लंदन: अगर आप सोचते हैं कि सिर्फ सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) जैसे आर्थिक मापदंड ही किसी देश की समृद्धि को मापने का पैमाना हैं, तो आपको एक बार फिर से सोचना चाहिए।
कैंब्रिज विश्वविद्यालय के एक शोध दल ने 23 यूरोपीय देशों के अध्ययन के बाद यह पता किया है कि कई देशों की सरकार की तरह ब्रिटेन की भी सरकार अब इस बात को मानती है कि सिर्फ जीडीपी जैसे मापदंड किसी समाज के बारे में पर्याप्त सूचना नहीं देते।
इस शोध दल के अगुवा प्रोफेसर फेलिसिया हपर्ट का कहना है कि सरकारों को इस बात का भी मूल्यांकन करना चाहिए कि उनके नागरिक अपने जीवन को किस तरह से जी रहे हैं।
विश्वविद्यालय की ओर से जारी किए गए बयान के अनुसार यह अध्ययन इसलिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह राष्ट्रों की मजबूती और कमजोरी से जुड़े विभिन्न कारकों पर ध्यान देता है।
अध्ययन में इस तरह के 10 कारकों को चिन्हित किया गया है जिसमें क्षमता, भावनात्मक स्थिरता, आर्थिक स्थिति , आशावाद, सकारात्मक भावना, सकारात्मक संबंध, स्वाभिमान, मार्मिकता और लचीलापन शामिल हैं। (एजेंसी)