हैदराबाद ब्‍लास्‍ट : यूनाइटेड जेहाद काउंसिल ने रची साजिश
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हैदराबाद ब्‍लास्‍ट : यूनाइटेड जेहाद काउंसिल ने रची साजिश

आंध्र प्रदेश की राजधानी हैदराबाद में गुरुवार शाम में हुए दो बम धमाकों में शुक्रवार को बड़ा खुलासा हुआ है। हैदराबाद के दिलसुख नगर में दो ब्‍लास्‍ट को अंजाम देने के लिए यूनाइटेड जेहाद काउंसिल ने साजिश रची।

ज़ी न्‍यूज ब्‍यूरो/एजेंसी
हैदराबाद : आंध्र प्रदेश की राजधानी हैदराबाद में गुरुवार शाम में हुए दो बम धमाकों में शुक्रवार को बड़ा खुलासा हुआ है। हैदराबाद के दिलसुख नगर में दो ब्‍लास्‍ट को अंजाम देने के लिए यूनाइटेड जेहाद काउंसिल ने साजिश रची। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, यूनाइटेड जेहाद काउंसिल की आखिरी मीटिंग 13 फरवरी को हुई। इस मीटिंग में आतंकी संगठन लश्‍कर-ए-तोएबा, जैश-ए-मोहम्‍मद, अल बद्र और जेयूएम के नुमाइंदों ने हिस्‍सा लिया।
वहीं, सूत्रों के हवाले से जानकारी के अनुसार, आतंकियों के 5 स्‍लीपर सेल ने ब्‍लास्‍ट को अंजाम दिया। वहीं, एनआईए की टीम आगे की जांच के लिए बिहार के दरभंगा जाएगी।
सूत्रों के अनुसार, धमाकों को अंजाम देने के लिए हैदराबाद में ही विस्‍फोटक को खरीदा गया। इस पूरे प्रकरण में बिहार के दरभंगा से एक बार फिर ब्‍लास्‍ट के तार जुड़े हैं। इससे पहले, यह जानकारी सामने आई थी कि इन धमाकों में डिलेड टाइमर का भी इस्‍तेमाल किया गया। उधर, जांचकर्ता कथित तौर पर ब्‍लास्‍ट में शामिल तीन खास नामों की जांच कर रहे हैं। दिलसुखनगर नगर में हुए दो बम विस्फोटों में कम से कम 16 व्यक्ति मारे गए और 117 अन्य घायल हो गए।
उधर, धमाके की जांच में शुक्रवार को एक और खुलासा हुआ। दिलसुख नगर के आसपास के इलाकों में लगे सीसीटीवी कैमरों की केबल कटी पाई गई है। चार दिन पहले केबल की तार काटी गई लेकिन पुलिस ने इसे ठीक नहीं कराया था।
धमाकों की जांच में जुटी पुलिस को सीसीटीवी फुटेज से अपराधियों के बारे में सुराग मिलने की उम्मीद थी लेकिन केबल काटे जाने से उसे झटका लगा है। सीसीटीवी कैमरों की तार किसने काटी इसके बारे में अभी तक कुछ पता नहीं चल सका है।
गौर हो कि गत वर्ष हुए पुणे विस्फोट में शामिल रहने के लिए दिल्ली पुलिस द्वारा गिरफ्तार किये गए कथित इंडियन मुजाहिदीन आतंकवादियों में से दो ने हैदराबाद के दिलसुखनगर की ‘रेकी’ की थी जहां गुरुवार शाम को बम विस्फोट हुए थे। महाराष्ट्र के नांदेड जिला निवासियों सैयद मकबूल और इमरान खान ने गत वर्ष अक्तूबर में अपनी गिरफ्तारियों के बाद पूछताछ में पुलिस को बताया कि उन्होंने जुलाई 2012 में आंध्र प्रदेश के दिलसुखनगर, बेगम बाजार और एबिड्स की मोटरसाइकिल पर रेकी की थी।
मकबूल को वास्तव में हैदराबाद से 23 अक्तूबर को गिरफ्तार किया गया था जहां वह गिरफ्तारी से बचने के लिए छुपा हुआ था। दिल्ली पुलिस की विशेष इकाई के वरिष्ठ अधिकारियों ने बताया कि वह उन अन्य आरोपियों के साथ नजदीकी तौर पर जुड़ा हुआ था जिन्हें कथित रूप से म्यामांर में मुस्लिमों पर की गई कथित ज्यादतियों का बदला लेने के लिए बिहार के बोधगया में बौद्ध धर्मस्थलों पर फिदायीन हमले की कथित योजना बनाने के लिए गिरफ्तार किया गया था।
अधिकारियों ने कहा कि वर्ष 2012 में रमजान के एक महीने पहले मकबूल ने इमरान की हैदरबाद स्थित दिलसुखनगर, बेगम बाजार और एबिड्स की मोटरसाइकिल से रेकी करने में मदद की थी। ऐसा रियाज भटकल के निर्देश पर किया गया था। इस बीच आंध्र प्रदेश पुलिस को मामले की जांच में मदद करने के लिए दिल्ली पुलिस की एक विशेष टीम हैदराबाद रवाना हो गई है।
उधर, हैदराबाद में गुरुवार देर शाम हुए दोहरे बम विस्फोट में शुक्रवार को पुलिस को कुछ अहम सुराग हाथ लगे हैं। दो सीसीटीवी कैमरों में कुछ चेहरे कैद हैं, जिनसे पुलिस को दो सिनेमाघरों के सामने बम रखने वालों को तलाशने में मदद मिल सकती है। विस्फोट के 24 घंटे बाद पुलिस दिलसुखनगर में शाम के व्यस्त समय में हुए धमाके वाली जगह के आसपास किस संदिग्ध व्यक्ति के देखे जाने की जानकारी देने वालों के लिए इनाम की घोषणा भी की।
साइबराबाद पुलिस आयुक्त डी. तिरुमला राव ने शुक्रवार को लोगों से उस इलाके में संदिग्ध परिस्थिति में घूमने वाले युवक के बारे में सूचना मुहैया कराने की अपील की। विस्फोट स्थल पर उन्होंने संवाददाताओं से कहा कि यदि आपने एक युवक को कुछ सामान के साथ और संदिग्ध परिस्थिति में स्कूटर या साइकिल खड़ी करते हुए देखा हो तो पुलिस को इसकी सूचना मुहैया कराएं। कई सुराग मिलने का दावा करते हुए पुलिस आयुक्त ने कहा कि उन्हें मामले की गुत्थी सुलझने का पूरा भरोसा है। उन्होंने कहा कि जांचकर्ता तेज गति से काम में जुटे हैं। माना जा रहा है कि पुलिस सीसीटीवी फुटेज से सबूत निकालने में जुटी है।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री गुलाम नबी आजाद ने शुक्रवार की शाम घटनास्थल का दौरा करने के बाद कहा कि मुझे नहीं लगता कि सीसीटीवी नाकाम रहे। कुछ तस्वीरें कैद हुई हैं। इलाके में लगे तीन सीसीटीवी कैमरे में से दो में माना जा रहा है कि कुछ चेहरे कैद हैं जिनसे पुलिस को दो सिनेमाघरों के सामने बम रखने वालों को तलाशने में मदद मिल सकती है।
इस बीच साइबराबाद पुलिस कमिश्नरी के सरूरनगर थाने में दो प्रथम सूचना रिपोर्ट (एफआईआर) दर्ज कराने और मामला अपराध अनुसंधान विभाग (सीआईडी) को सौंपे जाने के बाद सीआईडी ने जांच शुरू कर दी है। राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) और फोरेंसिक विशेषज्ञों ने विस्फोट स्थल से सबूत एकत्र किए हैं।
हालांकि, जांच एजेंसियों को हमले के पीछे इंडियन मुजाहिदीन का हाथ होने का शक है और उन्हें इस बाबत कुछ ‘सुराग’ मिले भी हैं। एक साथ कई जांच एजेंसियां मौके पर तफ्तीश में लगी हैं। जान गंवाने वालों में एक को छोड़कर सब पुरुष थे।
इलाके में लगाए गए आठ सीसीटीवी जांच अधिकारियों के लिए किसी काम के साबित नहीं हुए क्योंकि वे काम ही नहीं कर रहे थे। केंद्रीय गृह मंत्रालय के सूत्रों ने इस बात से इंकार किया कि सीसीटीवी के तार हमले को अंजाम देने वालों ने काट दिए थे। पुलिस सूत्रों ने कहा कि मौका-ए-वारदात से सबूत इकट्ठा करने वाले फोरेंसिक विशेषज्ञों ने एक शुरुआती रिपोर्ट सौंपी जिसमें संकेत दिए गए टिफिन बॉक्सों एवं दो साइकिलों में रखे गए बमों में अमोनियम नाइट्रेट इस्तेमाल किया गया था।
एक फोरेंसिक विशेषज्ञ ने कहा कि विस्फोटक में एल्यूमीनियम की नुकीली चीजंे कील और लोहे के टुकड़ों के साथ रखी गयी थीं ताकि धमाके का असर ज्यादा हो। जांच अधिकारी टाइमर डिवाइस की तलाश कर रहे हैं। साइबराबाद के पुलिस आयुक्त द्वारका तिरुमला राव ने कहा कि उन्होंने वारदात में शामिल रहे लोगों के बारे में काफी सुराग इकट्ठा किए हैं लेकिन उन्होंने यह भी कहा कि इस बाबत कोई भी सूचना अभी नहीं दी जा सकती। उन्होंने इस बात से इंकार किया कि धमाकों के सिलसिले में किसी को हिरासत में लिया गया है। आधिकारिक तौर पर तो कुछ भी नहीं कहा गया है लेकिन शक की सुई आईएम की ओर जा रही है जिसका हैदराबाद में एक ‘स्थापित नेटवर्क’ है।
जिस तरीके से धमाकों को अंजाम दिया गया है वह इंडियन मुजाहिदीन की ओर से पहले किए गए धमाकों के तरीकों से मेल खाता है।

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