रायसीना हिल्स पर दादा की दावेदारी

सभी सियासी दल चाहते हैं कि वरिष्ठ कांग्रेस नेता और केंद्रीय वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी जिन्हें सभी प्यार से दादा कहते हैं, देश के सर्वोच्च पद पर सुशोभित हों। खुद दादा भी चाहते हैं देश का राष्ट्रपति बनना। अगर कोई नहीं चाहता है तो वह है 10 जनपथ जहां से देश की सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस और कांग्रेस नीत यूपीए सरकार का संचालन होता है।

प्रवीण कुमार
सभी सियासी दल चाहते हैं कि वरिष्ठ कांग्रेस नेता और केंद्रीय वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी जिन्हें सभी प्यार से दादा कहते हैं, देश के सर्वोच्च पद पर सुशोभित हों। खुद दादा भी चाहते हैं देश का राष्ट्रपति बनना। अगर कोई नहीं चाहता है तो वह है 10 जनपथ जहां से देश की सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस और कांग्रेस नीत यूपीए सरकार का संचालन होता है। हां खुद दादा की पार्टी ही नहीं चाहती है कि प्रणब दा राष्ट्रपति बनें। कांग्रेस का कहना है कि प्रणब कांग्रेस पार्टी के संकटमोचक हैं सो पार्टी उन्हें नहीं छोड़ सकती। दादा को पार्टी का संकटमोचक बताकर राष्ट्रपति पद का प्रत्याशी नहीं बनाने के पीछे का सच कुछ और ही कहानी को बयां करती है। इस कहानी की बात हम आगे करेंगे, लेकिन उससे पहले हम दादा के अंतरमन में झांककर देखते हैं कि क्या वाकई दादा राष्ट्रपति बनना चाहते हैं? क्या दादा का कद वाकई इतना बड़ा हो चुका है कि देश उन्हें इस सर्वोच्च गरिमापूर्ण पद पर सुशोभित करे?
खास अंदाज में दादा का इशारा
अभी हाल में प्रणब दा ने एक आर्थिक अखबार को दिए खास इंटरव्यू में खास अंदाज में कुछ खास बातें बयां की। ऐसे तो दादा ने बहुत सारी बातें की लेकिन इनमें से दो बातें ऐसी थी जो इस बात को पुख्ता करती है कि वह राष्ट्रपति बनकर राजनीति से संन्यास लेना चाहते हैं। दादा ने पहली बात यह कही कि उन्हें राष्ट्रपति भवन का बड़ा लॉन बेहद पसंद है। बड़े लॉन में टहलना उन्हें अच्छा लगता है। वह सुबह टहलना पसंद करते हैं। दादा ने कहा कि अपने लॉन का वह 40 चक्कर लगाते हैं। चूंकि राष्ट्रपति भवन का लॉन काफी बड़ा है इसलिए वहां 40 चक्कर लगाने की जरूरत नहीं पड़ेगी। दादा की दूसरी बात तब सामने आई जब कांग्रेस में उनकी अपरिहार्यता को लेकर सवाल पूछा गया। जवाब में दादा ने कहा कि जीवन या राजनीति में कोई अपरिहार्य नहीं होता। पंडित जवाहरलाल नेहरू, इंदिरा गांधी और राजीव गांधी के बाद भी देश चला। दादा की इन दो बातों से साफ है कि वह राष्ट्रपति बनना चाहते हैं। राष्ट्रपति भवन के लॉन को अपनी पसंद बताकर उन्होंने साफ संकेत दे दिया कि रायसीना हिल्स पर बना यह राष्ट्रपति भवन उन्हें बार-बार आकर्षित करता है और नेहरू, इंदिरा, राजीव गांधी का उदाहरण देकर यह भी साफ कर दिया कि कांग्रेस पार्टी और कांग्रेस नीत सरकार इन लोगों के न रहने से भी चलता रहा है तो प्रणब मुखर्जी के बिना भी पार्टी या सरकार को कोई आंच नहीं आने वाली। कहने का मतलब यह कि कांग्रेस पार्टी का यह कहना कि उनके राष्ट्रपति बनने से पार्टी को उनकी कमी खलेगी कोरा बकवास है।
दावेदारों की सूची में अव्वल
जहां तक प्रणब मुखर्जी के कद की बात है तो निश्चित रूप से वह एक व्यक्ति के रूप में, एक राजनेता के रूप में, एक विचारक के रूप में राष्ट्रपति पद के अन्य उम्मीदवारों पर भारी पड़ रहे हैं। प्रणब मुखर्जी को राजनीतिक मामलों का व्यापक अनुभव है और संवैधानिक प्रणाली के जानकार हैं। गठबंधन सहयोगियों से समन्वय स्थापित करने में उनका कोई सानी नहीं है। इस पद के अन्य दावेदारों में हामिद अंसारी, एपीजे अब्दुल कलाम, सैम पित्रोदा, मीरा कुमार, सुशील कुमार शिंदे, पीए संगमा, मुलायम सिंह यादव, एके एंटनी आदि के नाम चर्चा में हैं। हामिद अंसारी के नाम पर वामदलों और कांग्रेस को एतराज नहीं है लेकिन वह राजनीतिक व्यक्ति नहीं हैं। जहां तक एपीजे अब्दुल कलाम की बात है तो वह ‘लोगों के राष्ट्रपति’ के रूप में याद किए जाते हैं। भाजपा और सपा समर्थन कर सकती हैं लेकिन कांग्रेस उनको राजग की पसंद मानती है। वामदल उनका विरोध कर रहे हैं। सियासी दलों की राय में उम्मीदवार ऐसा हो जिसके नाम पर आम सहमित बन सके। जहां तक मुलायम सिंह यादव की बात है तो उन्होंने अभी तक अपने पत्ते नहीं खोले हैं। लेकिन अगर प्रणब मुखर्जी के मुकाबले देखा जाए तो मुलायम इस रेस में नहीं ठहरते। मुलायम सिंह यादव ने खुद किसी राजनेता को अगला राष्ट्रपति बनाने की बात कहकर प्रणब दा को वरीयता दी। करुणानिधि खुलेआम प्रणब के समर्थन में आए हैं। राकांपा मुखिया शरद पवार ने भी कहा कि उन्होंने कभी गैर-राजनीतिक व्यक्ति की वकालत नहीं की, बल्कि सर्वसम्मति की बात की है। कुल मिलाकर कांग्रेस के सहयोगी दलों ने कांग्रेस आलाकमान पर प्रणब दा के लिए दबाव बना दिया है। जहां तक तृणमूल कांग्रेस नेत्री ममता बनर्जी का सवाल है तो उसने अपने पत्ते अभी तक नहीं खोले हैं, पर यदि कांग्रेस ने आधिकारिक तौर पर प्रणब की उम्मीदवारी की घोषणा की तो वह भी विरोध नहीं कर पाएंगी क्यों कि वह इस बात का श्रेय लेना चाहेंगी कि उनके सहयोग से कोई बंगाली इस सर्वोच्च पद को सुशोभित करेगा।

10 जनपथ की अपनी मुसीबत
राजनीतिक पंडितों का कहना है कि प्रणब मुखर्जी की व्यापक राजनीतिक समझ ही आज उनके खिलाफ जा रही है। उन्हें व्यवस्था की काफी समझ है और वह यह जानते हैं कि कैसे विरोधियों को परास्त करने के लिए इसका इस्तेमाल किया जा सकता है। सोनिया गांधी पीवी नरसिंह राव और एपीजे अब्दुल कलाम के साथ के कटु अनुभवों को नहीं भूल सकती हैं। वह राहुल गांधी को प्रधानमंत्री के रूप में देखना चाहती हैं और कई वरिष्ठ कांग्रेसी नेता उन्हें रोकना चाहते हैं। सोनिया को यह पता हैं कि एक बार अगर किसी ने उस महत्वपूर्ण पद पर कब्जा कर लिया तो इसका मतलब उनकी राजनीति का अंत है। अगर सोनिया गांधी का वश चला तो वह हामिद अंसारी जैसे किसी गैर-राजनीतिक व्यक्ति को राष्ट्रपति बनाना चाहेंगी। अगर प्रणब मुखर्जी राष्ट्रपति बनते हैं तो जैसा कि 10 जनपथ मानता है, उनके बिना सरकार चल नहीं पाएगी और ऐसे में मध्यावधि चुनाव की संभावना बढ़ जाएगी। दूसरी तरफ, अगर उन्हें राष्ट्रपति पद से वंचित रखा गया तो उनके चुपचाप नेपथ्य में चले जाने की संभावना भी नहीं है और निश्चित रूप से यह स्थिति भी सरकार के लिए पतन का कारण बन सकता है। चूंकि कांग्रेस ढलान पर है, इसलिए 2014 का जनादेश 2009 से भी ज्यादा खंडित होगा, ऐसी आशंका जताई जा रही है। ऐसे में राष्ट्रपति की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण होगी और 10 जनपथ किसी ऐसे शख्स को इस पद पर नहीं देखना चाहती है जो सरकार का फैसला राष्ट्रपति भवन से करने का माद्दा रखता हो।
बहरहाल, सभी पार्टियों में देश के अगले राष्ट्रपति पद की उम्मीदवारी को लेकर मंथन का दौर जारी है। कांग्रेस ने अभी अपने पत्ते नहीं खोले हैं। इसके लिए पार्टी ने सोनिया गांधी को अधिकृत किया है कि वो ही प्रत्याशी का नाम तय करें। बाकी दल इंतजार कर रहे हैं कि सोनिया गांधी किसे मैदान में उतारती हैं। फिर उसपर गुणा-भाग होगा। यह जरूरी नहीं कि कांग्रेस का प्रत्याशी राष्ट्रपति बने। लेकिन इस बात कर सभी एकमत हैं कि राष्ट्रपति पद का प्रत्याशी राजनीतिक शख्सियत हो और उसका चुनाव आम सहमति से हो। निश्चित रूप से प्रणब दा हर दृष्टि से इस पद के लिए उपयुक्त उम्मीदवार हैं बशर्ते 10 जनपथ से हरी झंडी दिखाई जाए। रायसीना हिल्स पर दादा की दावेदारी तभी अंजाम तक पहुंचेगी।

Zee News App: पाएँ हिंदी में ताज़ा समाचार, देश-दुनिया की खबरें, फिल्म, बिज़नेस अपडेट्स, खेल की दुनिया की हलचल, देखें लाइव न्यूज़ और धर्म-कर्म से जुड़ी खबरें, आदि.अभी डाउनलोड करें ज़ी न्यूज़ ऐप.