2जी घोटाला: शाहिद बलवा को जमानत मिली

2जी घोटाले के मुख्‍य आरोपियों में से एक स्‍वान टेलीकॉम के प्रवर्तक शाहिद उस्‍मान बलवा को मंगलवार को जमानत मिल गई।

ज़ी न्‍यूज ब्‍यूरो/एजेंसी

नई दिल्‍ली :2जी घोटाले के मुख्‍य आरोपियों में से एक स्‍वान टेलीकॉम के प्रवर्तक शाहिद उस्‍मान बलवा को मंगलवार को जमानत मिल गई।

 

दिल्ली की एक अदालत ने मंगलवार को 2जी स्पेक्ट्रम आवंटन घोटाले में स्वान टेलीकाम के प्रवर्तक शाहिद उस्मान बलवा को जमानत दे दी। सीबीआई ने बलवा की जमानत याचिका का विरोध नहीं किया। विशेष सीबीआई न्यायाधीश ओपी सैनी ने बलवा को जमानत देते हुए कहा कि जमानत याचिका स्वीकार की जाती है।

 

बलवा को 8 फरवरी को गिरफ्तार किया गया था। बलवा को उन्हीं शर्तों के आधार पर जमानत मिली है, जो सुप्रीम कोर्ट ने 23 नवंबर को कारपोरेट जगत के पांच दिग्गजों और अन्य सह आरोपियों को जमानत देते हुए लगाई थीं।

 

शीर्ष अदालत ने जो शर्त लगाई है उसमें मामले की सुनवाई कर रहे विशेष जज की संतुष्ट करते हुए पांच-पांच लाख रुपये के दो निजी मुचलके जमा कराना शामिल हैं। जिन सह आरोपियों को जमानत दी गई है, उन्‍हें निचली अदालत में अपना पासपोर्ट सरेंडर करने और बिना अनुमति के देश न छोड़ने तथा प्रतिदिन अदालत आने का निर्देश दिया गया है। बलवा पर पूर्व दूरसंचार मंत्री ए. राजा और अन्य सरकारी अधिकारियों के साथ साजिश के तहत अपनी ऐसी फर्म के लिए स्पेक्ट्रम लाइसेंस हासिल करने का आरोप है, जो इसके पात्र नहीं थी। उन पर आरोप है कि उन्होंने द्रमुक के टीवी चैनल कलेंगनर टीवी को 200 करोड़ रुपये की रिश्वत दी थी और इसे कारपोरेट ऋण के रूप में दिखाया था।

 

इससे पहले सीबीआई ने विशेष न्यायाधीश की अदालत में कहा सुप्रीम और हाईकोर्ट द्वारा 2जी मामले में अन्य आरोपियों को जमानत पर रिहा करने के आदेशों के मद्देनजर वह स्वान टेलीकाम के प्रवर्तक शाहिद उस्मान बलवा की जमानत याचिका का विरोध नहीं करेगी। विशेष सरकारी वकील यूयू ललित ने कहा कि इस अदालत के अधिकारी के तौर पर संबंधित मामले में इस अभियुक्त पर लगाए गए व्यापक आरोपों को ध्यान में रखते हुए हम सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के आदेशों के मद्देनजर फिलहाल जमानत की अर्जी का विरोध नहीं कर रहे हैं।

 

उन्होंने कहा कि बलवा के खिलाफ भी उनके सह आरोपी और स्वान टेलीकाम के निदेशक विनोद गोयनका की तरह के ही आरोप लगे हैं, जिन्हें सुप्रीम कोर्ट ने जमानत पर रिहा कर दिया है। उन्होंने कहा कि बलवा अब निजी क्षेत्र का एक मात्र व्यक्ति है,जिसे जमानत नहीं मिली है। उन्होंने हाईकोर्ट द्वारा कनिमोई और चार अन्य की जमानत की याचिकाओं को स्वीकृति देते हुए की गई टिप्पणी का हवाला भी दिया, जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि जमानत एक नियम है और जब तक किसी व्यक्ति पर दोष सिद्ध न हो जाए, न्यायालय को उसे बेगुनाह समझना चाहिए।

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