कब तलक छीनोगे `दुर्गा` की शक्ति

वैसे तो समस्‍त जगत की जननी और अधिष्‍ठात्री देवी मां दुर्गा को कहा जाता है। यह विदित है कि माता की शक्तियां अनंत, असीमित हैं और उन्‍होंने महिषासुर जैसे राक्षस का संहार कर जगत का कल्‍याण किया था। आज के इस `घोर` कलियुग में भी मानवता के कल्‍याण के लिए सुरक्षा कवच के तौर पर दुर्गा माता का होना जरूरी है।

बिमल कुमार
वैसे तो समस्‍त जगत की जननी और अधिष्‍ठात्री देवी मां दुर्गा को कहा जाता है। यह विदित है कि माता की शक्तियां अनंत, असीमित हैं और उन्‍होंने महिषासुर जैसे राक्षस का संहार कर जगत का कल्‍याण किया था। आज के इस `घोर` कलियुग में भी मानवता के कल्‍याण के लिए सुरक्षा कवच के तौर पर दुर्गा माता का होना जरूरी है। खैर, यहां `मां` शब्‍द के आशय से परे हटकर उन चीजों पर विचार करने का सवाल उठ खड़ा हुआ है, जिसकी मानव और मानवता के लिए सख्‍त जरूरत है।
यदि ईमानदार, सर्वहितैषी, नेकदिल शख्सियत से यह धरती विहीन हो जाएगी तो फिर आम जनों की रक्षा करने कौन सामने आएगा। जब शक्तियां होंगी तभी तो इनकी रक्षा हो पाएगी। यदि हम ताकत और अधिकार ही छीन लेंगे तो समाज और देश के सामने गंभीर संकट खड़ा होना लाजिमी ही है। हाल में कुछ ऐसा घटित हुआ, जिससे लगा कि `दुर्गा` पूरी तरह शक्तिविहीन हो गई है, पर हकीकत में दुर्गा से शक्तियां कभी अलग हो ही नहीं सकती। कुछ ऐसा ही दुस्‍साहस सियासतदां की ओर से किया गया और इसके उपरांत ऐसा बवाल हुआ कि ऐसी हिमाकत करने वाले भी अब बगले झांकने लगे हैं।
चूंकि किसी की शक्ति को छीनने का यह बेजा तरीका हर किसी को नागवार गुजरा है। सब ओर से इस घटना की भर्त्‍सना की जा रही है। सियासत के लोग हर घटना के पीछे भले ही सियासी समीकरण ढूंढते हों, पर `दुर्गा` की असल शक्ति को वह ज्‍यादा दिन तक छीनकर नहीं रख सकते क्‍योंकि दुर्गा कभी शक्तिविहीन हो ही नहीं सकती। देश की जुबां पर भी यह आम होने लगा है कि `आखिर कब तलक दुर्गा की शक्ति को छीनोगे`। दुर्गा शक्ति नागपाल जैसी सशक्‍त अधिकारी का अवतरण पहले भी होता आया है और आगे भी होता रहेगा।
उत्‍तर प्रदेश के गौतमबुद्ध नगर स्थित कादलपुर में बीते 27 जुलाई को एक निर्माणाधीन मस्जिद की दीवार को अदूरदर्शितापूर्ण तरीके से गिरवाने के आरोप में उपजिलाधिकारी (एसडीएम) दुर्गा शक्ति नागपाल को यूपी सरकार ने निलंबित कर दिया था। इस घटना की देश भर में कड़ी आलोचना हुई, चूंकि महिला अधिकारी ने ऐसा कोई कदम उठाया ही नहीं था। उन्‍हें गलत आरोप का शिकार होना पड़ा। दरअसल इसके पीछे का वाकया कुछ और था। इस क्षेत्र में खनन माफिया पर शिकंजा कसने के बाद उनके बीच खलबली मच गई थी और उन्‍हें अपना अवैध धंधा चौपट होता नजर आने लगा था। बालू खनन माफिया पर कार्रवाई के बाद दुर्गा कुछ राजनेताओं के निशाने पर आग गईं थी। जिसका नतीजा निलंबन के रूप में सामने आया। दुर्गा नागपाल यूपी सरकार की ओर से खुद के ऊपर की गई कार्रवाई को लेकर इस समय सुखिर्यों में आ गईं और देश भर से उनके समर्थन में आवाजें उठने लगी। चूंकि दुर्गा ने प्रभावशाली खनन माफिया के खिलाफ निडरता से कार्रवाई कर अन्य प्रशासनिक अधिकारियों के लिए भी एक आदर्श उदाहरण प्रस्तुत किया है।
दुर्गा नागपाल के निलंबन के मामले में चारों तरफ से घिर चुकी सूबे की सरकार को निकलने का कोई रास्ता दिखाई नहीं दे रहा है। बौखलाहट में दुर्गा के खिलाफ अनर्गल बयानबाजी की जा रही है। सवाल यह उठता है कि सूबाई सरकार इस मामले में कितना झूठ बोलेगी? जिस रिपोर्ट को आधार मानकर इस महिला अधिकारी को निलंबित किया गया, उसमें उनका जिक्र तक नहीं है। क्या यह सच नहीं है कि `दुर्गा` की शक्ति से अखिलेश यादव सरकार हार रही है।
दुर्गा के निलंबन मामले में आज सच्चाई सबके सामने आ चुकी है। दुर्गा पर एक गांव में मस्जिद की दीवार गिराने में नियम की अनदेखी का आरोप लगा। जबकि जिलाधिकारी और लोकल इंटेलीजेंस की रिपोर्ट में कहीं भी दुर्गा का नाम नहीं आया। तो फिर किस बिना पर सरकार ने दुर्गा को निलंबित किया। क्‍या ऐसे ही इस देश में ईमानदार अधिकारियों को सजा मिलती रहेगी?
युवा आईएएस अधिकारी के निलंबन को लेकर सरकार के मनमाने तरीकों और कभी प्रशासन का ‘स्टील फ्रेम’ कहलाने वाली नौकरशाही की गरिमा बहाल करने की व्यवस्था को लेकर अब राष्ट्रीय स्तर पर बहस छिड़ गई है। लोग भारतीय प्रशासनिक सेवा में सुधारों का आह्वान कर रहे हैं ताकि सत्ता में मौजूद राजनीतिज्ञों के आगे न झुकने वाले ईमानदार अधिकारियों को आए दिन तबादले और निलंबन सहित अविवेकपूर्ण कार्रवाइयों के जरिये परेशान न किया जाए।
यह कोई पहला वाकया नहीं है, जब किसी ईमानदार अफसर पर गाज गिरी हो। इससे पहले भी कई अफसरों को ईमानदारी की `सजा` मिली है। हाल में राजस्थान के जैसलमेर के पुलिस अधीक्षक पंकज चौधरी का तबादला इसलिए किया गया क्योंकि उन्होंने एक कांग्रेस विधायक के पिता के खिलाफ हिस्ट्री शीट को फिर से खोला था। विधायक के पिता कथित तौर पर तस्करी और अन्य असामाजिक कार्यों में लिप्त बताए जाते हैं। हरियाणा में आईएएस अधिकारी अशोक खेमका का प्रकरण अभी भी ताजा है। रॉबर्ट वाड्रा और डीएलएफ के बीच हुए भूमि सौदों में कथित अनियमितताओं के मामले को उजागर करने वाले अशोक खेमका का कई बार तबादला किया गया। खेमका जैसे अफसर भी इस मामले में परेशान होकर अंत में फफक पड़े। ऐसे और भी कई उदाहरण हैं। एक हैरतअंगेज आंकड़ा यह भी है कि अभी तक आईएएस अफसरों के खिलाफ सबसे ज्‍यादा कार्रवाई यूपी में ही की गई है। सवाल यह उठता है कि क्‍या इस देश में ईमानदार अफसरों पर ऐसे ही गाज गिरती रहेगी।
नौकरशाही देश के कानून के अनुसार काम करती है। अनधिकृत कार्यों पर रोक लगाने वाली दुर्गा शक्ति जैसे अफसर को निलंबित नहीं किया जाना चाहिए, बल्कि शासनिक स्‍तर पर उनका प्रोत्‍साहन किया जाना चाहिए। गलत गतिविधियों के खात्मे के लिए देश को आज दुर्गा नागपाल जैसे अधिकारियों की सख्‍त दरकार है। काश, इस देश में दुर्गा शक्ति जैसे अफसर होते।

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