सरकारी खर्चों में कटौती का अभियान, नए पदों की भर्तियों पर पाबंदी

राजकोषीय और चालू खाते के घाटे से जूझ रही सरकार ने खर्चों में कटौती का अभियान छेड़ दिया है। इसके तहत पांच सितारा होटलों में सरकारी बैठकों तथा अधिकारियों के एक्जिक्यूटिव श्रेणी की विमान यात्रा पर रोक लगा दी गई है। सरकार ने खर्च में किफायत के ऐसे विभिन्न उपाय कर गैर योजना व्यय में 10 प्रतिशत कमी का लक्ष्य रखा है।

नई दिल्‍ली : राजकोषीय और चालू खाते के घाटे से जूझ रही सरकार ने खर्चों में कटौती का अभियान छेड़ दिया है। इसके तहत पांच सितारा होटलों में सरकारी बैठकों तथा अधिकारियों के एक्जिक्यूटिव श्रेणी की विमान यात्रा पर रोक लगा दी गई है। सरकार ने खर्च में किफायत के ऐसे विभिन्न उपाय कर गैर योजना व्यय में 10 प्रतिशत कमी का लक्ष्य रखा है।
राजकोषीय और चालू खाते के घाटे को नियंत्रण से बाहर जाने से रोकने के लिए सरकार ने बुधवार को खर्चों में कटौती के कई उपायों की घोषणा की। नई भर्तियों और पांच सितारा होटलों में सरकारी बैठकों तथा अधिकारियों की एक्जिक्यूटिव श्रेणी में विमान यात्रा पर भी रोक लगा दी गई।
आर्थिक वृद्धि और कर राजस्व संग्रह में धीमी वृद्धि से जूझ रही सरकार ने खर्चों में कटौती के और भी कई उपायों की घोषणा की है। मंत्रालयों और विभागों से कहा गया है कि वह कोई भी नया वाहन नहीं खरीदेंगे। पिछले एक साल से खाली पड़े पदों को भरने और नये रोजगार सृजित करने पर रोक लगा दी गई है। वित्त मंत्रालय द्वारा इस संबंध में जारी प्रपत्र में इन उपायों के बारे में बताया गया है, जिनके जरिये गैर योजनागत खर्च में 10 प्रतिशत कटौती की जाएगी। मितव्ययिता बरतने के इन उपायों घोषणा वित्त मंत्री की विभिन्न विभागों और मंत्रालयों के वित्तीय सलाहकारों के साथ हुई बैठक के बाद की गई है।
चालू वित्त वर्ष (2013-14) में राजकोषीय घाटे को सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के 4.8 प्रतिशत पर सीमित रखने के मकसद से वित्त मंत्रालय ने सभी मंत्रालयों और विभागों को निर्देश दिया है कि वे नए वाहन नहीं खरीदें, नए पदों का सृजन न करें और पिछले एक साल से अधिक समय से खाली पदों को न भरें। साथ ही विभागों से कहा गया है कि विदेश जाने वाले प्रतिनिधिमंडलों का आकार बेहद छोटा रखा जाएगा। सरकार 2008-09 से ही मितव्ययिता उपाय लागू कर रही है। नवंबर 2012 में भी इसी तरह का अभियान छेड़ा गया था।
वित्त मंत्रालय ने कहा कि इस तरह के उपायों का मकसद वित्तीय अनुशासन बनाना है, साथ ही यह भी देखना है कि इससे सरकार की परिचालन क्षमता प्रभावित न होने पाए। बयान में कहा गया है कि मौजूदा राजकोषीय स्थिति के मद्देनजर खचरें को तर्कसंगत बनाने और उपलब्ध संसाधनों का अधिकतम इस्तेमाल करने की जरूरत है। इसके अलावा सिर्फ वहीं संगोष्ठियां या सम्मेलन आयोजित किया जाएंगे, जो बेहद जरूरी होंगे। विदेश में प्रदर्शनी, संगोष्ठियों या सम्मेलन के आयोजन को हतोत्साहित किया जाएगा और सिर्फ ट्रेड प्रमोशन से संबंधित आयोजन ही विदेश में किए जा सकेंगे। इसमें आगे कहा गया है कि पांच सितारा होटलों में बैठकों या सम्मेलन पर पूरी तरह रोक होगी और नए वाहनों की खरीद पर पूर्ण प्रतिबंध होगा। सिर्फ बेकार घोषित किए गए वाहनों के स्थान पर ही नया वाहन खरीदा जा सकेगा।
इसमें कहा गया है कि घरेलू यात्रा के दौरान सभी अधिकारियों को इकनामी श्रेणी में यात्रा करनी होगी सिर्फ कुछ शीर्ष स्केल वाले अधिकारियों को इसमें छूट मिलेगी। इस तरह का प्रतिबंध अंतरराष्ट्रीय यात्रा पर लागू नहीं होगा। सभी मंत्रालयों और विभागों को यह सुनिश्चत करना होगा कि विदेश यात्रा सिर्फ बेहद जरूरी होने पर ही हो। प्रतिनिधिमंडल का आकार और यात्रा की अवधि में बेहद सीमित रखा जाए। इसमें कहा गया है कि मितव्ययिता उपायों को लागू करने की जिम्मेदारी सचिवांे की होगी और वित्तीय सलाहकारों को तिमाही आधार पर इस बारे में वित्त मंत्रालय को रिपोर्ट देनी होगी।
चालू वित्त वर्ष के बजट में कुल खर्च 16.65 लाख करोड़ रुपये रहने का अनुमान है। इनमें में गैर योजना खर्च 11.09 लाख करोड़ रुपये है। वित्त वर्ष 2012-13 में गैर योजना खर्च अनुमानित 9,69,900 करोड़ रुपये था जबकि सब्सिडी खर्च बढने के कारण संशोधित गैर योजना खर्च बढ कर 9,95,139 करोड़ रपये रहा। पिछले वित्त वर्ष में योजना गत खर्च बजट अनुमान से 1,06,742 करोड़ रुपये घट कर 4,14,283 करोड़ रुपये रहा। (एजेंसी)

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