1 लाख रुपया देकर गोद लीजिए बाघ और बंदर!

यहां स्थित महाराजबाग चिड़ियाघर में रह रहे बाघ, तेंदुआ, सियार और बंदर में से अगर किसी जानवर को आप गोद लेना चाहते हैं तो आपको इसके लिए सिर्फ एक लाख रूपये खर्च करने होंगे।

नागपुर : यहां स्थित महाराजबाग चिड़ियाघर में रह रहे बाघ, तेंदुआ, सियार और बंदर में से अगर किसी जानवर को आप गोद लेना चाहते हैं तो आपको इसके लिए सिर्फ एक लाख रूपये खर्च करने होंगे।
प्रबंधन की वजह से अक्सर आलोचनाओं में घिर चुके इस चिड़ियाघर ने पशुओं को गोद देने का नया कार्यक्रम शुरू किया है। यहां 356 जानवर हैं जिनमें 4 बाघ, 8 तेंदुए, सियार, भालू, चित्तीदार हिरण, नील गाय, काले हिरण, मोर, इमू, मगरमच्छ, बंदर और कई तरह के पक्षी शामिल हैं।
चिड़ियाघर के प्रभारी सुनील बावस्कर ने बताया ‘इस कार्यक्रम का उद्देश्य धन की कमाई नहीं है बल्कि पशुओं के संरक्षण की प्रक्रिया से लोगों को जोड़ना है।’ उन्होंने बताया ‘चंडीगढ़ जैसे शहरों में यह पहले से चल रहा है। इस नए चलन से लोगों की पशुओं में रूचि अपने आप बढ़ रही है और उम्मीद है कि इनके प्रति लोगों में संवेदनशीलता भी बढ़ेगी।’ पशुओं को गोद देने के लिए शुल्क भी अलग अलग है। एक काले हिरण को एक साल के लिए 4000 रूपये में गोद दिया जा सकता है। साल भर में इसके रखरखाव पर करीब एक लाख रूपये का खर्च आएगा।
अधिकारी ने बताया कि इस पहल से कोई भी व्यक्ति या निजी कंपनी जुड़ सकते हैं। चिड़ियाघर ने गोद लेने वालों के लिए कुछ पारितोषिक की घोषणा भी की है। स्थानीय लोगों ने इस कार्यक्रम में दिलचस्पी दिखानी शुरू कर दी है और अधिकारियों से लोग प्रश्न पूछ रहे हैं। पारितोषिक में गोद लिए गए पशु की तस्वीर, उसके बारे में व्यापक जानकारी, पांच लोगों के लिए एक साल का ‘कम्प्लीमेन्ट्री पास’, फ्रेम किया हुआ आधिकारिक प्रमाणपत्र, उस पशु के बाड़े के बाहर गोद लेने वाले की नाम पट्टिका लगाना आदि शामिल हैं।
बावस्कर ने बताया ‘अगर लोग पशुओं के खाने की व्यवस्था कर या फिर किसी अन्य तरीके से भी उससे जुड़ना चाहें तो भी उनका स्वागत है। पशुओं को 3 से 6 माह के लिए भी गोद लिया जा सकता है और शुल्क अवधि के अनुसार होगा।’ महाराजबाग चिड़ियाघर अकोला के पंजाबराव देशमुख कृषि विश्वविद्यालय का हिस्सा है जो चिड़ियाघर के समीप ही कृषि महाविद्यालय चलाता है। (एजेंसी)

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