‘राष्ट्रमंडल देशों की बैठक में हिस्सा न ले भारत’

द्रमुक ने मांग उठाई है कि भारत इस साल नवंबर में कोलंबो में आयोजित होने वाली राष्ट्रमंडल देशों की सरकारों के प्रमुखों की बैठक में भाग न ले। केंद्र सरकार द्वारा उसकी मांग न माने जाने पर द्रमुक ने राज्य भर में विरोध-प्रदर्शन करने और काले झंडे फहराने की चेतावनी भी दी है।

चेन्नई : द्रमुक ने मांग उठाई है कि भारत इस साल नवंबर में कोलंबो में आयोजित होने वाली राष्ट्रमंडल देशों की सरकारों के प्रमुखों की बैठक में भाग न ले। केंद्र सरकार द्वारा उसकी मांग न माने जाने पर द्रमुक ने राज्य भर में विरोध-प्रदर्शन करने और काले झंडे फहराने की चेतावनी भी दी है।
द्रमुक के अध्यक्ष एम करुणानिधि ने एक बयान में कहा, ‘अगर केंद्र की ओर से यह अनुरोध नजरअंदाज किया जाता है तो भारत के इस सम्मेलन में भाग लेने के प्रति तमिलों की भावनाओं को दर्शाने के लिए रेल रोकने के साथ-साथ घरों और व्यवसायिक संस्थानों पर काले झंडे भी फहराए जाएंगे।’
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को श्रीलंका के विदेश मंत्री जी एल पेईरिस की रविवार को होने वाली यात्रा में ही यह स्पष्ट तौर पर बता देना चाहिए कि भारत इस बैठक में शामिल नहीं होगा।
उन्होंने कहा, ‘केंद्र को इस मामले में तमिलों के अनुरोधों की उपेक्षा नहीं करनी चाहिए और मंत्री को यह स्पष्ट तौर पर बता देना चाहिए कि भारत इस बैठक में शामिल नहीं होगा।’
करुणानिधि ने कहा, ‘तमिलनाडु के सभी राजनैतिक दल यह मांग करते रहे हैं कि केंद्र सरकार को इस बैठक में भाग नहीं लेना चाहिए।’ श्रीलंकाई नौसेना द्वारा कथित रूप से भारतीय मछुआरों पर लगातार हमलों के संदर्भ में उन्होंने कहा कि हालांकि केंद्र बार-बार श्रीलंका को इस मसले पर लिखता रहा है और उसके राजदूत से वार्ता भी करता रहा है लेकिन ‘ऐसा लगता है कि श्रीलंका सरकार इस बात को सुन भी नहीं रही है।’
उन्होंने कहा कि श्रीलंका नौसेना द्वारा गिरफ्तार किए गए 49 तमिल मछुआरों में से सिर्फ 8 मछुआरे ही अब तक रिहा किए गए हैं। बाकी मछुआरों की हिरासत वहां की अदालतों द्वारा बढ़ा दी गई है।
उन्होंने आरोप लगाया कि राजपक्षे सरकार लगातार राजीव गांधी-जयवर्धने समझौते को कमजोर करने के लिए काम कर रही है। इस साल मार्च में श्रीलंकाई तमिलों के मसले पर संप्रग के साथ गठबंधन तोड़ने वाली द्रमुक ने उस माह कार्यकारिणी में एक प्रस्ताव पारित किया था। इस प्रस्ताव में कहा गया था कि यदि यह बैठक श्रीलंका में आयोजित की जाती है तो भारत को उसका बहिष्कार करना चाहिए। (एजेंसी)

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