ट्विटर पर प्रतिबंध लगाना चाहती थी सरकार

पूर्वोत्तर के लोगों में व्याप्त दहशत को देखते हुए सरकार आठ राज्यों में ट्विटर पर प्रतिबंध लगाने जा रही थी क्योंकि सरकार का मानना था कि पूर्वोत्तर के लोगों के पलायन में ट्विटर की भी भूमिका थी।

नई दिल्ली : पिछले महीने पूर्वोत्तर के लोगों में व्याप्त दहशत को देखते हुए सरकार आठ राज्यों में ट्विटर पर प्रतिबंध लगाने जा रही थी क्योंकि सरकार का मानना था कि पूर्वोत्तर के लोगों के पलायन में ट्विटर की भी भूमिका थी।
इलेक्ट्रोनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी विभाग ट्विटर पर प्रतिबंध लगाना चाहता था और इसलिए उसने विशेषज्ञों से राय मांगी थी कि यह कैसे किया जा सकता है। इसके लिए कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, असम, महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश को चिह्नित किया गया था। सूत्रों ने बताया कि इलेक्ट्रोनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी विभाग ने गृह मंत्रालय की उस परामर्श का पालन किया जिसमें कहा गया था कि ट्विटर पर संदेशों और तस्वीरों ने भय और पलायन को बढ़ावा दिया है।
बहरहाल, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार एम.के. नारायणन और प्रधानमंत्री के प्रमुख सचिव पुलक चटर्जी ने इस कदम को जरूरी नहीं माना। प्रधानमंत्री कार्यालय का यह मत था कि ‘यदि कुछ नलों से खराब पानी आ रहा हो तो पूरी कॉलोनी की जलापूर्ति नहीं रोकी जा सकती।’ इसके ही बाद निर्णय लिया गया कि एक समीक्षा समिति का गठन किया जाएगा जो ट्विटर जैसी वेबसाइट पर डाले गए संदेशों पर नजर रखेगी।
सरकार ने 310 वेबपेजों पर प्रतिबंध लगा दिया था जिन पर सांप्रदायिक भावनायें भड़काने वाले संदेश और तस्वीरें डाली गयी थीं और जिनके जरिये कर्नाटक, तमिलनाडु और महाराष्ट्र में रह रहे पूर्वोत्तर के लोगों में दहशत फैलाया गया था। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कल इंटरनेट के दुरुपयोग के बारे में चर्चा की थी और कहा कि सरकार एक ठोस साइबर सुरक्षा प्रणाली बनाने पर काम कर रही है। उन्होंने कहा कि सोशल वेबसाइट पर चल रहे दुष्प्रचार से निपटने के लिए एक ठोस रणनीति की जरूरत है। (एजेंसी)

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