चिट्ठी लीक होना ‘देशद्रोह’ का मामला:आर्मी चीफ

आर्मी चीफ जनरल वी के सिंह ने चिट्ठियों के लीक होने के मामले में पल्ला झाड़ लिया है।

ज़ी न्यूज ब्यूरो/एजेंसी

 

नई दिल्ली: आर्मी चीफ जनरल वी के सिंह ने चिट्ठियों के लीक होने के मामले में पल्ला झाड़ लिया है। उन्होंने चिट्ठियों के लीक होने पर कहा है कि इसमें उनका कोई हाथ नहीं है। आर्मी चीफ ने कहा है कि चिट्ठियों का लीक होना दुर्भाग्यपूर्ण है और उसकी जांच होनी चाहिए। वहीं, सरकार ने इस मामले की जांच आईबी को सौंप दी है।

 

सेना प्रमुख जनरल वीके सिंह ने गुरुवार को कहा कि प्रधानमंत्री को सेना की तैयारियों की खराब स्थिति के बारे लिखी चिट्ठी लीक होना ‘देशद्रोह’ का मामला है और इस काम को अंजाम देने वाले से सख्ती से निपटा जाना चाहिए। सेना प्रमुख को पद से हटाये जाने की मांग के बीच उन्होंने यह बात कही है।

सिंह का यह बयान ऐसे समय आया है जब रक्षा मंत्रालय के सूत्रों का कहना है कि खुफिया ब्यूरो से मीडिया में पत्र जारी होने की जांच करने को कहा गया है।

प्रधानमंत्री को लिखी आधिकारिक चिट्ठी लीक होने से सिंह और सरकार के बीच तनाव बढ़ गया है। जनरल सिंह ने कहा कि उनकी छवि खराब करने के लिये बेतुका रूख अपनाया गया है। सेना मुख्यालय द्वारा जारी संक्षिप्त बयान में सेना प्रमुख ने कहा कि उनका प्रधानमंत्री तथा रक्षा मंत्री के साथ आधिकारिक पत्राचार विशिष्ट प्रकार का है। सिंह फिलहाल जम्मू कश्मीर में हैं।

31 मई को रिटायर हो रहे जनरल सिंह ने कहा, ‘चिट्ठी लीक होने को देशद्रोह का कृत्य समझा जाना चाहिए। उनकी छवि खराब करने का बेतुका रूख बंद होना चाहिए। पत्र लीक करने वाले को तलाशा जाना चाहिए और उससे सख्ती से निपटा जाना चाहिए।’

सिंह का पत्र मीडिया में लीक होने के बाद समाजवादी पार्टी, जनता दल यू तथा राजद ने उन्हें बख्रास्त किये जाने की मांग की है। सरकार के साथ विपक्ष भी इस बात पर सहमत है कि उनकी सुरक्षा संबंधी चिंताएं सार्वजनिक नहीं होनी चाहिए थी।

पत्र लीक होने के मामले की जांच कराये जाने की पुरजोर मांग उठी थी। यह भी माना जा रहा है कि सेना प्रमुख को सबसे पहले देश की सुरक्षा को लेकर अपनी चिंता प्रत्यक्ष तौर पर रक्षा मंत्री के समक्ष रखी चाहिए थी।

सेना प्रमुख पर अनुशासन तोड़ने का भी आरोप लगा है। सिंह की चिट्ठी ऐसे समय लीक हुई जब एक साक्षात्कार को लेकर पहले से उनके और सरकार के बीच कड़वाहट थी। हाल ही में उन्होंने मीडिया को दिये साक्षात्कार में दावा किया था कि उन्हें एक सेवानिवृत्त लेफ्टिनेंट जनरल ने एक सौदे की मंजूरी के लिये 14 करोड़ रुपये की रिश्वत की पेशकश की थी।

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