अंतरिक्ष में भारत का दबदबा कायम,7 उपग्रह कक्षा में स्थापित
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अंतरिक्ष में भारत का दबदबा कायम,7 उपग्रह कक्षा में स्थापित

भारतीय ध्रुवीय अंतरिक्ष यान पीएसएलवी ने भारतीय-फ्रांसीसी समुद्रविज्ञान अध्ययन उपग्रह ‘सरल’ समेत सात उपग्रहों को कक्षा में सफलतापूर्वक स्थापित कर अपने लगातार 22वें त्रुटिरहित प्रक्षेपण के साथ भारत ने अंतरिक्ष में अपना दबदबा और भी मजबूत कर लिया।

श्रीहरिकोटा (आंध्रप्रदेश) : भारतीय ध्रुवीय अंतरिक्ष यान पीएसएलवी ने भारतीय-फ्रांसीसी समुद्रविज्ञान अध्ययन उपग्रह ‘सरल’ समेत सात उपग्रहों को कक्षा में सफलतापूर्वक स्थापित कर अपने लगातार 22वें त्रुटिरहित प्रक्षेपण के साथ भारत ने अंतरिक्ष में अपना दबदबा और भी मजबूत कर लिया।
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के अंतरिक्षयान पीएसएलवी-सी20 ने बेहद सटीक ढंग से उड़ान भरी और एकल अभियान में सभी सात उपग्रह - भारतीय-फ्रांसीसी समुद्रविज्ञान अध्ययन उपग्रह ‘सरल’ तथा छह विदेशी लघु एवं सूक्ष्म उपग्रहों को बिना किसी त्रुटि के कक्षा में स्थापित कर दिया।
राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी चेन्नई से करीब 110 किलोमीटर दूर मिशन कंट्रोल सेंटर से प्रक्षेपण के इस ऐतिहासिक क्षण का साक्षी बने।
शाम छह बज कर एक मिनट पर 59 घंटे की उलटी गिनती के समापन पर साफ मौसम में ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान (पीएसएलवी) सतीश धवन अंतरिक्ष केन्द्र से रवाना हुआ। यह इसरो का 103वां अभियान था और इसने अंतरिक्ष में भारत के बढ़ते दबदबे को रेखांकित किया।
भारत 2008 में ही एक एकल अभियान में एक साथ 10 उपग्रहों को सफलतापूर्वक अंतरिक्ष में स्थापित कर चुका है। इससे अंतरिक्ष में भारत की क्षमताएं उजागर हुईं। अंतरिक्षयान पीएसएलवी-सी20 को शाम पांच बज कर 56 मिनट पर प्रक्षेपित किया जाना था, लेकिन अंतरिक्ष के मलबे से इसके टकराने की संभावनाओं से बचने के लिए पांच मिनट बाद प्रक्षेपित किया गया।
इसरो सूत्रों ने बताया कि यह किसी प्रक्षेपण अभियान में उठाया जाने वाला एक सामान्य एहतियाती कदम है।
प्रक्षेपण के समय आसमान खुला था। 44.4 मीटर लंबा और 230 टन वजनी प्रक्षेपणयान बड़ी सुगमता से आसमान के अपने सफर पर रवाना हुआ। प्रक्षेपण के करीब 18 मिनट बाद पीएसएलवी-सी20 ने सबसे पहले 409 किलोग्राम के भारतीय-फ्रांसीसी समुद्रविज्ञान अध्ययन उपग्रह ‘सरल’ को उसकी कक्षा में स्थापित किया। इसके बाद चार मिनट में एक के बाद बाद एक अन्य छह उपग्रहों को कक्षाओं में स्थापित दिया।
आज के अभियान में सरल के अलावा, आस्ट्रिया के दो सूक्ष्म-उपग्रह यूनीब्राइट और ब्राइट, डेनमार्क के एएयूएसएटी3 और ब्रिटेन के स्ट्रैंड के अतिरिक्त कनाडा के एक सूक्ष्म-उपग्रह नियोससैट और एक लघु-उपग्रह सैफाइर भी पीएसएलवी से प्रक्षेपित किया गया।
सफल प्रक्षेपण और उपग्रहों के कक्षा में बिना किसी व्यवधान और खामी के स्थापित होने पर वैज्ञानिकों में खुशी की लहर दौड़ गई। इन विदेशी उपग्रहों के प्रक्षेपण से भारत ने व्यवसायिक प्रक्षेपण की अपनी क्षमताओं को और मजबूती से स्थापित कर दिया।
मुखर्जी ने इस ‘उल्लेखनीय प्रक्षेपण’ और ‘बड़ी बारीकी’ से अंजाम दिए गए अभियान पर वैज्ञानिकों को मुबारकबाद देते हुए कहा कि इस सफलता ने पीएसएलवी के त्रुटिहीन, विश्वसनीयता और प्रभावी क्षमता को और मजबूत किया है।
फ्रांसीसी अंतरिक्ष एजेंसी सीएनईएस के पेलोड आरगोस और अल्तिका के साथ 410 किलोग्राम वजन का उपग्रह सरल समुद्र के विभिन्न पहलुओं के अध्ययन पर लक्षित है। इससे समुद्र की स्थिति की समझ बेहतर करने में मदद मिलेगी।
इस प्रक्षेपण के साथ ही पीएसएलवी ने लगातार 23 सफल प्रक्षेपणों का अपना सिलसिला पूरा किया। इस क्रम में पहला अभियान विफल रहा था। (एजेंसी)

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