुसकर पाकिस्तानी सेना ने दो भारतीय जवानों की हत्या और उनमें से एक के सिर काटकर अपने साथ ले जाने की घटना के बाद सीमा पर भारी तनाव हो गया है। पाकिस्तानी सेना के इस जघन्य कृत्य से देश में भी पाकिस्तान के खिलाफ जबरदस्त गुस्सा है। भारत में जगह-जगह प्रदर्शन हो रहे हैं। बावजूद इसके नियंत्रण रेखा पर संघर्ष विराम का उल्लंघन लगातार जारी है। पाकिस्तान की इस विद्वेषात्मक कार्रवाई को लेकर भारतीय रक्षा मंत्री एके एंटनी समेत सेनाध्यक्षों ने भी रोष जताया है। एयर चीफ मार्शल एन.ए.के. ब्राउन ने तो यहां तक कह डाला कि अगर संघर्ष विराम का उल्लंघन जारी रहा तो दूसरे विकल्पों पर विचार किया जा सकता है। इससे साफ है अगर पाकिस्तान अपनी हदें इसी तरह से पार करता रहा तो भारत पाकिस्तान से एक और युद्ध लड़ने से परहेज नहीं करेगा।
भारत हमेशा की तरह शांति का पक्षधर रहा है, लेकिन पाकिस्तान शांति की आड़ में भारतीय सेना पर फायरिंग करता रहा है। पिछले तीन साल में पाक ने करीब 200 से ज्यादा बार संघर्ष विराम का उल्लंघन किया गया है। जबकि नवंबर 2003 में संघर्ष विराम की घोषणा की गई थी। जाहिर है पाकिस्तान की नीयत में खोट है। पाकिस्तान से जब-जब रिश्ते सुधारने की बात होती है, तब-तब पाकिस्तान का दोहरा चरित्र सामने आता है। 1998 में तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने दोस्ती का हाथ बढ़ाते हुए लाहौर यात्रा की। ऐसा लगा, दोनों देशों ने पुराने कटुता को भुला दिया। अमन-चैन का वातावरण कायम हो गया। लेकिन पाक सेना के दिल में तो कुछ और ही चल रहा था। उसने सर्दियों के मौसम में घुसपैठ जारी रखा। फलस्वरूप 1999 में करगिल युद्ध हुआ। उसके बाद पाकिस्तान के साथ कई वर्षों तक क्रिकेट और राजनयिक संबंध खत्म कर दिए गए, लेकिन कई वर्षों बाद रिश्तों को फिर पटरी पर लाने की कोशिश की गई और संबंध सामान्य हुए। इस बीच पाक पोषित आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैय्यबा ने 26/11 के मुंबई हमले को अंजाम दिया। फिर रिश्ते में खटास आ गई। किक्रेट संबंध समेत सारे रिश्ते समाप्त कर दिए गए। किन्तु दुनिया के देशों ने इस घटना की निंदा करते हुए एशिया में शांति कायम करने के लिए भारत को पाक से फिर बातचीत के जरिए रिश्तों को बेहतर बनाने की अपील की।

इसी कड़ी को आगे बढ़ाते हुए भारत ने पाकिस्तान के साथ बातचीत शुरू की। सचिव स्तर, विदेश मंत्री के स्तर तक कई दौर की वार्ता हुई। भारत के विदेश मंत्री पाकिस्तान गए। पाक के विदेश मंत्री भारत आए। एक बार फिर रिश्तों की मिठास फिजा में घुलने लगी। पाकिस्तान से क्रिकेट संबध बहाल हुए। पाक क्रिकेट टीम ट्वेंटी-20 और वनडे सीरीज खेलने के लिए भारत दौरे पर आई। भारतीय दर्शकों ने पाक क्रिकेटरों को सर आंखों पर बैठाया। पीसीबी अध्यक्ष जका अशरफ भारतीय दर्शकों की प्रशंसा के पुल बांधते हुए कहा, ‘भारत की मेजबानी से हम गदगद हो गए।‘ इससे पहले पाक के आंतरिक मंत्री रहमान मलिक भी भारत दौरे पर आए। उन्होंने भी रिश्ते को सुधरने की बात कही।
इसके बाद अचानक से वर्ष 2013 के पहले हफ्ते में पाकिस्तानी सेना ने संघर्ष विराम का उल्लंधन करते हुए भारतीय सीमा में घुसकर फायरिंग शुरू कर दी। हमले में भारत के दो जवान लांसनायक हेमराज और सुधाकर सिंह शहीद हो गए। उधर, पाक में रह रहे मुंबई आतंकवादी हमले का मास्टरमाइंड हाफिज सईद ने भारत के खिलाफ जहर उगलते हुए कश्मीर में हमले की धमकी दे डाली। इससे दोनों देशों के बीच फिर से रिश्ते में खटास आ गई। अगर पाक इसी तरह से संघर्ष विराम का लगातार उल्लंघन करता रहा तो फिर भारत को इसका कड़ा जवाब देना पड़ेगा और देना भी चाहिए। लेकिन अगर दोनों देशों के बीच युद्ध के हालात पैदा हुए तो भारत को भी यह देखना होगा कि देश के आंतरिक हालात व वैश्विक स्तर पर माहौल कितने माकूल हैं।
पूरी दुनिया को पता है कि भारत और पाकिस्तान दोनों देशों के पास परमाणु हथियार हैं। इस बात की भी आशंका जताई जा रही है कि अगर इस बार भारत-पाक में युद्ध हुआ तो परमाणु हथियार का इस्तेमाल हो सकता है। ऐसे में हिरोशिमा और नागासाकी के बाद दक्षिण एशिया में सबसे बड़ा नरसंहार होगा जिसका खामियाजा पूरी दुनिया को भुगतना होगा। अमेरिकी रक्षा विभाग के थिंक टैक का कहना है कि भारत-पाकिस्तान के बीच जम्मू-कश्मीर में चल रही आतंकी गतिविधियों की वजह से संघर्ष बढ़ेगा, जो परमाणु युद्ध में बदल जाएगा। इसके अलावा कई विदेशी सुरक्षा एजेंसियों ने भी चिंता जताई है कि पाक के परमाणु हथियार कट्टरपंथियों और आतंकियों के हाथ लगने से विश्व को खतरा होगा।
भारत-पाक में युद्ध हुआ तो जम्मू कश्मीर के अलगाववादी संगठन पाकिस्तान में स्थापित आतंकी संगठन अलकायदा, लश्कर-ए-तैय्यबा और तालिबान से मदद लेकर भारतीय सुरक्षा बलों पर हमले तेज कर सकते हैं। युद्ध की स्थिति में देश में आंतरिक हमले भी तेज हो सकते हैं। नक्सली इस मौके का फायदा उठाकर लाल गलियारा स्थापित करने की कोशिश करेंगे जिसे विदेशी ताकतों की मदद मिल सकती है। हाल में लातेहार में हुए नक्सली हमले में पाक निर्मित हथियार मिले थे जिससे नक्सली को पाकिस्तानी मदद की पुष्टि होती है। उत्तर पूर्व में बरसों से अलगाववादी संगठन अशांति फैलाए हुए हैं। युद्ध की हालात में सेना का ध्यान आंतरिक सुरक्षा से हटेगा और ये संगठन विदेशी आतंकी संगठनों की सहायता से अपनी गतिविधियां तेज कर सकते हैं। उल्फा जैसे उग्रवादी संगठन पुनः सक्रिय हो सकते हैं। पश्चिम बंगाल, असम, त्रिपुरा और मणिपुर राज्यों में बांग्लादेशी आतंकवादी घुसपैठ कर सकते हैं। इसके अलावा समुद्री सीमा से भी आतंकी घुसपैठ की कोशिश करने की आशंका प्रबल है।
भारत-पाक युद्ध होने पर अमेरिका को अफगानिस्तान में अपनी सेना की संख्या में इजाफा करना होगा। जो शायद अब मुमकिन नहीं होगा क्योंकि अमेरिका अफगानिस्तान से अपनी सेना धीरे-धीरे हटा रहा है। इसका फायदा उठाकर भारत विरोधी आफगानिस्तान और पाकिस्तान के आतंकी संगठन कश्मीर में घुसपैठ कर भारतीय सेना के लिए मुसीबत पैदा कर सकते हैं। युद्ध होने की स्थिति में अफगानिस्तान में तैनात नाटो सेना के लिए ज्यादातर सैन्य सामग्री पाक बंदरगाहों और पेशावर के सैन्य डिपो से ही अफगानिस्तान पहुंचाया जाता है। अगर युद्ध हुआ तो इन हथियारों का उपयोग पाकिस्तान भारत के विरुद्ध कर सकता है।
कहने का तात्पर्य यह कि अगर भारत-पाक में युद्ध हुआ तो भारतीय हुक्मरान को उक्त परिस्थितियों से निपटने के पूरे इंतजाम पहले से होने चाहिए ताकि युद्ध के दौरान हमारी सेना खुद को मुख्य दुश्मन पर फोकस कर सके। पड़ोसी देशों से युद्ध की स्थिति में अगर देश की आंतरिक हालत दुरुस्त नहीं होने पर हम लड़ाई में कमजोर पड़ सकते हैं। हालांकि हम यह नहीं कर रहे कि भारत को पाकिस्तान से दो-दो हाथ कर ही लेना चाहिए। निश्चित रूप से हम युद्ध से परहेज करें लेकिन अगर भारत को युद्ध करना ही पड़े तो उपर्युक्त बातों पर अवश्य गौर किया जाना चाहिए।

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