‘सीमा से जुड़े मुद्दों पर संजीदा हों भारत-चीन’

चीन के सरकारी मीडिया ने सोमवार को ‘पश्चिमी उपनिवेशवादियों’ पर क्षेत्रीय विवादों के बीज बोने के आरोप लगाते हुए कहा कि भारत एवं चीन को सीमा विवादों को खत्म करने के लिए ‘बेहतर एवं संजीदा तरीके’ से पेश आना चाहिए।

बीजिंग : चीन के सरकारी मीडिया ने सोमवार को ‘पश्चिमी उपनिवेशवादियों’ पर क्षेत्रीय विवादों के बीज बोने के आरोप लगाते हुए कहा कि भारत एवं चीन को सीमा विवादों को खत्म करने के लिए ‘बेहतर एवं संजीदा तरीके’ से पेश आना चाहिए।
गौरतलब है चीन के मीडिया ने ऐसे समय में भारत पर अपनी चर्चा केंद्रित की है, जब नई दिल्ली में आज भारत एवं चीन के शीर्ष अधिकारियों के बीच रणनीतिगत आर्थिक वार्ता हुई।
चीनी समाचार एजेंसी शिन्हुआ ने टिप्पणी की कि दोनों देशों में टकराव की जगह सहयोग की संभावना अधिक है। यह टिप्पणी ‘चाइना, इंडिया शेयर ब्रॉड कोऑपरेशन प्रॉसपेक्ट्स डिसपाइट बॉर्डर डिस्पियुट्स’ शीषर्क से जारी आलेख में की गई है।
एजेंसी ने कहा,‘दोनों देशों के नेताओं को जागरूक रहना चाहिए ताकि चीन-भारत संबंधों पर दोनों देशों के बीच मतभेद की उन आडंबरपूर्ण चर्चाओं और संभावित ठकराव के कयासों के कारण खतरा पैदा नहीं हो, जिनमें से अधिकतर कुछ पश्चिमी देशों की उपज हैं।’
आलेख में कहा गया,‘सदियों से पूरब की ये दोनों सभ्यताएं हिमालय के आर-पार एक दूसरे के साथ शांतिपूर्ण तरीके से रही थीं। इसके बाद पश्चिमी उपनिवेशवादी आए। उन्होंने बड़ी चालाकी से दोनों देशों के बीच क्षेत्रीय विवादों के बीज बो दिए। और तो और वर्ष 1962 में सीमा के मुद्दे पर छोटी अवधि का एक युद्ध भी हो गया।’
आलेख में कहा गया है कि वर्तमान समय में पश्चिम की कई मीडिया में सिर्फ दोनों देशों के बीच विवाद और प्रतिस्पर्धा को चर्चा का केंद्र बनाया जा रहा है। इसमें कहा गया, ‘लेकिन ड्रैगन और हाथी की असली कहानी यह है कि टकराव के कहीं अधिक पन्ने सहयोग के बारे में लिखे जा सकते हैं। दोनों के बीच के मतभेद को बढ़ा-चढ़ा कर पेश किया गया है।’
साथ ही आलेख में यह भी कहा गया है कि दोनों देशों को सीमा विवादों पर अपने मौजूदा मतभेद सुलझाने के लिए बेहतर एवं संजीदा तरीके से पेश आना चाहिए ताकि क्षेत्रीय मुद्दे को नियंत्रण से बाहर जाने से रोका जा सके।
आलेख में इस बात पर खुशी जताई गई है कि दोनों देशों के नेता सीमा से जुड़ी समस्याओं पर बातचीत के लिए तैयार हैं। लेकिन यह भी कहा गया है कि बीजिंग एवं नई दिल्ली को अच्छी तरह मालूम होना चाहिए और उन्हें इस बात के लिए तैयार भी रहना चाहिए कि क्षेत्रीय विवादों का अंतिम हल निकलने में कई साल या दशक लग सकते हैं।
एजेंसी ने कहा है कि बढ़ते हुए द्विपक्षीय व्यापार ने चीन को व्यपार के क्षेत्र में भारत का सबसे बड़े साझेदार बना दिया है। आलेख में कहा गया है कि दोनों देशों की शीर्ष कंपनियों ने दोनों ओर निवेश को बढ़ाया है,जिनमें चीन की हुवाई एवं जेडटीई और भारत की टाटा जगुआर एवं लैंड रोवर शामिल हैं।
आलेख में कहा गया है कि चीन साफ्टवेयर के क्षेत्र में भारत के कौशल से सीख ले सकता है, जबकि अगले पांच साल में बुनियादी ढ़ांचे के विस्तार की भारत की योजनाएं चीन की कंपनियों के लिए कई मौके उपलब्ध करा सकती हैं। (एजेंसी)

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