अन्ना ने ठुकराई केजरीवाल की 2 करोड़ रुपए की पेशकश
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अन्ना ने ठुकराई केजरीवाल की 2 करोड़ रुपए की पेशकश

अन्ना हजारे ने आंदोलन के दौरान जुटाई गई 2 करोड़ की धनराशि लौटाने की अरविंद केजरीवाल की पेशकश स्वीकार नहीं करने का फैसला किया है।

ज़ी न्यूज़ ब्यूरो/एजेंसी
नई दिल्ली : भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन के राजनीतिक रूख अपनाने और टीम अन्ना के विभाजन के बावजूद अन्ना हजारे ने आंदोलन के दौरान जुटाई गई 2 करोड़ की धनराशि लौटाने की अरविंद केजरीवाल की पेशकश स्वीकार नहीं करने का फैसला किया है। टीम के दो फाड़ होने के बाद नई दिल्ली के महाराष्ट्र सदन में हुई बैठक में अन्ना हजारे के समर्थकों ने उनसे केजरीवाल की अगुवाई वाले पब्लिक कॉज फाउंडेशन से धनराशि वापस मांगे जाने की अपील की थी लेकिन अन्ना हजारे ने समर्थकों से कहा कि वह पहले ही इस धनराशि को ठुकरा चुके हैं।
बैठक में शामिल सूत्रों ने दावा किया कि अन्ना हजारे ने बैठक के दौरान समर्थकों को बताया कि केजरीवाल ने 2 करोड़ की धनराशि वापस करने की पेशकश की थी लेकिन उन्होंने उनसे रकम अपने पास ही रखने को कहा। स्वयंसेवकों का मत था कि आंदोलन चलाने के लिए उन्हें धन की जरूरत होगी लेकिन अन्ना हजारे ने कहा कि उन्हें नया आंदोलन खड़ा करना है और धन का मुद्दा लड़ाई का मुद्दा नहीं होना चाहिए। राजनीतिक पार्टी के गठन के सवाल पर केजरीवाल से 19 सितंबर को औपचारिक तौर पर राहें अलग होने के बाद इस मुद्दे पर अगले दिन 20 सितंबर को महाराष्ट्र सदन में बैठक हुई जिसमें किरण बेदी भी शरीक हुईं थी।
सूत्रों ने बताया कि राजनीतिक पार्टी के गठन के सवाल पर मतभेद उभरने के बाद अरविंद केजरीवाल ने अन्ना हजारे से कई बार चेक लेने की पेशकश की थी। केजरीवाल रालेगण सिद्धि गए और चेक देने की पेशकश की लेकिन अन्ना हजारे ने इसे लेने से इंकार कर दिया। सूत्रों ने कहा कि अन्ना का मत था कि उन्हें स्वयंसेवकों की सूची की एक प्रति लेने की कोशिश करनी चाहिए। अन्ना के हवाले से उन्होंने कहा, ‘वे हमें एक प्रति दे सकते हैं और एक अपने पास रख सकते हैं। इसमें नुकसान क्या है?’ हालांकि इंडिया अगेंस्ट करप्शन ने इस मुद्दे पर प्रतिक्रिया देने से इंकार कर दिया।
इसी बीच अन्ना हजारे के करीब सहयोगी सुरेश पठारे ने निजी कारणों का हवाला देकर भ्रष्टाचार विरोधी मुहिम के अगवा के कार्यालय से इस्तीफा दे दिया। उन्होंने कहा, ‘मैं सोचता हूं कि मैं इस आंदोलन को पूरा समय नहीं दे पाउंगा। लेकिन मैं एक स्वयंसेवक की हैसियत से काम करूंगा जैसा अन्ना चाहेंगे।’ जब उनसे पूछा गया कि क्या वह अरविंद केजरीवाल के राजनैतिक दल में शामिल होंगे तो उन्होंने उसका नकारात्मक उत्तर दिया। सूत्रों ने दावा किया कि ग्रामीणों को पठारे को लेकर आपत्ति थी और इसी वजह से उन्होंने इस्तीफा दिया।

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