केदारनाथ, यमुनोत्री के कपाट शीतकाल के लिये बंद
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केदारनाथ, यमुनोत्री के कपाट शीतकाल के लिये बंद

छह माह तक श्रद्धालुओं के लिये खुले रहने के बाद उत्तराखंड में गढ़वाल के उच्च हिमालयी क्षेत्र में स्थित हिंदुओं के पवित्र तीर्थस्थल केदारनाथ और यमुनोत्री धाम के कपाट गुरुवार को भैया दूज के पर्व पर शीतकाल के लिये बंद हो गये।

देहरादून: छह माह तक श्रद्धालुओं के लिये खुले रहने के बाद उत्तराखंड में गढ़वाल के उच्च हिमालयी क्षेत्र में स्थित हिंदुओं के पवित्र तीर्थस्थल केदारनाथ और यमुनोत्री धाम के कपाट गुरुवार को भैया दूज के पर्व पर शीतकाल के लिये बंद हो गये। बदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति के सूत्रों ने बताया कि रूद्रप्रयाग जिले में स्थित केदारनाथ मंदिर के मुख्य पुजारी ने सुबह आठ बजकर 30 मिनट पर धर्माधिकारियों और प्रशासनिक अधिकारियों की मौजूदगी में भगवान शिव की विधिविधान के साथ पूजा अर्चना की और कपाट पर ताला लगाकर उसे शीतकाल के लिये बंद कर दिया।
कपाट बंद होते समय भारी ठंड के बावजूद हजारों की संख्या में श्रद्धालु मंदिर परिसर में मौजूद थे और बम भोले और जय भोले के नारे लगा रहे थे। बाद में भगवान शिव के ज्योतिर्लिंग को एक डोली में बिठाकर निकटवर्ती उखीमठ इलाके के लिये रवाना किया गया, जहां शीतकाल के दौरान उसकी पूजा की जाएगी।
द्वादश ज्योतिर्लिंगों में सबसे महत्वपूर्ण केदारनाथ धाम 3581 मीटर की उचांई पर स्थित है और वहां पहुंचने के लिये मोटरमार्ग के समाप्ति स्थल गौरीकुंड से 14 किलोमीटर की कठिन पहाड़ी की चढ़ाई करनी पड़ती है। एक अन्य हिमालयी तीर्थस्थल यमुनोत्री मंदिर के कपाट भी आज यमद्वितीया के दिन मनाये जाने वाले भैया दूज के पावन पर्व पर शीतकाल के लिये बंद कर दिये गये। यमुना नदी के उद्गम स्थल पर स्थित यमुनोत्री धाम के कपाट मुख्य पुजारी द्वारा दोपहर बाद अनुराधा नक्षत्र में एक बजकर 45 मिनट पर विधि विधान के साथ बंद किये गये।
उत्तरकाशी जिले में 3293 मीटर की उंचाई पर स्थित मंदिर के कपाट बंद होने के दौरान काफी ठंड थी, लेकिन इस समारोह को देखने के लिये काफी संख्या में श्रद्धालु परिसर में मौजूद थे।
गंगोत्री धाम के कपाट कल अन्नकूट पर्व के अवसर पर शीतकाल के लिये बंद किये गये थे जबकि सबसे प्रमुख हिमालयी तीर्थस्थल माने जाने वाले बदरीनाथ मंदिर के दरवाजे श्रद्धालुओं के लिये 18 नवंबर को बंद किये जाएंगे। इसी के साथ इस वर्ष के लिये चारधाम तीर्थयात्रा का भी समापन हो जाएगा।
छह महीने तक चलने वाली चारधाम तीर्थयात्रा के दौरान देश विदेश से लाखों श्रद्धालु मंदिर का दर्शन करने के लिये पहुंचते हैं। सभी हिमालयी तीर्थस्थल शीतकाल में भारी बर्फ से ढक जाते हैं और इसलिये उन्हें इस दौरान श्रद्धालुओं के लिये बंद कर दिया जाता है। अगले साल अप्रैल-मई में उनके पट फिर से तीर्थयात्रियों के लिये खोल दिये जाएंगे। (एजेंसी)

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