उत्तराखंड:1000 से ज्यादा हो सकती है मृतकों की संख्या, 22,000 अब भी फंसे

प्रतिकूल मौसम की भविष्यवाणी के मद्देनजर तमाम उपलब्ध साधनों को राहत एवं बचाव कार्य में झोंकते हुए शनिवार को उत्तराखंड में बाढ़ से सबसे अधिक प्रभावित केदारनाथ सहित तबाह हुए अन्य विभिन्न ऊपरी क्षेत्रों से 10 हजार से अधिक लोगों को निकाला गया।

देहरादून/नई दिल्ली : प्रतिकूल मौसम की भविष्यवाणी के मद्देनजर तमाम उपलब्ध साधनों को राहत एवं बचाव कार्य में झोंकते हुए शनिवार को उत्तराखंड में बाढ़ से सबसे अधिक प्रभावित केदारनाथ सहित तबाह हुए अन्य विभिन्न ऊपरी क्षेत्रों से 10 हजार से अधिक लोगों को निकाला गया। विनाशलीला का सबसे ज्यादा असर झेलने वाले केदारनाथ मंदिर परिसर से 123 शव मिले, जिसे मिलाकर इस पर्वतीय हादसे में मरने वालों की तादाद बढ़कर 680 हो गई।
केंद्र और राज्य सरकार की ओर से उपलब्ध करायी गई जानकारी के अनुसार वृहद पैमाने पर विभिन्न एजेंसियों द्वारा जारी राहत अभियान के तहत कुल मिलाकर 70 हजार लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया है। इसके अलावा अभी 22 हजार और लोगों को निकाला जाना बाकी है। रविवार के मौसम में ज्यादा बदलाव की उम्मीद नहीं है, लेकिन अभियान में लगे लोग सोमवार और मंगलवार को वारिष के बारे में की गई भविष्यवाणी को लेकर चिंतित हैं जिससे उनका कार्य प्रभावित हो सकता है।
पहाड़ों से आयी पानी की तेज धार ने अपने पीछे मौत और तबाही का मंजर छोड़ा है। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा ने यहां संवाददाताओं से कहा, ‘मरने वालों संख्या एक हजार का आंकड़ा छू सकती है।’ उन्होंने कहा कि अंतिम मृतक संख्या तभी मिल सकेगी जब मलबा साफ होगा, जिसके नीचे कई शव दबे हो सकते हैं।
मुख्यमंत्री बहुगुणा बताया, ‘केदारनाथ को अब तीर्थयात्रियों से पूरी तरह से खाली करा लिया गया है और अब बद्रीनाथ से तीर्थयात्रियों को निकाला जाएगा, जहां तकरीबन 8,000 लोग फंसे हुए हैं।’ राज्य में बारिश और बाढ़ के इस कहर से बहुत बड़े नुकसान की बात स्वीकार करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि मरने वालों का आंकड़ा एक हजार तक हो सकता है।
राज्य सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि केदारनाथ परिसर से 123 शव मिले हैं। विशेषज्ञों का एक दल पूरे इलाके में फैले शवों को एकत्र करने के लिए वहां गया था। अधिकारी, जो अपना नाम नहीं बताना चाहते थे, ने कहा कि अगले एक दो दिन में कुछ और शव निकल सकते हैं, जब इलाके में पड़ा कीचड़ और मलबा साफ होगा।
बहुगुणा ने कहा कि केन्द्र और राज्य सरकारें प्रभावित इलाकों में फंसे लोगों को सुरक्षित निकालने के लिए यथासंभव प्रयास कर रही हैं। राहत अभियानों में 44 हेलीकाप्टर और बड़ी संख्या में सेना और अर्धसैनिक बलों के जवानों को लगाया गया है। बहुगुणा ने कहा कि केदारनाथ मंदिर को फिर से खोलना सरकार की शीर्ष प्राथमिकता है और इसे भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण की सिफारिशों के अनुरूप इसका पुराना स्वरूप प्रदान किया जाएगा।
उन्होंने बताया कि गौरीकुंड के निकट जंगलचट्टी इलाके में देखे गए एक हजार तीर्थयात्रियों में से 400 को सुरक्षित निकाल लिया गया है।
करीब 600 तीर्थयात्री अभी भी वहीं फंसे हुए हैं, उन्हें वहां से निकालने तक खाने का पर्याप्त सामान और दवाएं मुहैया कराई जा रही हैं। मुख्यमंत्री ने कहा, ‘अब हमारा ध्यान बद्रीनाथ पर है, जहां से आज 500 लोगों को सुरक्षित निकाला गया। वहां फंसे लोगों की तादाद 7,000 से 8,000 के बीच है।
राज्य में सोमवार से और बारिश होने की आशंका के बीच सरकार ने शनिवार को बाढ़ से तबाह इस राज्य में बचाव कार्यों में तेजी लाने का फैसला किया। सू़त्रों ने बताया कि मंत्रिमंडल सचिव अजीत सेठ ने शनिवार को प्रधानमंत्री मनमोहन को राज्य के हालात की जानकारी देते हुए इस निर्णय से अवगत कराया।
बचाव अभियान में जुटे विभागों के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ बैठक के बाद सेठ प्रतिदिन सुबह और शाम प्रधानमंत्री को वहां के हालात की जानकारी दे रहे हैं। उन्होंने बताया कि फंसे हुए लोगों को बाहर निकालने और राहत सामग्री वितरण के लिए सेना और वायु सेना सहित कुल 56 हेलीकॉप्टरों रोजाना 220 उड़ान भर रहे हैं।
सूत्रों ने कहा कि सोमवार को और बारिश होने की आशंका को देखते हुए राहत कार्यों में तेजी लाई जाएगी और आज एवं रविवार को 500 उड़ानें भरी जाएंगी। सेना के करीब 6,200 जवान और इतनी ही संख्या में अर्ध सैनिक बल वहां फंसे हुए लोगों को बचाने के काम में दिन रात जुटे हुए हैं। इस बैठक में बताया गया कि राज्य का करीब 40,000 किलोमीटर का हिस्सा बाढ़ से प्रभावित हुआ है।
मंत्रिमंडल सचिव ने रक्षा सचिव, गृह सचिव, वायु सेना प्रमुख, थल सेना के उप प्रमुख, बीआरओ के महानिदेशक, आईटीबीपी के महानिदेशक और बाढ़ के हालात से निपटने के लिए बतौर नोडल अधिकारी नियुक्त पूर्व गृह सचिव वी के दुग्गल के साथ बैठक करने के बाद प्रधानमंत्री को राज्य के हालात से अवगत कराया।
इस बीच, सेना प्रमुख जनरल बिक्रम सिंह ने कहा कि पर्वतीय क्षेत्रों से फंसे हुए लोगों को निकालने के लिए प्रयास तेज किये जा रहे हैं क्योंकि ‘समय बहुत सीमित है।’ सेना ने अभियान में अपनी उपस्थिति बढ़ाई हे। उसने अपने कर्मचारियों की संख्या 500 से बढ़ा कर 6000 से अधिक कर दी है।
जनरल सिंह ने कहा,‘समय सीमित है। हमारे पास रविवार तक का ही मौका है क्योंकि मुझे बताया गया है कि मौसम फिर बिगड़ सकता है लेकिन हम अपने लोगों को वहां भेज रहे हैं।’ सेना प्रमुख शहर के बाहरी क्षेत्र डुंडीगल में वायुसेना अकादमी में संयुक्त स्नातक परेड की समीक्षा के बाद संवाददाताओं से बातचीत कर रहे थे। (एजेंसी)

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