UNSC में भिड़े अफगान और पाक राजनयिक

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की यहां हुई बैठक में अफगानिस्तान और पाकिस्तान के शीर्ष राजनयिकों के बीच सीमा पार से आतंकवाद और आतंकवादियों की सुरक्षित पनाहगाहों की मौजूदगी के मुद्दे पर चर्चा के दौरान तकरार हो गई।

संयुक्त राष्ट्र : संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की यहां हुई बैठक में अफगानिस्तान और पाकिस्तान के शीर्ष राजनयिकों के बीच सीमा पार से आतंकवाद और आतंकवादियों की सुरक्षित पनाहगाहों की मौजूदगी के मुद्दे पर चर्चा के दौरान तकरार हो गई।
विश्व संस्था में अफगान राजदूत जहीर तनीन ने गुरुवार को अफगानिस्तान पर सुरक्षा परिषद की विशेष चर्चा के दौरान 15 सदस्यीय निकाय से कहा ‘यह तथ्य यथावत है जब तक पाकिस्तान में आतंकवादियों की पनाहगाह रहेंगी और कुछ तत्व आतंकवाद का उपयोग विदेश नीति के एक हथियार के तौर पर करते रहेंगे तब तक अफगानिस्तान या क्षेत्र में शांति नहीं आएगी।’
तनीन ने अफगानिस्तान पाकिस्तान सीमा पर हाल ही में हुई गोलीबारी के संदर्भ में कहा ‘सीमा पर गोलीबारी से हम बहुत चिंतित हैं। इससे अफगान संप्रभुता को गंभीर खतरा होने और दोनों देशों के बीच दोस्ताना रिश्तों के भविष्य को लेकर चिंता होती है।’ संयुक्त राष्ट्र में पाकिस्तान के राजदूत मसूद खान ने बाद में तीखी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि तनीन ने जो कुछ कहा, उसे वह सिरे से नकारते हैं।
उन्होंने कहा ‘नहीं, यह बिल्कुल सही नहीं है। यह बात सभी जानते हैं। यह अच्छी कूटनीति भी नहीं है। इस तरह के तर्कों से आप हमारी ईमानदारी पर संदेह जताते हैं।’
मसूद खान ने कहा ‘पाकिस्तान में हम किसी तत्व की तरह नहीं बल्कि एक पूरे देश के तौर पर काम करते हैं। राज्य के सभी संस्थानों में इस बात को लेकर सहमति है कि अफगानिस्तान और पाकिस्तान दोनों के लिए ही आतंकवाद खतरा है और दोनों देशों को इससे निपटने के लिए मिल कर काम करना चाहिए।’
उन्होंने कहा ‘मैं जैसे को तैसा बताने के लिए राजदूत तनीन के दावे को खारिज नहीं कर रहा हूं। मैंने कहा है कि इस बात पर जोर देना चाहिए कि बिना निगरानी वाली सीमा के दोनों ओर आतंकवादी सक्रिय हैं। पाकिस्तान के खिलाफ कई हमलों की साजिश अफगानिस्तान में रची गई।’
खान ने कहा ‘इसीलिए हमें सीमा पर गहन निगरानी की जरूरत है। इससे गोलीबारी रोकने में भी मदद मिलेगी। हमें चाहिए कि हम आतंकवादियों को अफगानिस्तान और पाकिस्तान की जनता को बहकाने से रोकें।’ उन्होंने कहा कि सभी द्विपक्षीय मुद्दों के हल के लिए पाकिस्तान और अफगानिस्तान कई राजनीतिक और सैन्य चैनलों के जरिये बातचीत करते हैं।
गौरतलब है कि दोनों देशों को 2,640 किमी लंबी डूंरड रेखा विभाजित करती है जिस पर कई जगहों पर निगरानी नहीं है। सीमाई इलाकों में आए दिन हिंसा और टकराव होता रहता है क्योंकि इस्लामाबाद को लगता है कि तहरीक ए तालिबान पाकिस्तान को अफगानिस्तान के कुछ तत्व पाकिस्तान में हमले करने के लिए सहयोग दे रहे हैं। अफगानों और नाटो का इस्लामाबाद पर आरोप है कि उसने उनके शत्रु, तालिबान से जुड़े हक्कानी नेटवर्क को पनाह दे रखी है।
उनका आरोप है कि हक्कानी नेटवर्क को आईएसआई और पाकिस्तानी तत्व मदद कर रहे हैं। (एजेंसी)

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