राजस्थान को मिले विशेष राज्य का दर्जा : गहलोत
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राजस्थान को मिले विशेष राज्य का दर्जा : गहलोत

राष्ट्रीय विकास परिषद की बैठक में राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने राज्य की विषम भौगोलिक परिस्थितियों, पानी की भीषण कमी और अक्सर पड़ने वाले अकाल व सूखे का जिक्र करते हुए इसे विशेष दर्जा देने की मांग उठाई।

नई दिल्ली : राष्ट्रीय विकास परिषद की बैठक में गुरुवार को राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने अपने राज्य की विषम भौगोलिक परिस्थितियों, पानी की भीषण कमी और अक्सर पड़ने वाले अकाल व सूखे का जिक्र करते हुए इसे विशेष दर्जा देने तथा 12वीं पंचवर्षीय योजना के लिए 51 हजार करोड़ रुपये के विशेष पैकेज की मांग उठाई।
विज्ञान भवन में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की अध्यक्षता में आयोजित राष्ट्रीय विकास परिषद की 57वीं बैठक में गहलोत ने कहा, `केंद्र सरकार ने जिस प्रकार सूचना का अधिकार, शिक्षा का अधिकार व रोजगार का अधिकार (मनरेगा) दिए हैं, मेरा सुझाव है कि खाद्य सुरक्षा विधेयक के साथ-साथ स्वास्थ्य का अधिकार और आवास का अधिकार देने का भी निर्णय लिया जाए।` उन्होंने कहा कि ये अधिकार मिलने से एक नए युग की शुरुआत होगी।
गहलोत ने कहा कि भौगौलिक कारणों से प्रदेश के नागरिकों को मूलभूत सामाजिक सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए प्रति व्यक्ति लागत भी सामान्य क्षेत्रों के मुकाबले काफी अधिक आती है इसीलिए विभिन्न मंचों पर राजस्थान को विशेष श्रेणी का राज्य घोषित करने की लगातार मांग की जाती रही है। प्रदेश की विशेष परिस्थितियों को देखते हुए ही वह अपने राज्य को विशेष श्रेणी के राज्यों की सूची में शामिल करने और विशेष आर्थिक पैकेज की मांग कर रहे हैं।
अंतर्राज्यीय जल विवादों की चर्चा करते हुए गहलोत ने कहा कि राज्यों के हितों को सुरक्षित रखने के लिए नदियों को राष्ट्रीय नदियां एवं नहरें घोषित कर इनका प्रबंधन एवं रख-रखाव किया जाना चाहिए तथा इसके लिए यदि संवैधानिक संशोधन की भी आवश्यकता हो तो उस पर भी विचार किया जाना चाहिए।
गहलोत ने पश्चिम राजस्थान में मिले तेल के अथाह भंडारों के बाद वहां किए जा रहे तेल के वाणिज्यिक उत्पादन की चर्चा करते हुए प्रदेश के बाडमेर जिले में शीघ्र ही तेल रिफाइनरी की स्थापना की मांग भी की। उन्होंने बताया कि राज्य में कच्चे तेल की उपलब्धता 90 करोड़ टन आंकी गई है। वर्तमान में राज्य में लगभग 90 लाख टन कच्चे तेल का उत्पादन प्रतिवर्ष किया जा रहा है जो कि देश के कच्चे तेल के घरेलू उत्पादन का 20 प्रतिशत है। भविष्य में यह उत्पादन 1.5 करोड़ टन प्रतिवर्ष तक पहुंचने की संभावना है।
उन्होंने बताया कि जयपुर में मेट्रो रेल की महत्वाकांक्षी योजना को क्रियान्वित किया जा रहा है। इस परियोजना के पहले और दूसरे चरण पर करीब दस हजार करोड़ रुपये व्यय होंगे। उन्होंने इस महत्वपूर्ण योजना को समय पर पूरा करने के लिए केंद्र सरकार से 1806 करोड़ रुपये की सहायता उपलब्ध कराने की मांग की। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार बिजली उत्पादन बढ़ाने का अथक प्रयास कर रही है और 12वीं पंचवर्षीय योजना में प्रदेश को ऊर्जा के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने का लक्ष्य है। इन लक्ष्यों की पूर्ति के लिए केंद्र से मदद की दरकार है। (एजेंसी)

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