NSA के जरिए भारत पर भी नजर रखता है अमेरिका

अमेरिकी खुफिया एजेंसी एनएसए भारत सहित विश्व के अन्य कई देशों की कंप्यूटर और टेलीफोन नेटवर्क की सूचनाओं की निगरानी कर रहा है और गोपनीय तरीके से उन्हें एकत्र कर रहा है।

लंदन : अमेरिकी खुफिया एजेंसी एनएसए भारत सहित विश्व के अन्य कई देशों की कंप्यूटर और टेलीफोन नेटवर्क की सूचनाओं की निगरानी कर रहा है और गोपनीय तरीके से उन्हें एकत्र कर रहा है।
अमेरिकी खुफिया एजेंसी इस काम के लिए डेटा एकत्र करने वाले एक कंप्यूटर प्रोग्राम का उपयोग करती है। अमेरिका जिन देशों की जासूसी करता है उसमें भारत शीर्ष पांच में आता है।
ब्रिटेन के ‘गार्डियन’ अखबार का दावा है कि उसने अमेरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसी एनएसए के डेटा-एकत्र करने वाले (कंप्यूटर) प्रोग्राम संबंधी गोपनीय दस्तावेज हासिल किए हैं। इस प्रोग्राम को ‘बांउडलेस इंफॉर्मेंट’ कहा जाता है।
यह प्रोग्राम विभिन्न देशों के कंप्यूटरों और टेलीफोन से भारी मात्रा में आंकड़े एकत्र करता है और उनका विश्लेषण करता है।
अखबार की खबर के अनुसार, एनएसए के गोपनीय ‘ग्लोबल हीट मैप’ में निहित बाउंडलेस इंफॉर्मेंट डेटा के सारांश से पता चलता है कि मार्च 2013 में एजेंसी ने पूरी दुनिया के कप्यूटर नेटवर्क से 97 अरब खुफिया जानकारी एकत्र की है।
इससे पता चला है कि इस अवधि में सबसे ज्यादा सूचनाएं ईरान से एकत्र की गईं । ईरान से 14 अरब सूचनाएं एकत्र की गईं । 13.5 अरब सूचनाओं के साथ पाकिस्तान दूसरे स्थान पर रहा।
अमेरिका का सबसे करीबी अरब देश इस सूची में तीसरे स्थान पर है। अमेरिका ने जॉर्डन से 12.7 अरब सूचनाएं एकत्र की हैं। मिस्र से 7.6 अरब जबकि भारत से 6.3 अरब सूचनाएं एकत्र की गई हैं । इस सूची में भारत पांचवे स्थान पर आता है।
बाउंडलेस इंफॉर्मेंट प्रोग्राम के संबंध में एनएसए का फैक्टशीट कहता है कि यह प्रोग्राम उपयोगकर्ता को नक्शे से एक देश का चयन करने, वहां भारी मात्रा में मौजूद डेटा को देखने और उसे जमा करने में सक्षम बनाता है। ‘हीट मैप’ प्रत्येक देश को एक विशेष रंग का कोड देता है जो दिखाता है कि एनएसए सर्विलांस के लिए वह देश कितना महत्वपूर्ण है।
इसमें हरे रंग के देश सबसे कम महत्वपूर्ण हैं तथा नारंगी और लाल रंग के देश सर्विलांस की दृष्टि से सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण हैं। इस संबंध में एनएसए का रुख है कि अभी तक कोई भी तकनीक ऐसा करने में सक्षम नहीं है।
यह भंड़ाफोड़ अमेरिकी राजनीतिक इतिहास के सबसे महत्वपूर्ण नीतिगत लीक में शामिल है। कहा जा रहा है कि यह भंडाफोड़ सीआईए के पूर्व तकनीकी सहायक 29 वर्षीय एडवर्ड स्नोडेन ने किया है।
एडवर्ड ने इन गोपनीय दस्तावेजों को सार्वजनिक करने का निर्णय लेने के साथ ही यह भी फैसला किया कि वे अपनी पहचान नहीं छुपाएंगे।
उन्होंने कहा, ‘मेरी अपनी पहचान छुपाने की कोई मंशा नहीं है क्योंकि मैं जानता हूं कि मैंने कुछ गलत नहीं किया है।’ (एजेंसी)

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