पवन कुमार बंसल और अश्वनी कुमार का इस्तीफा

कांग्रेस और प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के दबाव पर शुक्रवार को रेलमंत्री पवन कुमार बंसल और कानून मंत्री अश्वनी कुमार ने अपने-अपने पद से इस्तीफा दे दिया। भ्रष्टाचार के आरोपों पर सरकार की छवि को लगातार हो रहे नुकसान के बाद कांग्रेस नेतृत्व ने यह निर्देश देने का फैसला किया।

नई दिल्ली : कांग्रेस और प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के दबाव पर शुक्रवार को रेलमंत्री पवन कुमार बंसल और कानून मंत्री अश्वनी कुमार ने अपने-अपने पद से इस्तीफा दे दिया। भ्रष्टाचार के आरोपों पर सरकार की छवि को लगातार हो रहे नुकसान के बाद कांग्रेस नेतृत्व ने यह निर्देश देने का फैसला किया।
शुक्रवार को नाटकीय घटनाक्रम से भरपूर रहा। दिन में पहले कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से मुलाकात की और यह फैसला किया गया कि पहले से कई मामलों में कठघरे में खड़ी सरकार की छवि को और नुकसान नहीं हो, इसलिए दोनों को इस्तीफा देने के लिए कहा जाना चाहिए।
प्रधानमंत्री से मुलाकात के बाद बाहर निकलते वक्त 64 साल के बंसल ने कहा, ‘हां, मैंने इस्तीफा दे दिया है।’ गौरतलब है कि पिछले हफ्ते बंसल के भांजे वी सिंगला को रेलवे बोर्ड के एक सदस्य की ओर से दी गयी कथित रिश्वत की रकम के तौर पर 90 लाख रपए स्वीकार करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। रेलवे बोर्ड के सदस्य को तरक्की का वादा किया गया था।
बंसल के इस्तीफे के कुछ ही देर बाद कोयला ब्लॉक आबंटन घोटाले की जांच पर सीबीआई रिपोर्ट में फेरबदल को ले कर हमले का सामना कर रहे कानून मंत्री अश्वनी कुमार ने भी प्रधानमंत्री से मुलाकात की और अपना इस्तीफा सौंपा।
प्रधानमंत्री कार्यालय के प्रवक्ता ने कहा कि उनके इस्तीफों को राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के पास भेजा जा रहा है। अपने इस्तीफा पत्र में बंसल ने उल्लेख किया है कि उन्हें इस बात की जानकारी नहीं थी कि उनका भांजा विजय सिंगला रेलवे बोर्ड सदस्य महेश कुमार के संपर्क में था, फिर भी उन्होंने इस्तीफा देना उचित समझा।
उन्होंने कहा है कि वह आरोपों की तेजी से जांच चाहते हैं। अश्विनी कुमार ने अपने इस्तीफा पत्र में कहा है कि ‘अनावश्यक विवाद’ और जनता में किसी गलत धारणा को खत्म करने के लिए वह इस्तीफा दे रहे हैं।
उनका कहना था कि उच्चतम न्यायालय ने उनके खिलाफ कोई टिप्पणी नहीं की है। इस मामले में सरकार की तरफ से शनिवार को विस्तृत बयान आने की उम्मीद है।

कांग्रेस ने पहले बंसल और कुमार के मुद्दे को शांत करने का फैसला किया था लेकिन अपनी और सरकार की छवि को लगातार नुकसान होता देख पार्टी ने कार्रवाई का फैसला किया। सोनिया गांधी और मनमोहन सिंह ने फैसला इसलिए किया क्योंकि पार्टी में इस बाबत असहजता पैदा हो रही थी कि दोनों मंत्रियों के पद पर बने रहने से सरकार की साख को नुकसान हो रहा है। पिछले तीन साल में सरकार पर कई घोटालों के आरोप लगे हैं और वह कई विवादों में भी रही है।
रेलवे बोर्ड रिश्वतखोरी मामला सामने आने के बाद सरकार को करारा झटका लगा। सरकार के लिए मीडिया में आयी उन खबरों ने भी शर्मिंदगी पैदा की जिसमें कहा गया कि बंसल के एक रिश्तेदार ने सार्वजनिक क्षेत्र के एक बैंक से कर्ज के जरिए उस वक्त फायदा उठाया, जब वह वित्त राज्य मंत्री थे।
पवन बंसल के खिलाफ कार्रवाई के स्पष्ट संकेत दिन में उसी समय मिल गए जब कांग्रेस प्रवक्ता भक्त चरण दास ने कहा कि पार्टी भ्रष्टाचार या घालमेल में ‘शामिल’ किसी को भी नहीं बख्शेगी।
बंसल के इस्तीफे के बाद अब केंद्रीय मंत्रिपरिषद में फेरदबल की उम्मीद है। इस मुद्दे पर सोनिया और मनमोहन की मुलाकात रविवार को होनी है। फेरबदल अगले सप्ताह होने की संभावना है।
इस बीच, बेंगलूर से ऐसी अपुष्ट खबरें आयी हैं कि केंद्रीय श्रम मंत्री मल्लिकाजरुन खड़गे ने अपने समर्थकों से कहा है कि वे दिल छोटा न करें क्योंकि उन्हें रेल मंत्रालय का प्रभार सौंपा जा सकता है। (एजेंसी)

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