आंदोलन विरोध के पीछे कौन: अन्ना

अन्ना हजारे ने उनकी टीम के सदस्यों पर लगातार लग हो रहे आरोपों के बीच सवाल किया कि उनके आंदोलन का विरोध करने वाली ताकतों के पीछे असली सूत्रधार कौन है।

नई दिल्ली : अन्ना हजारे ने उनकी टीम के सदस्यों पर लगातार लग हो रहे आरोपों के बीच सवाल किया कि उनके आंदोलन का विरोध करने वाली ताकतों के पीछे असली सूत्रधार कौन है। गांधीवादी कार्यकर्ता ने कहा कि उनके आंदोलन में फूट डालने का प्रयास करने वालों को न तो सफलता मिली है, न मिलेगी।

 

हज़ारे ने अपने ब्लॉग पर ‘मुझे और टीम को बदनाम करने का षड्यंत्र’ शीषर्क से लिखे नए लेख में कहा, ‘‘राष्ट्र के भविष्य के लिए लोकपाल का विषय बहुत ही महत्वपूर्ण है। अपना हित रखने वाले कुछ लोग और शक्तियां इसके खिलाफ प्रयासरत हैं। यह भी प्रतीत होता है कि भांति-भांति के छद्म तरीकों वाली बड़ी फौज इसके पीछे लगी है। उन्होंने कहा कि जब से जनलोकपाल विधेयक का उनका आंदोलन शुरू हुआ है, उनकी टीम के सदस्यों पर आरोप लगाये गए हैं और उनमें फूट डालने का प्रयास किया गया है।

 

अन्ना ने लिखा, सुना है कि इस काम में करोड़ों रुपये भी लगे हुए हैं। आंदोलन विरोधी ताकतें लगातार ऐसे प्रयास कर रही हैं। सामने आने वाले चेहरों के पीछे असली सूत्र संचालक कौन है? इस व्यापक प्रसिद्धी तंत्र के लिये आवश्यक वित्त का प्रबंध कहां से हो रहा है? ऐसे कई सवाल हैं। जो कुछ भी हो, हमारे बीच फूट डालने के प्रयासों को न सफलता मिली है और न हीमिलेगी।

 

अन्ना की यह टिप्पणी ऐसे समय आयी है जब उनके पूर्व ब्लॉगर राजू परूलेकर ने उनकी टीम पर कई आरोप लगाए हैं और मांग की है कि अन्ना के नाम पर इकट्ठा दानराशि को अरविंद केजरीवाल की संस्था पीसीआरएफ से अन्ना के ट्रस्ट में हस्तांतरित किया जाए।प रूलेकर के आरोपों के जाहिरा संदर्भ में अन्ना ने ब्लॉग पर लिखा, इंडिया अगेन्स्ट करप्शन एक आंदोलन है। इस आंदोलन के दफ्तर का काम मेरे सहयोगी अरविंद केजरीवाल की संस्था पीसीआरएफ शुरू से ही कर रही है। आंदोलन के नाम कोई बैंक अकाउंट नहीं है इसलिए आंदोलन के लिए जमा हुई राशि पीसीआरएफ संस्था के खाते में जमा करायी गयी।

 

उन्होंने कहा कि पांच अप्रैल 2011 से आंदोलन के दौरान जमा हुई राशि में से आंदोलन का पूरा खर्च भी किया गया और उसका ऑडिट हुआ। अन्ना ने कहा, पीसीआरएफ संस्था का ट्रस्टी बनने का आग्रह भी मुझे किया गया था लेकिन मैं नहीं मानता कि इस संस्था में या आंदोलन में शामिल होने वाली हर संस्था में पदासीन होना या सदस्य होना मेरे लिए जरूरी है। न ही वह मुझे पसंद है। रालेगण सिद्धी के बाहर की किसी भी संस्था में मैं न्यासी नहीं हूं। मुझ जैसे कार्यकर्ता के लिये यह जरूरी भी नहीं है। आंदोलन का काम पूरी तरह पारदर्शी है। इस बारे में हममें कोई अलगाव नहीं है, हम सब एक हैं।

 

उन्होंने कहा कि टीम पर लगते आरोप राष्ट्र के भविष्य के लिये महत्वपूर्ण आंदोलन तथा जनलोकपाल विधेयक से ध्यान हटाने के प्रयास हैं। ऐसा होना जनहित में नहीं हैं। अन्ना ने कहा, आंदोलन तथा हमारी टीम के खिलाफ प्रयासरत शक्तियां सस्ती प्रसिद्धी और लाभ पाने की इच्छुक हैं, जबकि मैं और मेरे सहयोगी व्यक्तिगत लाभ के लिए नहीं, बल्कि समाज के व्यापक हित में लड़ाई लड़ना चाहते हैं।

 

उन्होंने कहा, इस लड़ाई में देश-विदेश के करोड़ों नौजवानों के साथ ही समाज का बहुत बड़ा तबका हमारा साथ दे रहा है। यह रचनात्मक शक्ति षड्यंत्रकारियों की आर्थिक-राजनीतिक ताकतों से भी बहुत बड़ी है। मुझे पूरा यकीन है कि अंतिम जीत इसी ‘विधेयक-शक्ति’ की होगी।  (एजेंसी)

 

 

 

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