राडिया टेप विवरण की जांच को SC ने बनाया विशेष दल
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राडिया टेप विवरण की जांच को SC ने बनाया विशेष दल

सुप्रीम कोर्ट ने व्यापारिक घरानों के लिए संपर्क का काम करने वाली नीरा राडिया की नेताओं, उद्योगपतियों और दूसरे व्यक्तियों के बीच रिकार्ड की गई टेलीफोन वार्ता के विवरण की जांच के लिये छह अधिकारियों का दल गठित किया है।

नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने व्यापारिक घरानों के लिए संपर्क का काम करने वाली नीरा राडिया की नेताओं, उद्योगपतियों और दूसरे व्यक्तियों के बीच रिकार्ड की गई टेलीफोन वार्ता के विवरण की जांच के लिये छह अधिकारियों का दल गठित किया है। इसमें केन्द्रीय जांच ब्यूरो के पांच और आय कर विभाग का एक अधिकारी शामिल है।
न्यायमूर्ति जीएस सिंघवी और न्यायमूर्ति एसजे मुखोपाध्याय की खंडपीठ ने कहा कि इस जांच दल के कामकाज की देखरेख जांच एजेन्सी के दो अधिकारी करेंगे जो 2जी स्पेक्ट्रम मामले को देख रहे जांच एजेन्सी के पुलिस अधीक्षक को रिपोर्ट करेंगे। न्यायालय ने कहा कि पूरे मामले पर नजर इस प्रकरण की देखरेख कर रहे जांच एजेन्सी के उप महानिरीक्षक करेंगे। इस जांच एजेन्सी को आज से चार महीने के भीतर अपनी रिपोर्ट न्यायालय को सौंपनी है।
शीर्ष अदालत ने 13 फरवरी को नीरा राडिया की दूसरे व्यक्तियों के साथ हुयी वार्ता की जांच पड़ताल करके इसमें से आपराधिक तथ्यों का पता लगाने हेतु एक दल गठित करने के लिये सीबीआई, आय कर विभाग और प्रवर्तन निदेशालय के अधिकारियों के नाम मांगे थे।
न्यायाधीशों ने पहले कहा था कि टेलीफोन रिकार्ड की गई बातचीत के कुछ अंशों का उन्होंने अवलोकन किया है। इसमें से कुछ हिस्से तो ‘हानिरहित’ हैं, इसलिए बातचीत के लिप्यांतरित प्रति की छानबीन की आवश्यकता है ताकि इनमें से ‘आपराधिक’ तथ्यों का पता लगाया जा सके। न्यायालय ने स्पष्ट किया था कि छानबीन का यह काम बातचीत के सिर्फ उन्हीं अंशों तक सीमित करेगा जो आपराधिक तथ्यों और न्याय के हित से जुड़े हैं।
इससे पहले, रतन टाटा की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे ने न्यायालय से अनुरोध किया था कि रिकार्ड की गयी बातचीत की लिखित प्रतिलिपि की जांच में ‘अत्यधिक गोपनीयता’ बरती जाए। उनका कहना था कि रतन टाटा और राडिया के बीच होने वाली तमाम बातचीत कथित रूप से बेहद निजी थी। गैर सरकारी संगठन सेन्टर फॉर पब्लिक इंटरेस्ट लिटीगेशंस के वकील प्रशांत भूषण का कहना था कि बातचीत के कुछ अंश सार्वजनिक हो चुके हैं और वे शायद ही व्यक्तिगत स्वरूप के हैं। ये गैर कानूनी गतिविधियों से जुड़े हुए हैं और इनसे इस बात का पता चलता है कि सरकार के फैसलों को किस तरह प्रभावित किया जाता है और किस तरह देश में संस्थायें काम कर रही हैं।
नीरा राडिया की रिकार्ड की गई टेलीफोन वार्ता के कुछ अंश मीडिया में लीक हो गए थे, जिनसे देश की राजनीति में एक तूफान आ गया था। इस बातचीत से औद्योगिक घरानों की लाबिंग और देश की राजनीति पर इसके प्रभाव का खुलासा हुआ था। आय कर विभाग ने 50 सीलबंद लिफाफों में इस बातचीत के 5800 टेप न्यायालय में पेश किए थे। वित्त मंत्री को 16 नवंबर, 2007 को मिली एक शिकायत के आधार पर नीरा राडिया के टेलीफोन की निगरानी की जा रही थी। इस शिकायत में कहा गया था कि नौ साल के भीतर ही नीरा राडिया ने तीन सौ करोड़ रुपए का कारोबार खड़ा कर लिया है।
इसके बाद ही सरकार ने 180 दिन नीरा राडिया के टेलीफोन टैप किये थे। पहली बार 20 अगस्त, 2008 से 60 दिन और फिर 19 अक्तूबर से 60 दिन के लिये टेलीफोन टैप किया गया था। इसके बाद आठ मई को एक नये आदेश के तहत 11 मई, 2009 से 60 दिन के लिए नीरा राडिया का टेलीफोन फिर से टैप किया गया था। (एजेंसी)

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