नई दिल्ली : जन्म और मृत्यु की तरह विवाह के पंजीकरण को अनिवार्य बनाने वाले एक विधेयक को मंगलवार को राज्यसभा ने पारित कर दिया। सरकार ने कहा कि राज्य अपनी जरूरत के अनुरूप इस बारे में नियम तय कर सकते हैं।
विवाह के पंजीकरण को अनिवार्य बनाने वाले जन्म और मृत्यु रजिस्ट्रीकरण (संशोधन) विधेयक 2012 को राज्यसभा ने ध्वनिमत से पारित कर दिया। सरकार को यह विधेयक इसलिए लाना पड़ा क्योंकि उच्चतम न्यायालय ने 2006 के अपने एक निर्णय में देश में सभी धर्मों के मतावलंबियों के विवाह का पंजीकरण अनिवार्य करने के लिए कानून बनाने का निर्देश दिया था।
इससे पूर्व विधेयक पर हुई चर्चा का जवाब देते हुए कानून मंत्री कपिल सिब्बल ने कहा कि इस कानून का मुख्य उद्देश्य देश में होने वाले सभी विवाहों के पंजीकरण को अनिवार्य बनाना है। उन्होंने कहा कि यदि कोई अपने विवाह को पंजीकृत नहीं कराता तो उसे उसके परिणाम भुगतने होंगे।
उन्होंने सहजीवन (लिव इन) संबंधों के पंजीकरण के मुद्दे पर विभिन्न सदस्यों द्वारा ध्यान दिलाए जाने पर कहा कि सरकार किसी पर दबाव नहीं डाल सकती। उन्होंने कहा कि विवाह के पंजीकरण का अर्थ विवाह की वैधता तय करना नहीं है। उन्होंने कहा कि इसके जरिए विवाह की वैधता तय करने के लिए किसी को अर्ध न्यायिक अधिकार नहीं दिए जा रहे हैं। यह तय करना अदालत का काम है। (एजेंसी)
विवाह पंजीकरण
विवाह पंजीकरण अनिवार्य बनाने वाले बिल को मंजूरी
जन्म और मृत्यु की तरह विवाह के पंजीकरण को अनिवार्य बनाने वाले एक विधेयक को मंगलवार को राज्यसभा ने पारित कर दिया। सरकार ने कहा कि राज्य अपनी जरूरत के अनुरूप इस बारे में नियम तय कर सकते हैं।
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