`राज्य की नीति के रूप में आतंक का इस्तेमाल कर रहे राष्ट्र अदूरदर्शी`

भारत-पाकिस्तान के बीच सीमा पर तनाव के बीच आंतकवाद पर कड़ा संदेश देते हुए भारत ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद से कहा है कि आतंकवाद को ‘राज्य की नीति के हथियार’ के रूप में इस्तेमाल कर रहे देश ‘अदूरदर्शी’ हैं और इस ‘भस्मासुर’ से उन्हें खुद भी गंभीर नुकसान उठाना पड़ा है।

संयुक्त राष्ट्र : भारत-पाकिस्तान के बीच सीमा पर तनाव के बीच आंतकवाद पर कड़ा संदेश देते हुए भारत ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद से कहा है कि आतंकवाद को ‘राज्य की नीति के हथियार’ के रूप में इस्तेमाल कर रहे देश ‘अदूरदर्शी’ हैं और इस ‘भस्मासुर’ से उन्हें खुद भी गंभीर नुकसान उठाना पड़ा है।
पाकिस्तान की विदेश मंत्री हिना रब्बानी खार की अध्यक्षता में आतंकवाद निरोधी बहस में भाग लेते हुए संयुक्त राष्ट्र में भारत के प्रतिनिधि हरदीप सिंह पुरी ने कहा कि आतंकवाद के खिलाफ संघर्ष ‘सभी मोर्चों पर और निरंतर’ होना चाहिए। उन्होंने जोर देकर कहा कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय आतंकवादी गुटों से निपटने या आतंकवादी ढांचे को नष्ट करने के चुनिंदा रवैये को सहन नहीं कर सकता है। पुरी ने कहा कि आतंकवाद भस्मासुर राक्षस की तरह है। राज्य की नीति के हथियार के रूप में आतंकवाद का सहारा लेना अदूरदर्शी है।
वस्तुत: जिन्होंने इसका सहारा लिया वे इससे खुद भी बहुत ज्यादा पीड़ित हुए हैं जो इस पुरानी कहावत को साबित करती है कि कि आग से खेलने वाले हाथ जल जाते हैं।
हालांकि सुरक्षा परिषद के अस्थायी सदस्य के रूप में भारत का दो साल का कार्यकाल पिछले महीने खत्म हो गया फिर भी उसने दिनभर चली बहस में हिस्सा लिया। इस दौरान हिना रब्बानी खार ने पुरी के साथ हाथ मिलाया। पुरी ने परिषद से कहा कि भारत ने पूरे दक्षिण एशिया क्षेत्र के साथ ढाई दशक से ‘आतंकवाद के विनाश’ को झेला है। उन्होंने कहा कि यह क्षेत्र ‘विश्व के सबसे बड़े आतंकवादी संगठनों जैसे अलकायदा, लश्कर-ए-तोएबा, जमात उद दावा, तालिबानियों के विध्वंसक गतिविधियों का सामना कर रहा है।
उन्होंने कहा कि आतंकवाद, उग्रवाद और कट्टरवाद अब भी क्षेत्र की शांति, प्रगति और समृद्धि के लिये खतरा बना हुआ है। भारतीय प्रतिनिधि ने कहा कि वे (आतंकवादी) एक देश में भर्ती करते हैं, दूसरे में धन इकट्ठा करते हैं और अन्य देशों में सक्रिय रहते हैं तथा अंतरराष्ट्रीय समुदाय के खिलाफ असंयमित हमले करते हैं। उन्होंने कहा कि आतंकवादियों का कई राष्ट्रों में होने वाले संगठित अपराध, मादक पदार्थों और हथियारों की तस्करी से सुव्यवस्थित ‘वास्तविक गठजोड़’ है।
उल्लेखनीय है कि भारत, पाकिस्तान पर आतंकवादियों को संरक्षण देने का आरोप लगाता रहा है और पिछले सप्ताह भारत के गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे ने कहा था कि लश्करे तैयबा के संस्थापक हाफिद सईद ने पाकिस्तानी सैनिकों द्वारा दो भारतीय सैनिकों की हत्या से कुछ दिन पहले पाक अधिकृत कश्मीर के सीमाई इलाके का दौरा किया था । पुरी ने व्यापक विनाश के हथियारों के आतंकवादियों के हाथ में पड़ने की बढ़ती आंशका पर चिंता जताई जो साइबर तकनीक और उससे जुड़ी तकनीकों के गलत इस्तेमाल में सक्षम हैं।
पुरी ने कहा कि सूचनाओं के साझा करने और प्रभावी अंतरराष्ट्रीय सहयोग से बड़ी संख्या में आतंकवादी साजिशों को बेअसर साबित किया जा सकता है। हमारा मानना है कि कानूनों को लागू करने वाले कदमों के अलावा बचाव का पहलू भी उतना ही महत्वपूर्ण है। उन्होंने अब तक तमाम प्रगति के बावजूद अंतरराष्ट्रीय समुदाय द्वारा आतंकवाद का सामना किए जाने पर खेद जताया।
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद् में इस महीने पाकिस्तान की अध्यक्षता के अवसर पर यहां आईं खार ने कहा कि (भारत की ओर से) बयान सुनकर काफी निराशा होती है जो तनाव को बढ़ा रहा है। वहां नेता कड़वा बयान देने में एक-दूसरे से प्रतिस्पर्धा कर रहे हैं।
खार ने कहा कि कोई भी पाकिस्तानी नेता ‘जैसे को तैसा’ बयान दे सकता था लेकिन उनकी सरकार ने ‘धर्यपूर्ण बयान’ दिए और भारत की ओर से ‘शत्रुतापूर्ण बयान’ के बावजूद वार्ता प्रक्रिया का सम्मान करने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान किसी भी भारतीय सैनिक का सिर काटने और हत्या करने को मान्यता नहीं दे सकता क्योंकि वार्ता प्रक्रिया के लिए यह अनुकूल नहीं होगा।
खार ने कहा कि पाकिस्तान की तरफ से दो लोग मरे और भारतीय पक्ष से भी कथित रूप से दो लोग मरे। पाकिस्तान की सरकार युद्ध नहीं भड़काने की नीति पर काम कर रही है। हमें वार्ता प्रक्रिया का पालन करने में खुशी होगी। वार्ता के दरवाजे खुले हैं। हमें जिम्मेदार देश बनने की जरूरत है जो अपने मुद्दों से निपटना जानता हो। नियंत्रण रेखा के पास पाकिस्तान की सेना द्वारा लगातार संघर्ष विराम उल्लंघन को लेकर भारत के प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा कि पाकिस्तान के साथ संबंध यथावत नहीं रह सकते जिसे दो भारतीय सैनिकों की नृशंस हत्या करने वालों पर मुकदमा चलाना चाहिए । भारतीय सेना के प्रमुख जनरल बिक्रम सिंह ने भी कहा है कि उन्होंने नियंत्रण रेखा पर बटालियन कमांडरों को निर्देश दिया है कि अगर पाकिस्तान की सेना संघर्ष विराम का उल्लंघन कर उकसाती है या आतंकवादियों को जम्मू-कश्मीर में धकेलती है तो वे भी आक्रामक कार्रवाई करें। (एजेंसी)

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