‘पाक के पांच ठिकानों पर रहा था ओसामा’

ओसामा बिन लादेन की सबसे कम्र उम्र की बीवी अमाल अहमद अब्दुल फतेह ने खुलासा किया है कि उसका शौहर अमेरिका पर हुए 9/11 हमले के बाद पाकिस्तान के अलग-अलग हिस्सों में स्थित पांच महफूज मकानों में नौ साल तक अपने परिवार के साथ रहा।

न्यूयॉर्क : ओसामा बिन लादेन की सबसे कम्र उम्र की बीवी अमाल अहमद अब्दुल फतेह ने खुलासा किया है कि उसका शौहर अमेरिका पर हुए 9/11 हमले के बाद पाकिस्तान के अलग-अलग हिस्सों में स्थित पांच महफूज मकानों में नौ साल तक अपने परिवार के साथ रहा।

 

पिछले साल अमेरिकी विशेष बलों के एक अभियान में पाकिस्तान के ऐबटाबाद में मारा गया ओसामा जब फरार चल रहा था उस वक्त की उसकी जिंदगी के बारे में यह अहम खुलासा फतेह ने उन पाकिस्तानी अधिकारियों के सामने किया था जो शहर में अल-कायदा प्रमुख की मौजूदगी की जांच कर रहे हैं । फतेह का यह खुलासा 19 जनवरी की तारीख वाली पुलिस रिपोर्ट में शामिल है।

 

रिपोर्ट की मानें तो फतेह ने साल 2000 में ओसामा बिन लादेन से शादी की रजामंदी दी थी क्योंकि ‘उसकी ख्वाहिश किसी मुजाहिद से ब्याही जाने की थी।’ जुलाई 2000 में वह कराची आयी और महीनों बाद अपने पति और उसकी दो और बीवियों के पास अफगानिस्तान चली गयी जहां ओसामा कंधार प्रांत के बाहरी इलाके में रहता था। ‘न्यूयॉर्क टाइम्स’ की एक रिपोर्ट के मुताबिक, ‘‘11 सितंबर के हमले की वजह से लादेन का परिवार बिखर गया।’

 

फतेह अपनी नवजात बच्ची साफिया के साथ फिर कराची लौट आयी और वहां तकरीबन नौ महीने रही । इस दौरान वह सात मकानों में रही जिसका इंतजाम किसी पाकिस्तानी परिवार और लादेन के बड़े बेटे साद ने किया था । साल 2002 के आखिरी छह महीने में उसने कराची छोड़ दिया । तब एक बार फिर फतेह को अपने शौहर के साथ रहने का मौका मिला।

 

यह ऐसा वक्त था जब अमेरिका जोर-शोर से लादेन की तलाश में जुटा था क्योंकि अल कायदा के लड़कों ने केन्या में एक इस्राइली शख्स के होटल और इंडोनेशिया के नाइट क्लबों पर दहशतगर्दी हमले किए थे ।

 

लादेन की बीवी ने बताया कि वे पहले इस्लामाबाद से 80 मील की दूरी पर स्थित स्वात के शांगला जिले में ठहरे। यहां उन्होंने आठ-नौ महीनों का अपना ठहराव दो मकानों में बिताया । फिर साल 2003 में वे हरिपुर चले गए जो इस्लामाबाद से सटा एक छोटा सा शहर है । यहां उन्होंने किराए के एक मकान में दो साल बिताए ।

 

हरिपुर में ही फतेह ने साल 2003 में अपनी बेटी आसिया को जन्म दिया जबकि 2004 में वह इब्राहिम की मां बनी । दोनों बच्चे हरिपुर के एक सरकारी अस्पताल में ही पैदा हुए ।

 

‘न्यूयॉर्क टाइम्स’ के मुताबिक, पुलिस रिपोर्ट में कहा गया है कि जब-जब फतेह ने अस्पताल में बच्चे को जन्म दिया वह करीब 2-3 घंटे ही वहां रुकी । जबकि एक अलग दस्तावेज की मानें तो उसने अस्पताल के कर्मचारियों को फर्जी पहचान पत्र मुहैया कराया । आखिरकार साल 2005 के मध्य में लादेन अपने परिवार के साथ ऐबटाबाद चला गया । फतेह ने यहां जैनब को 2006 और हुसैन को 2008 में जन्म दिया ।

 

ऐसा माना जा रहा है कि इब्राहिम अबु अहमद अल-कुवैती नाम का वही शख्स है जो पाकिस्तानी मूल का पश्तून है और जिसकी परवरिश कुवैत में हुई । अमेरिकी खुफिया अधिकारियों की नजर में कुवैती वही शख्स है जो लादेन के ‘कूरियर’ यानी संदेश लाने-ले जाने का काम करता था ।

 

अमेरिकी नौसेना के ‘सील’ कमांडो की ओर से की गयी छापेमारी के दौरान फतेह लादेन के साथ एक ही कमरे में मौजूद थी । छापेमारी के दौरान फतेह के पांव में गोली लगी थी ।

 

फतेह तो इस वारदात में जिंदा बच गयी पर चार अन्य लोग इसमें मारे गए । मारे गए लोगों में कूरियर के अलावा ओसामा की एक और बीवी बशरा, उसका भाई अबरार और लादेन का 20 साल का बेटा खलील शामिल थे । लादेन की तीन विधवाएं फिलहाल इस्लामाबाद में नजरबंद हैं । वे अपने दो बच्चों के साथ मुकदमे का सामना कर रही हैं ।

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