दिल्‍ली के सीरियल हत्यारे को कोर्ट ने सुनाई मौत की सजा
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दिल्‍ली के सीरियल हत्यारे को कोर्ट ने सुनाई मौत की सजा

दिल्ली की एक अदालत ने मंगलवार को 46 वर्षीय ‘सीरियल’ हत्यारे को मौत की सजा सुनाई। उसे हत्या करने और शव के टुकड़े टुकड़े कर उन्हें तिहाड़ जेल के पास फेंकने के मामले में सजा सुनाई गई। अदालत ने उसे समाज के लिए ‘खतरा’ बताया और कहा कि यह मामला दुर्लभतम श्रेणी में आता है।

नई दिल्ली : दिल्ली की एक अदालत ने मंगलवार को 46 वर्षीय ‘सीरियल’ हत्यारे को मौत की सजा सुनाई। उसे हत्या करने और शव के टुकड़े टुकड़े कर उन्हें तिहाड़ जेल के पास फेंकने के मामले में सजा सुनाई गई। अदालत ने उसे समाज के लिए ‘खतरा’ बताया और कहा कि यह मामला दुर्लभतम श्रेणी में आता है।
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश कामिनी लाउ ने बिहार में मधेपुरा निवासी चंद्रकांत झा को मौत की सजा सुनायी। इसके पहले हत्या के तीन मामलों में से एक में कल उसे आजीवन कैद की सजा सुनाई गई थी। अदालत ने कहा कि यह मामला दुर्लभतम श्रेणी में आता है और चंद्रकांत की हरकत समाज के लिए स्तब्धकारी है।
न्यायाधीश ने कहा कि उसने पैशाचिक तरीके से हत्या की। वह समाज के लिए खतरा है। उसने व्यवस्था को चुनौती दी और ऐसा करने के लिए उसने मासूम लोगों की हत्याएं की। झा को आज दूसरे मामले में मौत की सजा सुनाई गई। उसे हत्या के तीन मामलों में दोषी ठहराया गया है। कल इसी अदालत ने हत्या के एक अन्य मामले में मौत होने तक कैद की सजा सुनाई। झा कल शांत लग रहा था लेकिन आज जब उसे सजा सुनायी जा रही थी, उसके चेहरे पर घबराहट साफ दिख रही थी।
सजा सुनाते समय अदालत ने कहा कि अपराध को अंजाम देने के बाद झा ने पुलिस को चुनौती देते हुए बार बार दोहराया कि वह हर 15 दिनों के बाद ऐसे विशेष उपहार (शव) भेजता रहेगा। इस मामले में झा ने 2007 में उपेंद्र की हत्या कर दी थी और शव के टुकडे टुकड़े कर जेल के बाहर फेंक दिया था। हत्या के दो अन्य मामले भी ऐसे ही थे जिसमें उसने 2006 में अनिल नामक एक व्यक्ति की हत्या कर दी थी। इसके बाद 2007 में भी उसने एक व्यक्ति की हत्या कर दी। हत्या के तीसरे मामले में सजा कल सुनाई जाएगी। अदालत ने फोरेंसिक और परिस्थितिजन्य साक्ष्यों के आधार पर झा को तीनों हत्याओं का दोषी ठहराया था। विशेषज्ञों ने स्थापित किया था कि शवों के पास बरामद पत्र उसके लिखे हुए थे। (एजेंसी)

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