संसद में FDI पर घमासान, TMC का अविश्वास प्रस्ताव नामंजूर
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संसद में FDI पर घमासान, TMC का अविश्वास प्रस्ताव नामंजूर

रिटेल एफडीआई पर तृणमूल कांग्रेस के सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने के विफल प्रयास के बीच भाजपा और वाम दल मत विभाजन के प्रावधान वाले नियम के तहत इस मुद्दे पर चर्चा के लिए अड़ गए हैं। सरकार इसके लिए तैयार नहीं है।

नई दिल्ली : रिटेल एफडीआई का बवंडर आज संसद के गलियारों तक पहुंचा। तृणमूल कांग्रेस के सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने के विफल प्रयास के बीच मुख्य विपक्षी दल भाजपा और वाम दल मत विभाजन के प्रावधान वाले नियम के तहत इस मुद्दे पर चर्चा के लिए अड़ गए हैं, जिसके लिए सरकार तैयार नहीं है। सरकार को बाहर से समर्थन दे रही सपा ने रिटेल एफडीआई का विरोध किया, लेकिन विपक्ष का साथ देने से इंकार किया। वहीं एक अन्य समर्थक दल बसपा ने अपने पत्ते अभी नहीं खोले हैं।
स्थिति को संभालने की कवायद में सरकार ने सोमवार को सर्वदलीय बैठक बुलाई है। संप्रग की घटक रह चुकी तृणमूल ने इस मुद्दे पर लोकसभा में अविश्वास प्रस्ताव पेश करने का नोटिस दिया, जिसे अध्यक्ष मीरा कुमार ने नामंजूर कर दिया क्योंकि ऐसा प्रस्ताव पेश करने के लिए तृणमूल के पास न्यूनतम 55 सदस्यों का समर्थन नहीं था। सरकार को बाहर से समर्थन कर रहे सपा बसपा ने हालांकि विपक्ष के पाले में जाने से साफ इंकार किया। सपा ने हालांकि कहा कि वह मत विभाजन के प्रावधान वाले नियम के तहत चर्चा की मांग पर अड़ी भाजपा की पीठ पर सवार नहीं होगी। उत्तर प्रदेश में सपा के धुर विरोधी किन्तु संप्रग सरकार को बाहर से समर्थन दे रहे एक अन्य दल बसपा ने पत्ते नहीं खोले हैं।
बसपा प्रमुख मायावती ने कहा कि पहले केन्द्र तय करे कि वह एफडीआई पर संसद में किस नियम के तहत चर्चा चाहता है। मायावती ने कहा कि पहले सरकार तय करे, फिर हम अपना रूख सदन पटल पर स्पष्ट करेंगे। सत्र शुरू होने से पहले सुबह प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने संसद की कार्यवाही सुचारू रूप से चलाने में विपक्ष का सहयोग मांगा। लोकसभा की कार्यवाही दोपहर दो बजे पूरे दिन के लिए स्थगित होने से पहले हंगामे के चलते सुबह से ही दो बार स्थगित हो चुकी थी। भाजपा ने निचले सदन में नियम 184 के तहत खुदरा एफडीआई पर चर्चा की मांग की। इस नियम के तहत मत विभाजन का प्रावधान है। वाम दलों ने भी इसी नियम के तहत चर्चा का नोटिस दिया है। सपा ने एफडीआई पर कार्य स्थगन प्रस्ताव का नोटिस दिया है, जिसके बारे में मीरा कुमार ने कहा कि इस बारे में वह अभी विचार कर रही हैं।
लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष सुषमा स्वराज ने कहा कि सरकार ने पूर्व वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी द्वारा दिए गए आश्वासन का उल्लंघन किया है। इस मुद्दे पर मत विभाजन से देश को पता लग जाएगा कि पूरी जनता इस कदम के खिलाफ है जो छोटे कारोबारियों के लिए काफी घातक है। सुषमा ने सरकार पर आरोप लगाया कि उसने रिटेल एफडीआई मुद्दे पर दिया गया आश्वासन पूरा नहीं कर संसद का अपमान किया है।
उधर, संसदीय कार्य मंत्री कमलनाथ ने कहा कि सरकार सदन पटल पर किसी भी मुद्दे पर चर्चा को तैयार है बशर्ते ऐसी चर्चा संसदीय नियमों के तहत हो। ‘हम नहीं कह सकते कि हम चर्चा अमुक नियम के तहत चाहते हैं। आज चाहते हैं या अभी चाहते हैं।’ राज्यसभा में विपक्ष के नेता अरुण जेटली ने एक बैठक में कहा कि एफडीआई मुद्दे पर मत विभाजन होना ही चाहिए। इस बैठक में माकपा नेता सीताराम येचुरी भी उपस्थित थे। उन्होंने कहा कि इस मुद्दे पर संसद में क्या रूख होगा, हर किसी को स्पष्ट करना होगा। मत विभाजन के बिना इस नीति (एफडीआई) को नहीं लागू किया जा सकता।
लोकसभा में तृणमूल संसदीय दल के नेता सुदीप बंदोपाध्याय ने अविश्वास प्रस्ताव के नोटिस पर चर्चा की और बीजद सदस्यों ने उनका समर्थन किया लेकिन ऐसे प्रस्ताव के लिए आवश्यक संख्या बल नहीं होने के कारण तृणमूल का प्रयास विफल रहा। मीरा कुमार ने इसे नामंजूर कर दिया। उधर, संसद परिसर में भाजपा नेता शाहनवाज हुसैन ने संवाददाताओं से कहा कि वाजपेयी सरकार के समय भी वाल्को समेत कई विषयों पर राजग सरकार ने मत विभाजन वाले नियम 184 के तहत चर्चा कराना स्वीकार किया था और यहां तक कि इस मामले में भी मत विभाजन के नियम के तहत चर्चा कराई गयी थी कि मंत्रिमंडल में कौन मंत्री हों और कौन नहीं।
लोकसभा में आज तृणमूल कांग्रेस की ओर से अविश्वास प्रस्ताव में उसका साथ नहीं देने के सवाल पर शाहनवाज ने कहा कि भाजपा और उसके बाद राजग की बैठक में हमने तय किया था कि पहले नियम 184 के तहत चर्चा कराके पता लगाया जाए कि सरकार एफडीआई के मुद्दे पर कितने पानी में है, उसके बाद अविश्वास प्रस्ताव पर रणनीति बनाई जा सकती है। उन्होंने कहा, ‘तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ममता बनर्जी ने खुद विपक्ष की नेता सुषमा स्वराज से अविश्वास प्रस्ताव को लेकर कोई बात नहीं की। हमारा जहां तक मानना है कि कांग्रेस के अन्य विरोधी दलों से भी ममता ने बात नहीं की।’
येचुरी ने कहा कि संसदीय कार्य मंत्री ने हमें राज्यसभा की कार्य मंत्रणा समिति की बैठक में सूचित किया कि वह सोमवार को सर्वदलीय बैठक बुलाएंगे। कमलनाथ ने यह भी कहा कि वह लोकसभा में भी सभी पार्टियों के नेताओं से बात कर उनसे उसी दिन अलग से मिलेंगे। इसके बाद एफडीआई मुद्दे पर अंतिम फैसला किया जाएगा। भाकपा नेता डी राजा ने कहा कि कमलनाथ ने आश्वासन दिया है कि वह सोमवार को सभी दलों के नेताओं से मुलाकात करेंगे। येचुरी ने हालांकि स्पष्ट किया कि वाम दल अपनी इस स्थिति से जरा भी टस से मस नहीं होंगे कि मल्टी ब्रांड रिटेल में एफडीआई के सरकार के फैसले पर उसी नियम के तहत चर्चा होनी चाहिए जिसमें मत विभाजन का प्रावधान होता है।
वाम दलों ने लोकसभा में नियम-184 और राज्यसभा में नियम-168 के तहत नोटिस दिया है । दोनों ही नियमों के तहत चर्चा के बाद मत विभाजन का प्रावधान है । कानून मंत्री अश्वनी कुमार ने कहा कि किसी सरकारी आदेश पर ऐसे नियम के तहत चर्चा नहीं हो सकती, जिसमें मत विभाजन का प्रावधान हो। हां उसपर चर्चा अवश्य हो सकती है लेकिन नियम-184 (मत विभाजन के प्रावधान वाला नियम) के तहत नहीं। संसद को नियमावली के अनुरूप चलने देना चाहिए।
यह पूछने पर कि क्या विपक्ष इस मुद्दे पर सदन में सरकार की पराजय चाहता है, कुमार ने कहा कि ऐसा होने नहीं पायेगा क्योंकि हमारे पास बहुमत है ।
कुमार ने कहा कि कुछ नीतिगत मसलों को दलगत राजनीति से उपर उठकर देखना चाहिए। सरकार यह सुनिश्चित करने का प्रयास करेगी कि उसकी नीतियों को लेकर व्यापक आम सहमति बने। सपा नेता राम गोपाल यादव ने कहा कि उनकी पार्टी एफडीआई के खिलाफ है । यादव की पार्टी सपा संप्रग सरकार को बाहर से समर्थन दे रही है। इस सवाल पर कि कौन से नियम के तहत वह सदन में इस मुद्दे पर चर्चा चाहते हैं, यादव ने कहा कि हम चर्चा चाहते हैं लेकिन यह हमारी इच्छा पर निर्भर नहीं करता। इस बारे में लोकसभा अध्यक्ष तय करती हैं। यदि वह नियम 184 के तहत चर्चा की अनुमति देती हैं तो उसी नियम के तहत चर्चा होगी और यदि अनुमति नहीं देतीं तो नियम 193 के तहत चर्चा होगी।
इस बीच जदयू अध्यक्ष शरद यादव ने कहा, ‘चर्चा चाहे नियम 184 के तहत हो या 193 के तहत, चर्चा होनी चाहिए और ऐसा तभी हो सकता है जब सभी दल मिल जुलकर मुद्दों पर चर्चा करें।’ उधर, तृणमूल कांग्रेस की आलोचना करते हुए केन्द्रीय सूचना प्रसारण मंत्री मनीष तिवारी ने कहा कि बडी विचित्र स्थिति है कि 19 सदस्यों वाली पार्टी यह तय करने की कोशिश कर रही है कि सदन में क्या होना चाहिए। यह पूछने पर कि क्या सरकार एफडीआई पर संसद में मत विभाजन का समर्थन करती है, उन्होंने कहा कि यह पीठासीन अधिकारियों को तय करना है। (एजेंसी)

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