उत्तराखंड: हजारों और सुरक्षित निकले, बचाव कार्यों के लिए दो दिन अहम

उत्तराखंड की दुर्गम पहाड़ियों और पर्वतीय क्षेत्रों में फंसे हुए लोगों को निकालने के लिहाज से बचाव कर्मियों के लिए अगले 48 घंटे अहम हैं क्योकि बारिश रविवार शाम तक फिर लौट सकती है।

ज़ी मीडिया ब्‍यूरो/एजेंसी
नई दिल्ली : उत्तराखंड की दुर्गम पहाड़ियों और पर्वतीय क्षेत्रों में फंसे हुए लोगों को निकालने के लिहाज से बचाव कर्मियों के लिए अगले 48 घंटे अहम हैं क्योकि बारिश रविवार शाम तक फिर लौट सकती है। चमोली, रुद्रप्रयाग और उत्तरकाशी के बुरी तरह प्रभावित क्षेत्रों से 35000 से अधिक लोगों को अभी तक सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया है। जबकि राज्‍य के विभिन्‍न आपदा प्रभावित क्षेत्रों में अभी भी करीब 50000 लोग फंसे हुए हैं।
इस बीच, शुक्रवार को मरने वालों की तादाद बढ़कर 500 से अधिक हो गई, जबकि बचाव और राहत कार्य युद्ध स्‍तर पर जारी हैं। मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा ने कहा कि अभी तक कुल 556 शव निकाले गए हैं और इस बात की आशंका जाहिर की जा रही है कि मलबों के अंदर और भी शव दबे हो सकते है। उन्होंने कहा कि हिमालय के इतिहास में इस तरह की त्रासदी नहीं हुई थी। उत्तराखंड के पुननिर्माण में समय लगेगा और अगले दो वर्षों तक केदारनाथ की तीर्थयात्रा संभव नहीं हो सकेगी। आपदा से सबसे ज्यादा केदारनाथ ही प्रभावित हुआ है।
हालांकि, मुख्यमंत्री ने बताया कि जो अभी भी फंसे हुए हैं उनकी जान को कोई खतरा नहीं है। उन्होंने कहा कि यह अत्यंत दुखद है कि इस प्राकृतिक आपदा में असंख्य लोगों की जान गई। लोगों को पूरी तरह से निकालने के काम में और 15 दिन लगेंगे।
हरिद्वार के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक राजीव स्वरूप ने कहा कि कल शाम से यहां विभिन्न स्थानों पर गंगा से 40 शव बरामद हुए हैं। मृतकों की संख्या अब भी बढ़ सकती हैं क्योंकि उत्तराखंड के प्रधान सचिव राकेश शर्मा ने कहा कि मरने वालों की संख्या ‘काफी बढ़’ सकती है।
उत्तराखंड में जलप्रलय से हुई तबाही से प्रभावित लोगों के लिए राहत और बचाव कार्य को शीर्ष प्राथमिकता बताते हुए केंद्र सरकार ने कहा कि राहत कार्य और तेज किए गए हैं जबकि बाढ़ में फंसे हजारों लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाने के लिए और हेलीकाप्टर लगाए गए हैं। भारतीय वायुसेना ने 300 से ज्यादा उड़ानें भरी और केदारनाथ, धरासू और बद्रीनाथ जैसे सर्वाधिक प्रभावित इलाकों से दो हजार से ज्यादा लोगों को बचाया है।
राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (एनडीआरएफ) के महानिरीक्षक संदीप राय राठौर ने बताया कि 22 और 23 जून अहम तारीख है और सभी एजेंसियां इस वक्त अधिकांश राहत एवं बचाव कार्य के लिए अपनी अधिकतम कोशिशें कर रही हैं। राठौर ने बताया कि हम जानते हैं कि बारिश किसी भी वक्त हो सकती है और मौसम विभाग ने भविष्य में बारिश होने का पूर्वानुमान लगाया है। हम उसके लिए तैयार हैं। एनडीआरएफ ने राज्य में बचाव कार्य के लिए 13 टीमें लगाई है। इस कार्य में आईटीबीपी और सेना की टुकड़ियां भी लगाई गई हैं। अधिकारी ने यह भी बताया कि उनके आदमी विस्थापित लोगों को बचाने के लिए कुछ दुस्साहसपूर्ण कार्य भी कर रहे हैं।
कैबिनेट सचिव अजीत सेठ ने थलसेना, वायुसेना, आईटीबीपी, एनडीआरएफ और बीआरओ समेत अन्य एजेंसियों के शीर्ष अधिकारियों के साथ बैठक में उत्तराखंड में तलाशी, बचाव और राहत कार्यों का जायजा लिया। बैठक में शामिल हुए भारतीय मौसम विज्ञान विभाग के महानिदेशक ने कहा कि पश्चिमी हिमालय क्षेत्र में रविवार शाम से हल्की से मध्यम दर्जे की बारिश हो सकती है और 26 जून से कुछ इलाकों में भारी बारिश के आसार बन रहे हैं।
एयर मार्शल एसबी देव ने यहां संवाददाताओं से कहा कि हमारे पास 48 घंटे का अहम समय है और हम फंसे हुए लोगों को निकालने के लिए हरसंभव प्रयास करेंगे। वायुसेना ने 43 हेलीकॉप्टरों समेत 241 विमानों के माध्यम से बचाव कार्य किया। एक विशालकाय एमआई-26 हेलीकॉप्टर ने ईंधन पहुंचाने के काम में मदद की। राहत अभियान में शामिल होते हुए नौसेना ने भी लोगों को बचाने के लिए अपने तकरीबन 45 गोताखोरों को तैनात किया है। थलसेना राहत अभियान जारी रखे है और उसने अपने तकरीबन 8000 जवानों को तैनात कर रखा है। यह पिछले कई दशकों में थलसेना के सबसे बड़े अभियानों में से एक है।
एक थलसेना अधिकारी ने यहां बताया कि अब तक सड़क मार्ग और सेना हेलीकाप्टरों से तकरीबन 16,000 लोगों को बचाया गया है। सेना ने शुक्रवार को सोनप्रयाग और गौरीकुंड के बीच की महत्वपूर्ण सड़क खोल दी है। गौरीकुंड में फंसे हुए लगभग 1000 लोगों को सोनप्रयाग से टिहरी जाने वाली नई सड़क से निकाला गया है। सेना के जवान जो पर्वतारोहण में निपुण हैं, उन्होंने गौरीकुंड और रामबाड़ा के बीच में घाटियों, कछारों और नालों के बीच फंसे हुए लोगों को निकाल लिया।
मध्य कमान के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल अनिल चैठ ने यहां संवाददाताओं से कहा कि मैं कहना चाहूंगा कि हमें फंसे तीर्थयात्रियों और लोगों को निकालने के लिए सभी उपलब्ध तंत्रों और उपकरणों को शामिल करना चाहिए। उन्होंने कहा कि एक हजार लोग हर्षिल में, 500 लोग गंगोत्री में और 300 लोग भैरवघाटी में फंसे हैं।
उधर, रक्षा मंत्रालय ने बाढ़ का कहर झेल रहे उत्तराखंड में राहत और बचाव अभियान में अपने प्रयास तेज करते हुए 13 और विमान तैनात किए। सेना ने पहले ही अपने शक्तिशाली एमआई-26 हेलीकाप्टर और सी-130जे हरक्‍यूलिस विमान समेत 40 विमान तैनात कर रखे हैं। रक्षा मंत्रालय की ओर से जारी एक विज्ञप्ति में कहा गया कि भारतीय वायुसेना ने 13 और विमान लगाए हैं। पहले से ही भारतीय वायुसेना के 30 विमान राहत एवं बचाव अभियान में लगा रखे हैं।
वहीं, रेलवे देहरादून से दिल्ली, अंबाला और लखनउ तक विशेष ट्रेनें चला रहा है जिनसे उत्तराखंड में फंसे हुए यात्रियों को निकालने के बाद भेजा जाएगा। सेना के अलावा सशस्त्र सीमा बल, आईटीबीपी, एनडीआरएफ और बीआरओ के जवान राहत और बचाव कार्य में लगे हुए हैं।

Zee News App: पाएँ हिंदी में ताज़ा समाचार, देश-दुनिया की खबरें, फिल्म, बिज़नेस अपडेट्स, खेल की दुनिया की हलचल, देखें लाइव न्यूज़ और धर्म-कर्म से जुड़ी खबरें, आदि.अभी डाउनलोड करें ज़ी न्यूज़ ऐप.