तेलंगाना: गैर कांग्रेसी दलों की मिलीजुली प्रतिक्रिया
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तेलंगाना: गैर कांग्रेसी दलों की मिलीजुली प्रतिक्रिया

पृथक तेलंगाना राज्य के गठन के फैसले का श्रेय भले ही कांग्रेस ले, किन्तु अन्य राजनीतिक दलों ने इस पर मिलीजुली प्रतिक्रिया दी है।

नई दिल्ली : पृथक तेलंगाना राज्य के गठन के फैसले का श्रेय भले ही कांग्रेस ले, किन्तु अन्य राजनीतिक दलों ने इस पर मिलीजुली प्रतिक्रिया दी है।
भाजपा ने कहा है कि वह राजग के शासनकाल में पृथक तेलंगाना बना देती लेकिन गठबंधन के एक मुख्य सहयोगी के विरोध के चलते ऐसा नहीं हो पाया। जबकि वाम दलों ने सावधानी बरतते हुए कहा है कि तेलंगाना के बाद पृथक राज्य के निर्माण की ऐसी और मांगें जोर पकड़ेंगी।
तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस) के अध्यक्ष के चंद्रशेखर राव लंबे समय से पृथक राज्य के लिए आंदोलन चलाते रहे हैं। उन्होंने पृथक राज्य बनाने के कांग्रेस कार्यसमिति के फैसले का स्वागत किया है।
वरिष्ठ भाजपा नेता लालकृष्ण आडवाणी ने कहा ‘जहां तक हमारा संबंध है, हमारी पार्टी का संबंध है तो जब हमने तीन नए राज्य बनाए थे तब तेलंगाना राज्य इसलिए नहीं बन पाया था क्योंकि हमने हमारे गठबंधन के एक सहयोगी का सम्मान किया था। अन्यथा हम तब ही पृथक राज्य बना चुके होते।’ आडवाणी का संदर्भ राजग सरकार को समर्थन देने वाले तेदेपा से था जिसने पृथक तेलंगाना के गठन पर आपत्ति जताई थी।
माकपा महासचिव प्रकाश कारत ने कहा कि पृथक तेलंगाना बनने से देश के दूसरे भागों में से भी ऐसी मांगें उठेंगी। उन्होंने कहा ‘केंद्र सरकार को यह जिम्मेदारी लेनी होगी कि अब और कोई राज्य का विभाजन न हो चाहे वह पश्चिम बंगाल हो या और कोई राज्य हो।’
कारत ने कहा ‘यह स्पष्ट किया जाना चाहिए कि आप किसी भी राज्य का अंतहीन विभाजन नहीं कर सकते या नए राज्य नहीं बना सकते।’ भाकपा के डी राजा ने इस फैसले को ‘बहुत देर से लिया गया फैसला’ करार देते हुए कहा कि उनकी पार्टी गहन विचार-विमर्श और सभी विकल्पों के विश्लेषण के बाद पृथक तेलंगाना के गठन के पक्ष में थी।
उन्होंने कहा ‘आंध्रप्रदेश के सभी क्षेत्रों को चाहिए कि इस फैसले को वह बिना किसी कड़वाहट के, भाईचारे के साथ स्वीकार करें।’ राजा ने यह भी कहा कि सैद्धांतिक तौर पर वाम दल छोटे राज्यों के गठन के पक्ष में नहीं है लेकिन तेलंगाना का बड़ा क्षेत्र है और पृथक राज्य के लिए लंबे समय से वहां आंदोलन चलता रहा है।
शिवसेना ने फैसले पर कड़ी प्रतिक्रिया दी है। पार्टी के प्रवक्ता संजय राउत ने कहा ‘हमें आंध्रप्रदेश के विभाजन के फैसले पर अफसोस है। हम एकीकृत महाराष्ट्र के पक्ष में हैं और किसी अन्य फैसले का सवाल ही नहीं उठता।’ राउत का इशारा पृथक विदर्भ राज्य की मांग की ओर था।
शिवसेना हालांकि भाजपा की सबसे पुरानी वैचारिक सहयोगी है लेकिन तेलंगाना और विदर्भ पर दोनों की राय अलग-अलग है। भाजपा जहां तेलंगाना और विदर्भ दोनों की पक्षधर है वहीं शिवसेना इनके विरोध में है।
तेलंगाना पर फैसले का स्वागत करते हुए लोजपा नेता रामविलास पासवान उम्मीद जताई कि सरकार बुंदेलखंड, विदर्भ और पूर्वांचल राज्यों का भी गठन करेगी। उन्होंने कहा ‘लोजपा छोटे राज्यों की पक्षधर है।’ (एजेंसी)

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