'आर्मी चीफ ने कार्रवाई से मना किया था'

रक्षा मंत्री एके एंटनी ने मंगलवार को संसद में खुलासा किया कि उन्होंने सेना प्रमुख जनरल वीके सिंह से कहा था कि एक रक्षा सौदे में उन्हें 14 करोड़ रुपये की रिश्वत देने के मामले में वह कार्रवाई करें लेकिन वह मामले को आगे नहीं बढ़ाना चाहते थे।

ज़ी न्यूज  ब्यूरो

 

नई दिल्ली : रक्षा मंत्री एके एंटनी ने मंगलवार को संसद में खुलासा किया कि उन्होंने सेना प्रमुख जनरल वीके सिंह से कहा था कि एक रक्षा सौदे में उन्हें 14 करोड़ रुपये की रिश्वत देने के मामले में वह कार्रवाई करें लेकिन वह मामले को आगे नहीं बढ़ाना चाहते थे। उन्होंने कहा कि सेना प्रमुख ने न तो इस मामले को आगे बढ़ाया और न ही बाद में कोई लिखित शिकायत की।

 

एंटनी ने कहा कि यदि किसी तरह की गड़बड़ी पाई जाती है तो वह सौदा रद्द करने को तैयार हैं। यदि मैं गलत हूं तो मुझे भी सजा मिलनी चाहिए। एंटनी ने सेना प्रमुख के रिश्वत की पेशकश संबंधी आरोप पर कहा कि मामले की जांच के बाद कार्रवाई की जाएगी और किसी को भी बख्शा नहीं जाएगा। आर्मी चीफ ने करीब एक साल पहले इस प्रकरण के बारे में बताया था। उस समय मैंने सेनाध्‍यक्ष को मामले में कार्रवाई करने को कहा था। लेकिन जनरल ने किसी तरह की कार्रवाई करने से मना कर दिया था। पता नहीं आर्मी चीफ ने ऐसा क्‍यों किया। जनरल ने कोई लिखित शिकायत भी नहीं की थी।

 

एंटनी ने एक अंग्रेजी दैनिक में कल प्रकाशित सेना प्रमुख के साक्षात्कार में किए गए दावे पर अपनी ओर से राज्यसभा में दिए गए बयान में यह खुलासा किया। उन्होंने कहा कि करीब एक साल पहले उनकी सेना प्रमुख जनरल वीके सिंह से मुलाकात की थी। रक्षा मंत्री के अनुसार सिंह ने उनसे कहा कि एक सेवानिवृत्त ले. जनरल तेजेन्दर सिंह ने मुझसे मुलाकात की और मुझे 14 करोड़ रुपये की पेशकश के बारे में बताया। उन्होंने कहा, ‘मैं स्तब्ध रह गया। मुझे सामान्य होने में एक दो मिनट लगे।’

 

उन्होंने कहा कि मैंने उनसे कार्रवाई के लिए कहा, लेकिन उन्होंने कहा कि वह इस मामले को आगे बढ़ाना नहीं चाहते। रक्षा मंत्री ने कहा कि वह मुझे लिखित शिकायत कर सकते थे, लेकिन उन्होंने कोई लिखित शिकायत नहीं की। उन्होंने कहा कि कल जब उन्होंने एक अखबार में सैन्य प्रमुख का साक्षात्कार देखा तो उन्होंने रक्षा सचिव से कहा कि यह मामला गंभीर है और इसकी सीबीआई से जांच कराई जाए। एंटनी ने कहा कि कल उन्हें लोकसभा में सवालों के जवाब देने थे, इसलिए वह रक्षा सचिव से बातचीत कर संसद आ गए। संसद से लौटने के बाद उन्होंने अखबार में छपी रिपोर्ट के तथ्यों की व्यापक सीबीआई जांच के लिखित आदेश दिए।

 

रक्षा मंत्री ने सदन को आश्वासन दिया कि जांच में दोषी पाए जाने पर किसी भी व्यक्ति को बख्शा नहीं जाएगा भले ही वह कितना ही प्रभावशाली क्यों नहीं हो। उन्होंने कहा कि इस मामले में मैंने अपनी ओर से बेहतर निर्णय करने का प्रयास किया है। यदि मैंने कोई गलती की है तो आप सजा दे सकते हैं। रक्षा मंत्री ने अपने बयान के शुरू में कहा कि वह 1958 में छात्र राजनीति के माध्यम से सार्वजनिक जीवन में आए। उसके बाद से अभी तक उन्होंने सार्वजनिक जीवन में शुचिता और भ्रष्टाचार के खिलाफ मुहिम को सर्वाधिक अहमियत दी है। वह तीन बार केरल के मुख्यमंत्री और इससे पहले एक बार केंद्रीय मंत्री रह चुके हैं। पिछली बार उन्होंने केंद्रीय पद से इस्तीफा दिया था तो सभी संसद सदस्य उन्हें ऐसा नहीं करने की सलाह दे रहे थे, लेकिन उन्होंने किसी की बात नहीं मानी।

 

एंटनी ने कहा कि इस बार भी जब उन्हें रक्षा मंत्री बनाने की बात आई तो वह शुरू में हिचकिचाए। लेकिन पार्टी नेतृत्व ने उनसे यह मंत्रालय संभालने को कहा कि क्योंकि यह मंत्रालय रक्षा सौदों के कारण विवादों में रहता है। एंटनी ने कहा कि उन्होंने रक्षा मंत्री का पद संभालने के बाद सैनिक नेतृत्व से मुलाकात की और यह स्पष्ट कर दिया कि वह आधुनिकीकरण के पक्ष में हैं लेकिन भ्रष्टाचार को तनिक भी बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। उन्होंने कहा कि रक्षा खरीद के किसी भी चरण में यदि भ्रष्टाचार की बात साबित हुयी तो पूरे सौदे को रद्द कर दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि वह हर शिकायत को गंभीरता से लेते हैं और उसे रक्षा मंत्रालय के जरिए सेना के पास भेज देते हैं ताकि आरोपों का पता लगाकर जरूरत के अनुसार कार्रवाई की जा सके। उन्‍होंने कहा कि वह गुमनाम शिकायतों की भी अनदेखी नहीं करते।
एंटनी ने कहा कि उन्होंने आदर्श भूमि घोटाले सहित विभिन्न मामलों में सीबीआई जांच के आदेश दिए। इससे पहले कभी इतने मामलों में सीबीआई जांच के आदेश नहीं दिए गए। इन्हीं जांचों का नतीजा है कि चार विदेशी सहित छह कंपनियों को दस साल के लिए काली सूची में डाला गया है। उन्होंने कहा कि उन पर आरोप लगता है कि वह रक्षा सौंदों में विलंब करते हैं। उन्होंने कहा कि भले ही विलंब हो लेकिन भ्रष्टाचार को किसी भी कीमत पर सहन नहीं किया जाएगा। रक्षा मंत्री ने कहा कि वह नियमित तौर पर तीनों सेनाओं के प्रमुखों से मिलते हैं और यह मुलाकात अलग अलग की जाती है। इन मुलाकातों में सैन्य प्रमुख ताजा परिस्थितियों से उन्हें अवगत कराते रहते हैं और अपनी समस्याएं बताते हैं।

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