मैं कायर नहीं, नौकरी नहीं छोडूंगा: खेमका

पिछले दो दशक की नौकरी में एक आईएएस अधिकारी का 43 बार तबादला किया गया, जिसमें से 19 बार तबादले का आदेश भूपिंदर सिह हुड्डा के नेतृत्व वाली हरियाणा की मौजूदा कांग्रेस सरकार दे चुकी है।

चंडीगढ़ : पिछले दो दशक की नौकरी में एक आईएएस अधिकारी का 43 बार तबादला किया गया, जिसमें से 19 बार तबादले का आदेश भूपिंदर सिह हुड्डा के नेतृत्व वाली हरियाणा की मौजूदा कांग्रेस सरकार दे चुकी है।
वरिष्ठ आईएएस अधिकारी अशोक खेमका ने कहा कि उन्हें अपना कर्तव्य निभाने की वजह से खदेड़ा जा रहा है। खेमका ने यह भी कहा कि उनका नौकरी छोड़ने का कोई इरादा नहीं है। पिछले सप्ताह ही अपने तबादले का 43वां आदेश पाने वाले खेमका ने आईएएनएस से एक साक्षात्कार में कहा कि मैं कायर नहीं हूं। मैं इसी सिस्टम का हिस्सा हूं और इसी सिस्टम में रहूंगा। मुझे इस पर गर्व है। एक अधिकारी होने के नाते मैं सिर्फ अपने कर्तव्य का पालन कर रहा हूं। खेमका ने कहा कि उन्हें बार-बार ड्यूटी बदलने से कोई दिक्कत नहीं होती।
हरियाणा कैडर के खेमका पिछले वर्ष तब सुर्खियों में आए थे, जब उन्होंने संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) की अध्यक्ष सोनिया गांधी के दामाद रॉबर्ट वाड्रा और रीयल एस्टेट की बड़ी कंपनी डीएलएफ के बीच करोड़ों रुपयों के एक विवादित भूमि सौदे में जमीन का म्यूटेशन (उपयोग ध्येय) रद्द कर दिया। खेमका के कमरे की दीवार पर `वाशिंगटन पोस्ट` एवं `गल्फ न्यूज` जैसे अंतर्राष्ट्रीय समाचार पत्र-पत्रिकाओं में खेमका से संबंधित छपी खबरों की फ्रेम में मढ़ी प्रतियां टंगी हुई हैं। खेमका को एक अधिकारी के रूप में किए अपने कार्य पर गर्व है। उन्होंने कहा कि हुड्डा सरकार ने शुरू में तो बहुत कम तबादले किए, लेकिन अब ज्यादा हो चुका है।
ताजा उदाहरण यह है कि अभिलेखागार सचिव जैसे गैर महत्वपूर्ण पद पर प्रतिनियुक्त करने के अलावा हरियाणा की एक अदालत से भूलवश उनके नाम गैर जमानती वारंट भिजवा दिया। इसकी आड़ में उन्हें सुविधारहित छोटा सा कमरा तथा अपर्याप्त कर्मचारी दिए गए हैं। खेमका ने बताया कि मुझे इन सब चीजों से भय नहीं लगता। लेकिन इससे मानसिक तनाव बढ़ जाता है। मेरे पिछले तबादले में मेरे साथ बुरा व्यवहार किया गया। मेरे तबादले का आदेश आने से पहले ही मुझे कार्यमुक्त किए जाने का आदेश आ गया। ऐसा पहले कभी नहीं हुआ होगा।
वाड्रा और डीएलएफ के बीच 58 करोड़ रुपयों के भूमि सौदे को रद्द करने और हरियाणा के चार जिलों तथा दिल्ली में 2005 के बाद हुए वाड्रा के सभी भूमि सौदों की जांच के आदेश दिए जाने के बाद खेमका को महानिदेशक के पद से हटा दिया गया। इसके बाद जब खेमका ने एक अंतर्राष्ट्रीय केमिकल उत्पादक कंपनी से फंफूदनाशी दवाओं की खरीदारी में बड़ेपैमाने पर हुई अनियमितताओं का खुलासा किया तो उन्हें हरियाणा बीज विकास निगम (एचएसडीसी) के प्रबंध निदेशक पद से भी हटा दिया गया।
कुछ विभागों से तो खेमका को चार-पांच दिनों के भीतर स्थानांतरित कर दिया गया। खेमका को जहां कहीं भी नियुक्त किया गया, उनमें से अधिकांश जगहों पर उन्होंने घोटालों को उजागर किया लेकिन खेमका खुद को `व्हिस्लब्लोअर` कहलाना पसंद नहीं करते। खेमका ने आईएएनएस से कहा कि मुझे `व्हिस्लब्लोअर` कहलाने से चिढ़ है। मैं तो सिर्फ अपना काम कर रहा हूं, जो कि अन्य लोग नहीं कर रहे हैं। (एजेंसी)

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