श्रीलंकाई सैन्य प्रशिक्षण मामले में SC का हस्तक्षेप से इनकार

सर्वोच्च न्यायालय ने सोमवार को कहा कि वह श्रीलंका की सेना तथा वायु सेना के जवानों को देश में प्रशिक्षण दिए जाने के केंद्र सरकार के निर्णय में हस्तक्षेप नहीं करेगा।

नई दिल्ली : सर्वोच्च न्यायालय ने सोमवार को कहा कि वह श्रीलंका की सेना तथा वायु सेना के जवानों को देश में प्रशिक्षण दिए जाने के केंद्र सरकार के निर्णय में हस्तक्षेप नहीं करेगा। न्यायमूर्ति आफताब आलम तथा न्यायमूर्ति रंजना प्रकाश देसाई की पीठ ने इस सम्बंध में जनहित याचिका खारिज कर दी। याचिका में श्रीलंकाई सेना के जवानों के प्रशिक्षण पर रोक लगाने का अनुरोध किया गया था।
अधिवक्ता एन. राजारमन की जनहित याचिका खारिज करते हुए न्यायालय ने कहा कि वह विदेश नीति से सम्बंधित सरकार के नीति निर्णयों में हस्तक्षेप नहीं कर सकता। याचिकाकर्ता ने तमिलनाडु की मुख्यमंत्री जे. जयललिता तथा तमिलनाडु के अन्य राजनीतिक दलों के नेताओं की ओर से लिखे पत्र का उल्लेख करते हुए अपनी याचिका में कहा था कि सरकार श्रीलंका की सेना को प्रशिक्षण देने की अनुमति नहीं दे सकती।
जयललिता ने तर्क दिया था कि भारत को श्रीलंकाई सेना के जवानों को प्रशिक्षण नहीं देना चाहिए, क्योंकि उन पर वर्ष 2009 में लिबरेशन टाइगर्स ऑफ तमिल ईलम (एलटीटीई) के खिलाफ अभियान के दौरान तमिल नागरिकों पर अत्याचार करने का आरोप है। श्रीलंका की सेना के जवान चेन्नई में प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे थे, लेकिन जयललिता की ओर से इस पर आपत्ति जताने वाला पत्र मिलने के बाद केंद्र सरकार ने श्रीलंकाई सेना को प्रशिक्षण के लिए बेंगलुरू भेज दिया।
याचिका में दलील दी गई थी कि श्रीलंका के राष्ट्रपति महिंदा राजपक्षे ने अपने देश में तमिल नागरिकों के खिलाफ जनसंहार किया। वह युद्ध अत्याचार के भी आरोपी हैं। उन्होंने मानवाधिकारों के अंतर्राष्ट्रीय कंवेंशन का उल्लंघन किया है। इस बीच, केंद्र सरकार ने कहा है कि वह श्रीलंका सेना के जवानों के प्रशिक्षण पर रोक नहीं लगाएगी। (एजेंसी)

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