कैग को मिले दंडित करने का हक: विनोद राय

भारत के नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक (कैग) ने शुक्रवार को संकेत दिया कि कैग को दंड देने का अधिकार मिलना चाहिये।

नई दिल्ली : भारत के नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक (कैग) ने शुक्रवार को संकेत दिया कि कैग को दंड देने का अधिकार मिलना चाहिये।
2जी स्पेक्ट्रम और कोल आवंटन में घोटाले की रिपोर्ट से चर्चा में आये कैग विनोद राय ने कहा कि वह इस संवैधानिक संस्था को बहुसदस्यीय बनाये जाने के खिलाफ नहीं है, लेकिन संस्था के पास जरूरी शक्तियां और जिम्मेदारी भी होनी चाहिये।
विनोद राय ने आज यहां एक सम्मेलन में कहा ‘उनके सुझाव में कुछ भी गलत नहीं है। दुनियाभर में इसके अलग अलग मॉडल हैं। कई जगह बहुसदस्यीय संस्थायें हैं। फ्रांस में इस तरह की संस्था एक न्यायालय की तरफ बैठती है, मेरा विश्वास कीजिये उनके पास बहुत ज्यादा शक्तियां हैं, वह गड़बड़ी करने वालों को दंडित कर सकते हैं।’
राय जल्द ही कुछ ही महीने में कैग के पद से सेवामुक्त होने वाले हैं। उन्होंने कहा, ‘कैग की तरह के आयोग भी बने हैं लेकिन उनके पास व्यापक अधिकार हैं। इसलिये जहां तक अधिकारों और शक्तियों की बात है, भारत का कैग कमजोर है, वास्तव में उसके पास कोई शक्ति नहीं है। भारत का कैग केवल आडिट रिपोर्ट तैयार करता है और उन्हें संसद के सुपुर्द कर देता है।’
विनोद राय ने उनसे पूछे गये एक सवाल के जवाब में ये बातें कहीं। उनसे पूर्व कैग वी.के. शुंगलू के सुझावों के बारे में पूछा गया था। शुंगलू ने कैग को बहुसदस्यीय संस्था बनाने का सुझाव दिया है। हालांकि, राय ने अपने जवाब में कैग को किस तरह की शक्तियां दी जानी चाहिये इसके बारे में विस्तार से कुछ नहीं कहा।
विनोद राय ने कहा कि बहुसदस्यीय कैग का सुझाव न्यायमूर्ति वेंकटचलैया समिति ने दिया था। समिति का गठन संविधान को फिर से लिखने के मुद्दे पर किया गया था। उन्होंने कहा,‘उस समय कैग की तरफ से जो टिप्पणी की गई वह यह थी कि इसे एक बहुस्तरीय संस्था नहीं बनाया जाना चाहिये। लेकिन तीन साल बाद या फिर दो साल बाद हमने कहा, हां इसे बहुसदस्यीय संस्था बनाया जाना चाहिये लेकिन इसके साथ इससे जुड़ी शक्तियां और जिम्मेदारियां भी होनी चाहिये।’
विनोद राय ने अपनी अतिसक्रियता वाली पहल का बचाव करते हुये इस बात पर जोर दिया कि सार्वजनिक लेखापरीक्षक का काम इस बात का ध्यान रखना भी है कि कार्यकारियों और सरकार को वित्तीय तौर पर विधायिका के प्रति जवाबदेह रखा जाये।
कैग पर 2जी और कोयला ब्लॉक आवंटन रिपोर्ट को लेकर सरकार और कांग्रेस पार्टी की तरफ से हमले किये गये।
विनोद राय ने कैग की बदलती भूमिका के मामले में कहा,‘हमारा काम केवल सरकार अथवा सरकारी संस्थानों के खर्च का आडिट करना ही नहीं है बल्कि आज हमारा काम 65 साल पहले की तुलना में कहीं अधिक है। सार्वजनिक लेखापरीक्षक का काम यह देखना है कि सरकार और कार्यकारियों को विधायिका के प्रति जवाबदेह रखा जाये। आखिर में जनता ही सर्वोपरि है।’ (एजेंसी)

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